उत्तर प्रदेश में अपने सियासी सूखे को खत्म करने के लिए हर कुएं में बांस डालने के बाद हताश कांग्रेस की उम्मीदें महिलाओं पर जा टिकी थीं। पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को भरोसा था कि नारी-शक्ति बेदम कांग्रेस को ऊर्जा दे सकती है और वह ””लड़की हूं, लड़ सकती हूं”” का नारा बुलंद करते हुए सड़कों उतर आईं। वह सड़क पर लड़ती रहीं और भाजपा धीरे से ही मतदाताओं के घर की देहरी में घुस गई। राशन, रसोई गैस, पक्की छत सरकार ने दे दी और दिल जीतने में महिला मोर्चा ने पसीना बहा दिया। भाजपा की रणनीति का असर देखिए। कांग्रेस या मुख्य प्रतिद्वंद्वी सपा की तुलना में कहीं ज्यादा महिलाओं का वोट भाजपा को मिला। सिर्फ मतदाता ही नहीं, कांग्रेस को महिलाओं का वोट दिलाने के लिए लड़ रहीं अभियान की तीन ””पोस्टर गर्ल”” भी भगवा खेमे में चली आईं।
विधानसभा चुनाव के लिए मतदान से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने विश्वास जताया था कि महिलाओं का समर्थन भाजपा को मिलेगा। छह चरणों के मतदान के बाद दावा किया कि माता-बहनें भाजपा के साथ हैं और चुनाव परिणाम आने के बाद प्रधानमंत्री के साथ ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी खुलकर कहा कि भाजपा की प्रचंड बहुमत की जीत में महिला मतदाताओं की बड़ी भूमिका है। समाचार एजेंसियों के सर्वे भी कह रहे हैं कि सपा की तुलना में 16 फीसद अधिक महिलाओं को भाजपा को वोट दिया है, जबकि पुरुषों के मामले में महज चार फीसद का ही अंतर है। ये आत्मविश्वास और परिणाम यूं ही नहीं है।