भारत और चीन के बीच आज 15वीं बार सैन्य स्तर की वार्ता होने जा रही है। लेकिन भारत-चीन के बीच इस वार्ता से पहले भारतीय सेन और राजयनिकों इस वार्ता से बहुत कम उम्मीदे हैं कि इससे कुछ अपेक्षित सकारात्मक हल निकलेगा।दरअसल दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में चल रहे विवाद को खत्म करने के लिए सैन्य स्तर की कई बार बैठक हो चुकी है, लेकिन अभी तक की बैठकें बेनतीजा रही हैं। लिहाजा इस बार फिर से चुसुल में होने वाली बैठक से किसी खास नतीजे की उम्मीद नहीं है।
गौर करने वाली बात है कि भारत और चीन के बीच एलएसी पर 1597 किलोमीटर की सीमा को लेकर विवाद चल रहा है। आरोप है कि चीन की सेना ने गलवान घाटी और पैंगोंग सो झील पर मई 2020 में अपने आप ग्राउंड पोजीशन को बदल दिया। पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने अपने कदम अप्रैल 2020 में आगे बढ़ाए और पूर्व निर्धारित सीमा के समझौते को तोड़ते हुए गोगरा-हॉट स्प्रिंग इलाके में अपना फॉरवर्ड ब्लॉक स्थापित कर लिया जोकि कोंगका ला पेट्रोलिंग इलाके से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर है। फिलहाल भारतीय सेना यहां पर अलर्ट है और चीन की ओर से किसी भी उकसावे की कार्रवाई से निपटने के लिए तैयार हैदोनों देशों की सेना के बीच वार्ता को लेकर किसी खास परिणाम की उम्मीद नहीं है बावजूद इसके दोनों पक्षों ने सैन्य स्तर पर बातचीत के विकल्प को खुला रखने का फैसला लिया है, जिससे कि दोनों सेनाओं के बीच किसी भी टकराव की स्थिति को टाला जा सके। मई 2020 से दोनों ही देश की सेनाओं ने तकरीबन 50 हजार सैनिकों, सैन्य हथियार आदि को यहां तैनात कर रखा है। एक तरफ जहां रूस यूक्रेन पर हमला कर रहा है और यूक्रेन की सीमा पर नियंत्रण हासिल कर रहा है तो दूसरी तरफ इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि चीन खुद को एक जिम्मेदार देश के तौर पर दुनिया के सामने दिखाने की कोशिश कर रहा है और वह बातचीत को जारी रख रहा है। लेकिन यहां यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि चीन की सेना ने एलएसी पर बड़ी संक्या में सैन्य मुस्तैदी को बढ़ाया है जोकि भारतीय सेना के लिए चुनौती बनी हुई है।