चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से

चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान

चतुरी चाचा ने प्रपंच का आगाज करते हुए कहा- आजु काल्हि बिटियन क बिहाव करब बड़ा कठिन होय गवा। दहेज अउ दिखावा बढ़तय जाय रहा। लरिका वाले मुंह फारिके दहेज मांगि रहे। उनका बिटिया क पढ़ाई-लिखाई, रंग-रूप अउ गुन-अवगुन ते कौनव मतलब नाइ। बसि, दहेज म गाड़ी-गड्डा, साज-ओ-सामान, सोना-चांदी अउ कपड़ा-लत्ता चही। जइस लरिका तइस दाम हयं। अइस जान परत हय कि लरिका मंडी बिक रहे। तुमरे पास जइस तथा होय, वइस कथा सुनि लेव भइय्या। आईएएस, आईपीएस, पीसीएस, जज, डॉक्टर, इंजीनियर, बिजनेसमैन अउ बेरोजगार लरिकन केर अलग-अलग रेट हयं। तुमरे टेट म जइस रकम होय, वइस लरिका अपनी बिटिया ख़ातिन खरीद लेव। बिहाव क नाम पय खुला खेल फरुखाबादी चलि रहा। बिटिया क नीक बिहाव करय ख़ातिन कोई कर्जा लेत हय। कोई अपनी जमीन बेचत हय। यही दहेज क चलते लोग चाहत हयं कि उनके घर बिटिया पइदा न होय। द्याखा जाय तौ कुछु परिवार अइस बचे हयं। जउन दहेज क बजाय बिटिया अउ परिवार द्याखत हयं।

चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर चिंतन मुद्रा में बैठे थे। ककुवा, मुंशीजी, कासिम चचा व बड़के दद्दा आपस में कुछ खिचड़ी पका रहे थे। आज भी सुबह चटख धूप खिली थी। सबेरे से ही विकट गर्मी शुरू हो गई थी। परन्तु, चबूतरे पर पेड़ों की घनी छाया थी। गांव के बच्चे गलियारे को पिच बनाकर क्रिकेट खेल रहे थे। पुरई चबूतरे की क्यारियों में पानी भर रहे थे। मेरे वहां पहुंचते ही चतुरी चाचा ने पंचायत शुरू कर दी। उनका कहना था कि इस दौर में दहेज और दिखावा बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में लड़कियों की अच्छी शादी करना बड़ा मुश्किल हो गया है। विवाह जैसा संस्कार भी बाजारवाद का शिकार हो गया है। पहले बेटी के लिए दूल्हा खोजना पड़ता था, किन्तु अब दूल्हे खुली मंडी में बिकते हैं। आप के पास जैसी रकम हो, वैसा दूल्हा खरीद लो। लड़के वालों को दहेज में मोटी रकम चाहिए। तिलक में नकदी के साथ चार पहिया गाड़ी चाहिए। बारात का शाही स्वागत चाहिए। लड़की की विदाई में गृहस्थी का प्रत्येक सामान अच्छी कम्पनी का चाहिए। अब कुछ परिवार ही ऐसे बचे हैं, जो दहेज के बजाय अपने बेटे के लिए बेहतरीन बहू चाहते हैं। ऐसे लोग लड़की के बाप की जेब नहीं, बल्कि लड़की का गुण-ढंग, रूप-रंग और पढ़ाई-लिखाई देखते हैं।

