
सांडा-सीतापुर-तालाब के पानी को पम्पिंग सेट से निकालकर किया जा रहा बर्बाद। सूचना के बाद भी जिम्मेदारों ने नहीं लिया संज्ञान।
पानी मानव की ही नहीं, प्रत्येक प्राणी की आवश्यकता है। इसके बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रकृति बड़ी दयालु है जो हर वर्ष वर्षा के मौसम में नदी, नाले, तालाब, झील आदि को पानी से लबालब भर देती है। यदि हम इनमें एकत्र जल को संजोकर रख सकें, तो यह आने वाले जल-संकट से मुक्ति दिला सकता है।
यदि तालाब सूखे पड़े रहें तो पेयजल का संकट और गहरा सकता है। तालाब से ही भूमिगत जलस्रोतों में पानी की आवक होती है। कुएँ और ट्यूबवेल में तभी तक पानी आता है जब तक तालाब में पानी होता है। एक तालाब अपने आसपास के कई किलोमीटर क्षेत्र में भूमिगत जलस्रोतों का पोषण करता है। इससे पेयजल व्यवस्था सुगम और सुचारू हो सकती है। वर्षा के जल अथवा बहते पानी को रोककर रखे जाने हेतु तालाबों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। साथ ही पशु पक्षियों के पानी पीने के लिये सरकार द्वारा तालाबों में जल भरवाया जाता है।
लेकिन विकास खण्ड सकरन मुख्यालय की ग्राम पंचायत सांडा चंद कदमों की दूरी पर स्थित कब्रिस्तान के निकट तालाब का पानी दो दिन से लगातार पंपिंग सेटों से निकाला जा रहा है। जिसकी सूचना एडीओ आईएसबी विजय कुमार श्रीवास्तव को दी गई तो उन्होंने बताया ये मेरा काम नहीं है। और फोन काट दिया गया। वहीं एसडीएम बिसवां मनीष कुमार ने बताया प्रकरण संज्ञान में नहीं है। अभी दिखवा रहा हूं।