
गरीब बच्चो के जिन्दगी को शिक्षा के रंग रंग रही नई पहल फाउंडेशन
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
सीतापुर ः जिले में मलिन बस्तियों की तस्वीर निराश करने वाली है. यहां आशैक्षिक, र आर्थिक रूप से कमजोर पारिवारिक पृष्ठभूमि का बच्चों के विकास पर गहरा असर पड़ा है. यहां के बच्चे हर मायने में आम बच्चों की अपेक्षाकृत पिछड़ेपन का शिकार हैं. यहां, जिन बच्चों के माता-पिता निरक्षर हैं वो अपने बच्चों की शिक्षा के प्रति कम जागरूक हैं, लेकिन वर्तमान में निरक्षर अभिभावक भी शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण बनाते जा रहे हैं. ऐसा ही कुछ देखने को मिल रहा है जिले के विकासखंड कसमण्डा की मलिन बस्तीयो में. जहां, कई ऐसी लड़कियां है जो पढ़ना चाहती हैं, लेकिन वो आर्थिक तौर पर काफी कमजोर हैं. लिहाजा,जिले की समाजिक संस्था नई फहल फाउंडेशन की टीम इन बच्चों को शिक्षा मुहैया कराकर उनके सपनों को पंख लगा रही है मलिन बस्तियों का हाल वैसे तो मलिन बस्तियों में रहना ही अपने आप में काफी पीड़ादायक है. इन बस्तियों के बच्चे आज भी शिक्षा से वंचित हैं और यहां की तस्वीर बहुत भयावह है. इन बस्तियों में रहने वाले लोग सिर्फ शिक्षा के मोर्चे पर ही नहीं, बल्कि और भी कई मोर्चों पर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इन बस्तियों में जीवन बसर कर रहे लोग बुनियादी सुविधाओं से भी वंचित हैं. और शिक्षा का स्तर सबसे निचले पायदान पर है. खासकर, सरकार जहां बच्चों को स्कूल जाने एवं पढ़ाने की पहल के ‘सर्व शिक्षा अभियान’ के तहत ‘सब पढ़ो सब बढ़ो’ का नारा दे रही है मलिन बस्तियों के 30 फीसदी बच्चे ले रहे शिक्षा इन सबके बीच ये बदतर तस्वीर चिंतित करने वाली है. हालांकि, सामाजिक संगठन इस मामले में आगे आ रहे हैं. इन्हीं में से एक नाम है नई पहल फाउंडेशन कस्बे सचिव जो एक छात्रा हैं. वो पुलिस परामर्श केन्द्र की काउसलर माण्डवी मिश्रा के साथ मिलकर मलिन बस्तियों में शिक्षा की अलख जगा रही हैं. वो आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों के बच्चों को शिक्षित करने की सराहनीय पहल कर रही हैं. वो उन बच्चों का स्कूलों में दाखिला करा रही हैं, जिनके अभिभावक साल भर की फीस भी वहन नहीं कर सकते.
बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चे.मलिन बस्ती में रहने वाली सुमन कहती हैं वो गरीब परिवार से ताल्लुक रखती हैं. उनकी की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. लिहाजा, वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा नहीं मुहैया करा पा रही है . वहीं कक्षा 9 की छात्रा अंजली आंखों में आंसू लिए अपने सपने की बुनियाद को मजबूत कर रही हैं. वो भी आर्थिक रूप से काफी कमजोर हैं. लेकिन बाप मजदूर हैं, लिहाजा, नई पहल फाउंडेशन की टीम इन बच्चों को सहारा बनी है शिक्षा लेने वालों में बालिकाएं ज्यादा
फाउंडेशन की माण्डवी मिश्रा व आरूषी तिवारी का कहना है कि स्लम एरिया की सामाजिक कुरीतियों और अंधविश्वास से मुक्ति दिलाने के लिए बच्चों को बेहतर और क्वालिटी बेस्ड शिक्षा देकर उनके कंधों को मजबूत किया जा सकता है. उनकी संस्था ऐसे बच्चों को खोज-खोज कर दोबारा स्कूलों में प्रवेश दिला रही है, जिन्होंने आर्थिक तंगी के कारण प्राथमिक शिक्षा के दौरान ही स्कूल छोड़ दिया. या आर्थिक स्थिति के कारण नियमित स्कूल नही जा पा रहे है संस्था बच्चों को पठन-पाठन में किसी भी प्रकार कि दिक्कत न हो, इसलिए पठन-पाठन के लिए सामग्री भी मुफ्त में उपलब्ध कराती है.