
ग्रीष्मकालीन मूंगफली की खेती लाभदायक: डॉक्टर कनौजिया
ऋषभ दुबे नैमिष टुडे
कृषि विज्ञान केंद्र, अनौगी, कन्नौज के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ वी. के . कन्नौजिया, वैज्ञानिक डॉ अमर सिंह तथा चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय, कानपुर के वैज्ञानिक डॉ विनोद प्रकाश, डॉ राजेश राय व डॉ इंद्रपाल सिंह ने ग्रीष्मकालीन मूंगफली से अधिक उपज हेतु किसानों के खेतों पर लगाए गए प्रदर्शनों का अवलोकन किया। किसान सर्वेश कुमार निवासी सियारमऊ ने बताया कि केंद्र द्वारा दी गई तकनीक का बहुत अच्छा प्रभाव फसल पर देखने को मिल रहा है। इमीजाथाईपर के प्रयोग से खरपतवारों का जमाव बहुत कम तथा बिल्कुल भी नहीं हुआ जिससे निराई का खर्च बच गया। वहीं सल्फर के प्रयोग से फसल की बढ़वार अच्छी है तथा पौधों का रंग भी हरा है पीलापन नहीं है। वैज्ञानिकों ने पाया कि बीज उपचार के कारण पौधों की संख्या समान तथा रोग रहित फसल है। जैव उर्वरकों राईजोबियम व पी. एस . बी . कल्चर के प्रयोग के कारण भी फसल की वृद्धि बहुत अच्छी है । किसानों को समय समय पर आवश्यक सस्य क्रियाओं की भी सलाह दी । उन्होंने बताया कि तकनीकी के प्रयोग से 15 से 20 प्रतिशत उपज को बढ़ाया जा सकता है । उर्वरकों के असंतुलित प्रयोग, रोग व कीटों तथा खरपतवारों के नियंत्रण से मूंगफली का भरपूर उत्पादन प्राप्त हो सकता है। बुवाई के पूर्व बीज का उपचार कार्बेंडाजिम 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज किया जाना चाहिए जिससे मूंगफली को जड़ सड़न से नुकसान से बचाया जा सके। दीमक तथा गिडार से बचाव के लिए कार्टाप हाइड्रोक्लोरिड 4 जी 20 किग्रा प्रति हे. अथवा क्लोरपाईरीफॉस 3.5 ली. प्रति हे. की दर भूमि में प्रयोग करना चाहिए। वैज्ञानिकों ने बताया कि तकनीक के सही तथा समय पर प्रयोग से मूंगफली का 12 से 14 कुंतल प्रति एकड़ उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है तथा यह भी सलाह दी कि फसल की वृद्धि, पु