अहिरोरी ब्लाक के सलेमपुर गांव वासियों के लिये पुनीत मिश्रा बने भागीरथ 

अहिरोरी ब्लाक के सलेमपुर गांव वासियों के लिये पुनीत मिश्रा बने भागीरथ

 

 

अहिरोरी/हरदोई_मेहनत नही जाती बेकार किसी की, पत्थर भी सुना करते हैं फरियाद किसी की” इस कहावत को चरितार्थ करते हुये बेनीगंज कस्बे मे जन्मे समाजसेवी,पत्रकार,किसान नेता रहे पुनीत मिश्रा विकास खण्ड अहिरोरी की ग्राम पंचायत डही के मजरा सलेमपुर गांव वासियों के लिये भागीरथ बन कर उभरे है।जिस प्रकार राजा सगर के एक सह्रस पुत्र कपिल मुनि के श्राप से भस्म हो गये जिन्हे तारने के लिये इस पवित्र भूमि पर भागीरथ ने जन्म लेकर अपने कठिन तपस्या के द्वारा धरती पर गंगाजी को लाकर अपने पुरखों को तार दिया उसी प्रकार सलेमपुर वासियों के लिये इस युवा समाजसेवी ने भडायल ड्रेन पर पुल बनवाने की भीष्म प्रतिज्ञा कर डाली।बताते चलें कि सलेमपुर गांव को जाने वाले मुख्य और सीधे मार्ग पर भडायल ड्रेन बहती रहती थी जिससे ग्रामीणो को पानी मे घुसकर निकल पडता था।बारिश के मौसम मे ओवर फ्लू ड्रेन बहने से लोगों को खासी दिक्कत उठानी पडती थी।नन्हे मुन्ने बच्चे जहाँ पढ़ने नही जा पाते थे वही बीमार लोगों को इलाज के लिये ले जाना दुश्वार हो जाता था।इस भडायल ड्रेन मे कई लोग हादसे का शिकार भी हो गये।इस गम्भीर समस्या को लेकर कभी किसी भी राजनेता ने ध्यान नही दिया।अपनी बेबसी व मजबूरी को अपना भाग्य मानकर बैठे ग्रामीणो को पुनीत मिश्रा जैसा जुझारू युवा समाजसेवी मिला तो लोगों के सपनों मे पंख लग गये।समाजसेवी पुनीत मिश्रा ने पुल निर्माण के लिये शासन प्रशासन को पत्र लिखने शुरू किए लेकिन अन्धा बहरा प्रशासन हर बार की तरह कागजी घोडा दौडाने लगा लेकिन प्रशासन को यह पता नही था कि महाभारत के भीष्म की तरह प्रतिज्ञा मे आवद्ध यह युवा रूकेगा नही।इसी बीच भाकियू ने इस संघर्षरत युवा को अपना जिलाध्यक्ष बनाया फिर क्या था किसानों के हितार्थ संघर्ष करते हुये भडायल ड्रेन का मुद्दा कभी नही छोडा।तमाम संघर्ष के बाद भी सफलता न मिलने पर लोग हतोत्साहित होने लगे फिर भी यह युवा सभी को साधते हुये भडायल ड्रेन पर पुल की मांग पर अडिग रहा।वर्षों संघर्ष के बाद जब इस ड्रेन की नाप जोख शुरू हुई।तो लोगों को लगा कि संघर्ष का परिणाम आने लगा है।प्रशासन के बहुत डराने धमकाने के बाद भी जब पुनीत मिश्रा नही झुके तो प्रशासन को मजबूर होकर ड्रैन पर पुल निर्माण का प्रस्ताव शासन को भेजना पडा जिस पर शासन द्वारा पुल स्वीकृति के बाद निर्माण कार्य जारी है।इस पुल का श्रेय कोई ले कोई राजनीति करे लेकिन सलेमपुर गांव के लोगों के दिलो पर पुनीत मिश्रा के संघर्ष की छाप दिखाई पडती है।गांव वासी केवल पुनीत मिश्रा को ही पुल निर्माण का श्रेय देते नही थक रहे है।इस युवा समाजसेवी की द्रढता व अडिगता ने एक बार यह सिद्ध कर दिया कि’ जिस ओर जवानी चलती है उस ओर जमाना चलता है”। बेनीगंज क्षेत्र मे यह युवा समाजसेवी युवा वर्ग के लिये प्रेरणास्रोत बना हुआ है।इस युवा के प्रयास ,धैर्य व कर्मठता ने सिद्ध कर दिया कि दुनिया मे कुछ भी असम्भव नही है।”कौन कहता है कि आसमां मे छेद नही हो सकता।एक पत्थर तबियत से उछालो यारों”।

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