ककुवा ने कहा- चतुरी भाई, तुम सही कह रहे हो। दहेज अउ दिखावा क कारन लरिका-बिटियन केरी शादी बड़ी महंगी होत जाय रहीं। बिटिया क बिहाव म दहेज ख़ातिन लाखन चही। वही तिना लरिका बिहाव म दिखावा ख़ातिन लाखन रुपया चही। आजु काल्हि लरिकन केरे तिलक और बारात म बड़ा खर्चा होत हय। अबहिने देखबय किहौ, प्रधान अपनी बिटिया क बिहाव म केतना रुपया खर्च किहिन। गेस्ट हाउस म बरीक्षा अउ गोद भराई किहिन। तिलक म पांच लाख नकद अउ स्कार्पियो गाड़ी दिहिन। बारात के दिन बिघहन म टेण्ट अउ लाइट लगवाइन रहय। याक लँग डीजे, दूसरी लँग आर्केस्ट्रा चलि रहा रहय। खाना परसय ख़ातिन शहर ते बिटौनी आयी रहयं। नाश्ता अउ भोजन मा न जाने का, का बना रहय। हम पंच तमाम चीजन का पहली बार द्याखा रहय। प्रधान बिटिया क विदाई म एक ट्रक भरिके सामान दिहिन रहय। भाई, लरिका वाले बारातव बड़ी हपकानी लाये रहयं। चार घोड़न वाली बग्घी, डबल बैंड अउ एक किलोमीटर लंबी रोड लाइट लाये रहयं। बारात म दुई घण्टा तौ रवाइस चलि हय। दुनव तरफ ते पानी क तिना रुपया बहावा गवा। हम पंच इ तनकी शादी कहां त कय पाइब? सब जने जनतय हौ कि प्रधान क बिटिया सांवर हय। मुन्नी ज्यादा पढ़ी-लिखिव नाय हय। मुदा, पैसा क दम पर प्रधान का डॉक्टर लरिका मिल गवा। लरिका क बापव पुलिस इंस्पेक्टर हय। उनकी शहर म कोठी खड़ी हय। उनके घर मा सगरे सुख हयँ। अब बिटिया जिंदगी भरि मजा करी।

इसी बीच चंदू बिटिया जलपान लेकर आ गई। आज जलपान में भुने चना एवं लाई और बेल का शर्बत था। जलपान के बाद मुंशीजी ने प्रपंच को आगे बढ़ाया। उन्होंने कहा- आजकल शादी सिर्फ दिखावे के चक्कर में महंगी होती जा रही है। लोग गांव-जवार में खुद को बड़ा धनवान साबित करना चाहते हैं। लोग एक दूसरे से प्रतियोगिता करते हैं। इसलिए शादियां दिनोंदिन खर्चीली होती जा रही हैं। तमाम लोग तो कर्ज लेकर या अपनी सम्पत्ति बेचकर शादी में पानी की तरह रुपए बहाते हैं। सारा खेल मूंछे ऊंची करने का है। इसी दिखावे के कारण दहेज भी बढ़ता जा रहा है। इस घुड़दौड़ में गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों की मरन है। इस दौर में सुंदर, सुशील, गुणवान एवं उच्च शिक्षित लड़कियों को अच्छे वर नहीं मिलते हैं। क्योंकि, उनके पिता के पास अच्छे वर-घर के लिए दहेज की मोटी रकम नहीं होती है। इसी तरह तमाम अच्छे, पढ़े-लिखे एवं सभ्य लड़कों को अच्छी बहू नहीं मिल पाती है। क्योंकि, उनका ताल्लुक गरीब या मध्यम घर से होता है। दहेज के चक्कर में तमाम बेमेल शादियां हो रही हैं। इसका कुप्रभाव घर-परिवार ही नहीं, बल्कि समाज पर भी पड़ रहा है। शादी के कुछ दिनों बाद ही पति-पत्नी में अनबन शुरू हो जाती है। कई जगह लड़की को दहेज के लिए ससुराल में प्रताड़ित भी किया जाता है।

