दिल्ली: आपने यह देखा ही होगा कि टेक्निकल और डॉक्टर्स की पढाई अंग्रेजी में ही की जाती है. स्टूडेंट्स को अब डॉक्टर बनने के लिए सिर्फ अंग्रेजी में ही अपने कोर्स पूरे करने नहीं होंगे, लेकिन देश में सबसे ज्यादा बोली और समझी जाने वाली भाषा हिंदी आजादी के 75 साल बाद मध्य प्रदेश में एमबीबीएस पाठ्यक्रम की पढ़ाई का वैकल्पिक माध्यम बनने जा रही है.दरअसल, अधिकारी ने बताया कि नए अकादमिक सत्र में देश के प्रमुख हिंदीभाषी राज्य में निजी और सरकारी चिकित्सा महाविद्यालयों के एमबीबीएस प्रथम वर्ष के कुल 4,000 विद्यार्थियों को अंग्रेजी के साथ ही हिन्दी की किताबों से भी पढ़ाई का विकल्प मिल सकता है. संबंधित समिति के सदस्य और फिजियोलॉजी के पूर्व सह प्राध्यापक डॉ. मनोहर भंडारी ने बताया कि राज्य के चिकित्सा महाविद्यालयों के एमबीबीएस पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वाले 60 से 70 प्रतिशत विद्यार्थी हिन्दी माध्यम के होते हैं और अंग्रेजी की किताबों के कारण उन्हें सबसे ज्यादा समस्या प्रथम वर्ष में ही होती है.इस सिलसिले में लंबे समय से चल रही महत्वाकांक्षी कवायद सितंबर के आखिर में शुरू होने वाले नए अकादमिक सत्र में अपने मुकाम पर पहुंच सकती है. राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग के एक अधिकारी ने यह जानकारी दी.