ग्राम पंचायत खंइया में मनरेगा और ग्रामनिधि में जम कर हो रहा भ्रष्टाचार

ग्राम पंचायत खंइया में मनरेगा और ग्रामनिधि में जम कर हो रहा भ्रष्टाचार

पंचायत सचिव के साथ साथ ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक की भी भ्रष्टाचार में संलिप्तता

नैमिष टुडे/संवाददाता

लखीमपुर खीरी /विकास खंड फूलबेहड़ के ग्राम पंचायत खंइया में मनरेगा योजना के तहत भ्रष्टाचार तेजी से बढ़ रहा हैं इसी के साथ में ग्राम निधि में हुए कार्यों पे भी अगर प्रकाश डाला जाए तो जम कर भ्रष्टाचार किया गया है जिसमें इंटरलॉकिंग सोक फिट और अन्य कार्य भी शामिल है ग्राम प्रधान और पंचायत मित्र की मिलीभगत से इस योजना का उद्देश्य पूरी तरह से विफल हो रहा है। जहां एक ओर मनरेगा योजना का उद्देश्य ग्रामीणों को रोजगार प्रदान करना और ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का निर्माण करना है, वहीं दूसरी ओर यहां इस योजना का दुरुपयोग हो रहा है। मास्टर रोल में अधिक मजदूरों की संख्या दिखाकर और असल में कम मजदूरों को काम पर लगाकर पंचायत के खजाने से लाखों रुपये का गबन किया जा रहा है। इसके अलावा, इंटरलॉकिंग निर्माण कार्यों में भी मानकों का उल्लंघन किया जा रहा है और मज़दूरी न करने वालों को भी मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है।

1. मास्टर रोल में अधिक मजदूरों की संख्या दिखाकर मजदूरी का पैसा निकालना
ग्राम पंचायत खंइया में मनरेगा योजना के तहत मास्टर रोल पर मजदूरों की संख्या अधिक दिखाकर मजदूरी का पैसा निकाला जा रहा है। हालांकि, असल में कम मजदूरों को काम पर लगाया जाता है, और कागजों पर दर्ज अधिक मजदूरों का नाम दर्शा कर उनके नाम पर मजदूरी का भुगतान किया जाता है। यह एक गंभीर भ्रष्टाचार का मामला है, जहां पंचायत के खजाने से बिना काम किए लोगों को मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। इससे न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि असल में काम करने वाले मजदूरों को उनके मेहनत का पैसा भी समय पर नहीं मिल रहा है।

2. इंटरलॉकिंग कार्यों में मानकों का उल्लंघन
ग्राम पंचायत खंइया में किए जा रहे इंटरलॉकिंग निर्माण कार्यों में भी बड़ी अनियमितताएँ पाई जा रही हैं। इंटरलॉकिंग कार्यों के लिए शासन ने विशेष दिशा-निर्देश जारी किए थे, जिनमें कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने और निर्धारित मानकों के अनुसार निर्माण कार्यों को करने की बात कही गई थी। लेकिन यहां पर घटिया सामग्री का इस्तेमाल किया जा रहा है, और निर्माण कार्यों में गुणवत्ता का कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके परिणामस्वरूप न केवल कार्य की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है, बल्कि ग्रामीणों को इन कार्यों से भी कोई वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रहा है।

3. मज़दूरी न करने वाले व्यक्तियों को भी मजदूरी का भुगतान
ग्राम पंचायत खंइया में एक और गंभीर अनियमितता सामने आई है, जहां मजदूरी न करने वाले व्यक्तियों को भी मनरेगा के तहत मजदूरी का भुगतान किया जा रहा है। यह एक प्रकार का फर्जी मजदूरी भुगतान है, जहां कागजों पर नाम दर्ज करके बिना काम किए लोगों को सरकारी धन का भुगतान किया जा रहा है। इससे न केवल पंचायत के खजाने का दुरुपयोग हो रहा है, बल्कि यह असल में उन मजदूरों के साथ भी अन्याय है, जो वास्तविक रूप से काम कर रहे हैं और उन्हें उनकी मेहनत का पैसा नहीं मिल पा रहा है।

शासनादेश और नियमों का उल्लंघन
मनरेगा योजना के तहत शासन ने स्पष्ट दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनमें कार्यों में पारदर्शिता, गुणवत्ता, और मजदूरी भुगतान में निष्पक्षता सुनिश्चित करने की बात कही गई है। लेकिन ग्राम पंचायत खंइया में हो रहे इन अनियमितताओं ने इन नियमों और दिशा-निर्देशों का पूरी तरह से उल्लंघन किया है। मास्टर रोल में अधिक मजदूरों की संख्या दिखाना, घटिया निर्माण सामग्री का उपयोग करना, और बिना काम किए लोगों को मजदूरी का भुगतान करना सीधे तौर पर भ्रष्टाचार का प्रतीक है और यह शासन के उद्देश्य के खिलाफ है।

अधिकारियों की भूमिका और कार्रवाई की आवश्यकता
ग्राम पंचायत खंइया में हो रही इन गंभीर अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार ग्राम प्रधान और पंचायत मित्र को जवाबदेह ठहराना बेहद जरूरी है। इनके द्वारा किए गए इस भ्रष्टाचार पर उच्च स्तर से जांच की आवश्यकता है। साथ ही, पंचायत के कार्यों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र जांच समिति का गठन किया जाना चाहिए, जो इन अनियमितताओं की सही जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे।

ग्राम पंचायत भवन में पारदर्शिता लाने और सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने के लिए यहां के अधिकारियों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। इसके अलावा, पंचायतों में कार्यरत कर्मचारियों और अधिकारियों को इस तरह की अनियमितताओं से बचने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।

निष्कर्ष
ग्राम पंचायत खंइया में मनरेगा योजना के तहत हो रहे भ्रष्टाचार और अनियमितताओं ने न केवल सरकारी धन का दुरुपयोग किया है, बल्कि इसने ग्रामीणों को मिलने वाले लाभ को भी प्रभावित किया है। शासन को इन मामलों पर शीघ्र कार्रवाई करनी चाहिए ताकि न केवल सरकारी धन की बर्बादी रोकी जा सके, बल्कि ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सके। इन अनियमितताओं की जांच करके दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह के भ्रष्टाचार की पुनरावृत्ति न हो।

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