पटना, बिहार दिवस पर बात बिहारी व्यंजनों की हो तो लिट्टी-चोखा (Litti-Chokha) की चर्चा जरूर होती है। इसके दीवानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी (PM Narendra Modi) भी शामिल हैं। स्वास्थ्य कारणों से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) अब भले ही लिट्टी-चोखा का स्वाद नहीं ले पाएं, लेकिन इसके प्रति उनकी दीवानगी जग-जाहिर है। इसके दीवानों में बॉलीवुड अभिनेता आमिर खान (Amir Khan) भी शामिल हैं। माना जाता है कि यह बिहारी व्यंजन सम्राट चंद्रगुप्त (Chandragupta) के काल में अस्तित्व में आया। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारी इसे अपने साथ लेकर चलते थे। झांसी की रानी (Queen of Jhanshi) एवं तात्या टोपे (Tatya Tope) भी इसे पसंद करते थे।
विदित हो कि लिट्टी सत्तू भरा आटे का गोला होता है, जिसे जलते अलाव में सेंका जाता है। इसके साथ खाने के लिए आग पर सेंके गए आलू, बैगन व टमाटर से चाेखा बनाया जाता है। वक्त के साथ इसमें कुछ बदलाव भी आए हैं। अब कई जगह लिट्टी को सेंकने के बजाय तेल में फ्राय करके भी बनाया जाता है। चाेखा के बदले शोरबा या रसदार सब्जी के साथ खाने का प्रचलन भी हुआ है। लिट्टी-चोखा आसानी से बनने वाले व्यंजनों में शामिल है। बिहार के अलावा यह झारखंड व उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में भी प्रचलित है।
चंद्रगुप्त काल में शुरू हुआ लिट्टी का सेवन
लिट्टी-चोखा के इतिहास की बात करें तो इसका प्रमाण प्राचीन मगध काल में मिला है। माना जाता है कि यह व्यंजन मगध काल में प्रचलन में आया। इतिहासकारों के अनुसार चंद्रगुप्त मौर्य के सैनिक युद्ध के दौरान अपने साथ लिट्टी रखते थे।