लगभग तीन हफ्ते से जारी युद्ध को रोकने के लिए अब तक हुई वार्ताओं विफल रहने के बाद बुधवार को रूस और यूक्रेन ने कुछ ऐसे संकेत दिए हैं कि दोनों पक्षों के बी
दरअसल रूस की शुरू से मांग रही है कि यूक्रेन नाटो का मोह छोड़ सीमित सेना के साथ स्वीडन की तरह तटस्थ देश की भूमिका में रहे लेकिन यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की जिद ने इतनी बड़ी मुसीबत खड़ी कर दी। बातचीत की मेज पर यूक्रेन से रूस यही सुनना चाहता है कि वह नाटो से बाहर रहेगा।
रूसी विदेश मंत्री लावरोव ने मीडिया से चर्चा में कहा कि कुछ कारणों से दोनों पक्षों के बीच बातचीत आसान नहीं है। लेकिन किसी समझौते पर पहुंचने की उम्मीद बंधी है। सुरक्षा की गारंटी के साथ यूक्रेन के तटस्थ देश की स्थिति पर गंभीरता से चर्चा हुई। कुछ मुद्दों को मूर्त रूप देने का प्रयास हुआ है। मेरे विचार से हम समझौते के करीब पहुंच रहे हैं।
च किसी समझौते पर पहुंचने के आसार दिखने लगे हैं। यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने जहां वार्ता के और अधिक सार्थक होने की बात कही है वहीं रूसी विदेश मंत्री सेर्गेई लावरोव ने कहा कि यूक्रेन के तटस्थ देश बनने पर समझौते की उम्मीद बन सकती है।