गांव में 60 के दशक से चली आ रही है अवधी एंव ब्रज भाषा में मिश्रित फाग गाने की परम्परा

गांव में 60 के दशक से चली आ रही है अवधी एंव ब्रज भाषा में मिश्रित फाग गाने की परम्परा

नैमिष टुडे/डॉ. अभय शुक्ला
लालगंज, प्रतापगढ़ । फागुन महीना शुरु होते ही आपसी भाई चारे को बढ़ावा देने वाले पर्व होली को लेकर होलियारों में एक अलग ही उत्साह देखने को मिलता है । लक्ष्मणपुर ब्लॉक के हंडौर दुबान में आज भी जीवांत है देशी फगुआ गाने का चलन । यहां 60 के दशक से फाग गीत गाने की परम्परा चली आ रही है जो आज भी यहा के लोगों के द्वारा गाया जाता है। अवधी एंव ब्रज भाषा में मिश्रित गीत को गाने वाले लालजी दुबे बताते हैं कि गांव में यह परम्परा उनके पूर्वज क्षत्रपाल दुबे,बाबूलाल दुबे, दशाराम दुबे आदि ने गांव वालों के साथ मिलकर शुरु की थी । जिसे बाद में रामसुन्दर दुबे, कमलाकांत दुबे, शंभूनाथ दुबे ने जीवांत रखा और अब हम लोग इस परम्परा को आगे बढ़ा रहे हैं । गांव के एडवोकेट राजकुमार दुबे बताते हैं कि समाज के लोगों के साथ बैठकर जब फाग गीत गाया जाता है उस दौरान जिस आनंद की अनुभूति होती है वैसी अनुभूति कृत्रिम यंत्रों से गीत संगीत सुनने से नही आ सकती । ढोलक वादक हरिशंकर बताते हैं कि उन्हे ढोलक बजाने की कला पिता से विरासत के रुप में मिली है, इस महीने का साल भर से इंतजार रहता है । लक्ष्मीकांत एंव राजेश दुबे कहते हैं कि गांव में प्रतिदिन अलग- अलग घरों शाम के समय‌ लोग एकत्र होते हैं और फाग गीत गाया जाता है । फाग गीत गायन के दौरान लक्ष्मीशंकर दुबे, लालबहादुर, रामललन, रमाकांत , कृपाशंकर, रामशिरोमणि , राज दुबे, सूरज दुबे, रामजी दुबे आदि कू मौजूदगी रहती है।

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