कासिम चचा ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- योगी राज के दूसरे भाग में बुलडोजर कुछ ज्यादा ही चलने लगा है। कुछ बड़े अधिकारी अपने नम्बर बढ़वाने के लिए गरीबों की झुग्गी-झोपड़ी पर भी बुलडोजर चलवा रहे हैं। हालांकि, मुख्यमंत्री ने इस बात का संज्ञान लिया है। अब आगे देखने वाली बात यह होगी कि योगी का बुलडोजर कहाँ, कब और कैसे चलता है? मोदीजी और योगीजी तो मुसलमानों से कोई भेदभाव नहीं करते हैं। उनकी सारी योजनाएं सबके लिए होती हैं। लेकिन, कुछ भाजपा नेता और प्रशासनिक अधिकारी मुस्लिम के साथ भेदभाव करते हैं। यह बेहद गलत है। इससे मोदीजी और योगीजी की छवि खराब होती है। अगर कोई अपराधी, माफिया या फिर आतंकवादी मुस्लिम है, तो इसमें आम मुसलमानों का क्या दोष है? अपराध की सजा अपराधी को दी जाए, नाकि उसकी पूरी कौम को। हम लोग भी भारत से प्यार करते हैं। देश की तरक्की चाहते हैं। पूरे देश में अमन-चैन चाहते हैं।

बड़के दद्दा बोले- कासिम मास्टर, मैं आपकी बात काट नहीं रहा हूँ। परन्तु, अब मुस्लिम समाज को सोचना होगा कि उसे क्या करना है? वह खुलकर राष्ट्रवाद के साथ रहेंगे या फिर आतंकवाद के साथ ही रहेंगे। आखिर तमाम मुसलमान अपने कौम के अपराधी और आतंकवादी के बचाव में क्यों खड़े हो जाते हैं? मुस्लिम समाज अपने कौम के आतंकी और अपराधी से दूरी क्यों नहीं बनाता है? आतंकी घटनाओं की खुलकर निंदा क्यों नहीं करता है? राष्ट्र विरोधी गतिविधियों की मुखालफत क्यों नहीं करता है। भाजपा सरकारों की सभी कल्याणकारी योजनाओं का सबसे ज्यादा लाभ मुस्लिम उठा रहे हैं। मोदी और योगी राज में ही मुसलमान सबसे ज्यादा महफूज हैं। लेकिन, भाजपा को वोट देने में उनका हाथ क्यों कांपने लगता है? आखिर आपका समाज वोट बैंक कबतक बना रहेगा? इन सवालों का जवाब भी मुस्लिम बन्धुओं को तलाशना चाहिए।

मैंने परपंचियों को कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 50 करोड़ 86 लाख लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें 62 लाख 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में चार करोड़ 30 लाख 53 हजार से अधिक लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। देश में अबतक पांच लाख 22 हजार से ज्यादा लोग बेमौत मारे जा चुके हैं। विश्व में कई महीने बाद एक बार फिर कोरोना ने जोर पकड़ा है। परन्तु, भारत में सफल टीकाकरण अभियान के कारण कोरोना नियंत्रण में है। देश में अबतक कोरोना वैक्सीन की 187 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं। करीब 90 करोड़ लोगों को डबल डोज दी जा चुकी है। भारत के टीकाकरण अभियान की पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है। बहरहाल, हमें मास्क और दो गज की दूरी का पालन करते रहना होगा। तभी हम सब कोरोना महामारी से सुरक्षित रहेंगे।

अंत में चतुरी चाचा ने दो महीने से चल रहे रूस-यूक्रेन महायुद्ध पर भारी चिंता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि रूस ने यूक्रेन के लगभग सारे शहरों को खंडहर में तब्दील कर दिया है। यूक्रेन के 75 प्रतिशत इलाके पर पुतिन की फौज काबिज हो चुकी है। यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की कीव के किसी बंकर में शरण लिये हैं। यूक्रेन अभी भी झुकने को तैयार नहीं है। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

नमस्कार,नैमिष टुडे न्यूज़पेपर में आपका स्वागत है,यहाँ आपको हमेसा ताजा खबरों से रूबरू कराया जाएगा , खबर ओर विज्ञापन के लिए संपर्क करे 9415969423 ,हमारे यूट्यूब चैनल को सबस्क्राइब करें, साथ मे हमारे फेसबुक को लाइक जरूर करें
%d bloggers like this: