
कार्यस्थल पर रूकना अपनी शान के खिलाफ समझते अधिकारी
आवास आवंटित होने के बावजूद घर का मोह नहीं छोड़ रहे साहब
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
सीतापुर । सुबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भले ही जनहित को देखते हुए अधिकारियों को उनके कार्यस्थल पर रुकने के सख्त निर्देश समय-समय पर देते दिखाई पड़ते हैं परंतु उनके इन निर्देशों का जमीनी स्तर पर कितना पालन होता है यह तो राजधानी से कुछ किलोमीटर दूर जनपद सीतापुर में देखने को मिलता है जहां अधिकारी इन आदेशों को ठेंगा दिखाने का कार्य करते हैं नजर आते हैं । सरकार जहां पर इन अधिकारियों को उनके मुख्यालय (कार्यस्थल) पर रहने हेतु आवास से लेकर सारी सुख सुविधाओं पर पानी की तरह है पैसा बहाने का कार्य करती है तो वहीं पर यह अधिकारी अपने-अपने कार्य स्थल पर न रुककर अपने घरों का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं । जानकारी के अनुसार जनपद सीतापुर में इन दिनों ब्लॉक से लेकर जनपद मुख्यालय तक के अधिकारी व कर्मचारी अपने-अपने नाम से आवास तो जरूर आवंटित कराए हैं परंतु इन आवासों में ठहरना मुनासिब नहीं समझते । सूत्रों के अनुसार ब्लॉक , तहसील व जनपद के अधिकांश अधिकारियों व कर्मचारियों को सरकार ने आवास से लेकर अन्य बहुत सारी सुविधाएं दे रखी है परंतु यह अधिकारी व कर्मचारी अपने-अपने घरों का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं सूत्र यह भी बताते हैं की ब्लॉक मुख्यालयों पर आवंटित अधिकांश आवासों में या तो ग्राम पंचायत सचिवों ने अपने-अपने ऑफिस बना रखे हैं या तो वह बंद पड़े हैं परंतु जिन अधिकारियों व कर्मचारियों को आवास आवंटित है उनमें से अधिकांश इन आवासों में रहना अपनी शान के खिलाफ समझते हैं । अब ऐसे में इन अधिकारियों को समय पर अपने कार्यालय में उपस्थित होना भी संदेहास्पद नजर आता है इनका अधिकतर समय आने-जाने में ही लग जाता है जिसके चलते अधिकांशतः यह अधिकारी समय पर अपने कार्यालय नहीं पहुंच पाते जिससे आमजन को तमाम तरह की दुश्वारियों का सामना करना पड़ता है और इन अधिकारियों को दी गई जिम्मेदारियां भी नहीं पूरी हो पाती । अभी हाल ही में मुख्यमंत्री महोदय ने इन अधिकारियों के लिए स्पष्ट निर्देश जारी करते हुए मुख्यालय ना छोड़ने का निर्देश दिया था परंतु साहब है कि आदेशों को मानते ही नहीं !
जानकारी के अनुसार ऐसा ही कुछ हाल विकास खंड कसमंडा का भी है जहां पर अधिकारियों को आवास तो आवंटित हैं परंतु यह अधिकारी अपने आवास में न रहकर अपने-अपने घरों से रोजाना सैकड़ो किलोमीटर की यात्रा कर आते जाते हैं जिससे विकासखंड मुख्यालय पर अपनी-अपनी समस्याओं को लेकर आने वाले ग्रामीणों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । जबकि अभी हाल ही में जनपद में आए नवागत जिलाधिकारी ने समस्त अधिकारियों को अपने-अपने कार्यालय में बैठकर जनसुनवाई हेतु सख्त निर्देश दे रखे हैं लेकिन अधिकांश कार्यालय में जनसुनवाई के समय सिर्फ खाली कुर्सियों ही नजर आती हैं । ऐसे में सवाल यह उठता है क्या जनपद के जिम्मेदार इन सब प्रकरणों का संज्ञान नहीं लेते अथवा उन तक इस तरह के प्रकरणों की जानकारी ही नहीं पहुंच पाती या फिर इन जिम्मेदारों के संरक्षण में ही यह सब चल रहा है ।