48 वें जी-7 शिखर सम्मेलन 26 – 28 जून 2022 में भारत का दिखा दम!! 

48 वें जी-7 शिखर सम्मेलन 26 – 28 जून 2022 में भारत का दिखा दम!!

 

जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत के रुतबे,दम एवं प्रतिष्ठा का बढ़ता वैश्विक कद, दूरगामी आगाज़ का प्रतीक

 

दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति भारतीय पीएम से हाथ मिलाने खुद ढूंढता हुआ आए, यह भारत के रुतब, प्रतिष्ठा, दम को दिखाता है – एड किशन भावनानी

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की बढ़ती प्रतिष्ठा और दम का आगाज़ हम बीते कुछ वर्षों से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से सुन देख रहे हैं और सोशल मीडिया में भी ऐसे फुटेज की भरपूरता है, जहां वैश्विक स्तरपर अब भारत का परचम लहरा रहा है इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से जर्मनी के म्यूनिख में संपन्न हुए जी-7 शिखर सम्मेलन 26-28 जून 2022 पर चर्चा कर भारत के बढ़ते वैश्विक कद और उसके दूरगामी परिणामों के बारे में टीवी चैनलों द्वारा दिखाए गए न्यूज़ पर आधारित चर्चा करेंगे।

साथियों बात अगर हम जी-7 शिखर सम्मेलन के दूसरे दिन की करें तो सारी मीडिया ने इस बात पर ध्यान खींचा कि जी-7 में एक बार फिर भारत की विदेश नीति की कामयाबी और पीएम की लोकप्रियता की झलक देखने को मिली। सम्मेलन से पहले तमाम राष्ट्राध्यक्षों की भीड़ में अमेरिकी राष्ट्रपति खुद चलकर पीएम के पास पहुंचे, उनका कंधा थपथपाकर ध्यान खींचा और उनसे हाथ मिलाया। दुनिया के सबसे ताकतवर देश के राष्ट्रपति का ये कदम पूरे अंतरराष्ट्रीय मीडिया को हैरान कर रहा था।

मीडिया नें इस वीडियो को शेयर किया है। इस वीडियो में हम देख सकते हैं कि पीएम से मिलने के लिए किस तरह अमेरिकी राष्ट्रपति ने इंतजार नहीं किया, बल्कि खुद चलकर उनके पास गये और गर्मजोशी से हाथ मिलाया। इससे पहले सोमवार को जर्मनी के चांसलर ने जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम का स्वागत किया। उन्होंने दक्षिणी जर्मनी में शिखर सम्मेलन के आयोजन स्थल श्लॉस इलमाउ पहुंचने पर पीएम की अगवानी की। यहां दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के नेता यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, खाद्य सुरक्षा और आतंकवाद से मुकाबला सहित विभिन्न महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा किए है। इस दौरान पीएम ने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों से मुलाकात की और आपसी संबंधों को मजबूती देने का प्रयास किया। पीएम जी-7 के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए रविवार से दो-दिवसीय यात्रा पर जर्मनी में हैं।

भारत ने रूस-यूक्रेन संकट, कोविड महामारी और दूसरे मसलों में जैसी कूटनीति की है, उसका अमेरिका भी कायल है। यही कारण है कि अमेरिका के राष्ट्रपति हमारे पीएम को इतना महत्व देते नजर आ रहे हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के दौरान जब पूरी दुनिया अलग-अलग ध्रुवों की तरफ खुलकर आ रही थी, उस दौरान भारत ने संतुलन को बनाए रखा। भारत ने अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के बावजूद रूस से भारी मात्रा में तेल आयात किया और अमेरिका को भी इससे कोई परेशानी नहीं हुई। जिसे हमारे पड़ोसी मुल्क और विस्तार वादी मुल्क हैरान भरे अंदाज में देख रहे हैं।

साथियों बात अगर हम जी-7 शिखर सम्मेलन के उद्देश्यों की करें तो, बता दें कि इस सम्मलेन में दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के नेता यूक्रेन पर रूसी आक्रमण, खाद्य सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहित विभिन्न महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर चर्चा किए हैं। दुनिया के सात सबसे अमीर देशों के समूह जी-7 के अध्यक्ष के रूप में जर्मनी इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी ने मेजबानी करने का सौभाग्य प्राप्त किया था।

साथियों बात अगर हम जी-7 शिखर सम्मेलन में पीएम के बेहतर भविष्य में निवेश, जलवायु ऊर्जा, स्वास्थ्य विषय पर टिप्पणी की करें तो पीआईबी के अनुसार उन्होंने कहा, दुर्भाग्यवश, ऐसा माना जाता है कि विश्व के विकास और पर्यावरण सुरक्षा के लक्ष्यों के बीच एक मूल टकराव है। एक और गलत धारणा यह भी है कि गरीब देश और गरीब लोग पर्यावरण को अधिक नुक्सान पहुंचाते हैं। किन्तु भारत का हज़ारों वर्षों का इतिहास इस सोच का पूर्ण रूप से खंडन करता है।

प्राचीन भारत ने अपार समृधि का समय देखा; फिर हमने आपदा से भरी गुलामी की सदियाँ भी सहीं और आज स्वतन्त्र भारत पूरे विश्व में सबसे तेज़ी से ग्रो कर रही बड़ी अर्थव्यस्था है। किन्तु इस पूरे कालखंड में भारत ने पर्यावरण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को रत्ती भर भी ढीला होने नहीं होने दिया। भारत में विश्व की 17 फ़ीसदी आबादी रहती है। किन्तु वैश्विक कार्बन इमिशन में हमारा योगदान सिर्फ 5 फ़ीसदी है। इसका मूल कारण हमारी जीवनशैली है, जो नेचर के साथ सह-सस्तित्व के सिद्धांत पर आधारित है।

साथियों भारत जैसा विशाल देश जब ऐसी महत्वाकांक्षा दिखाता है तो अन्य विकासशील देशों को भी प्रेरणा मिलती है। हमें आशा है कि जी-7 के समृद्ध देश भारत के प्रयत्नों को समर्थन देंगे। आज भारत में क्लीन एनर्जी टेक्नोलॉजीज के लिए एक बहुत बड़ा बाज़ार बन रहा रहा है। जी-7 देश इस क्षेत्र में रिसर्च, इनोवेशन, और मैन्युफैक्चरिंग में निवेश कर सकते हैं। हर नयी प्रौद्योगिकी के लिए भारत जो स्केल दे सकता है उससे वह प्रौद्योगिकी पूरे विश्व के लिए किफायती बन सकती है। सर्कुलर ईकोनॉमी के मूल सिद्धांत भारतीय संस्कृति और जीवनशैली का अभिन्न हिस्सा रहे हैं।

साथियों बात अगर हम पीएम द्वारा जर्मनी में अप्रवासी भारतीयों से मिलने की करें तो उन्होंने कहा, बीते दशकों में आपने मेहनत से, अपने काम से भारत की सशक्‍त छवि यहां बनाई है। आजादी के अमृतकाल में यानी आने वाले 25 साल में आपसे अपेक्षाएं और बढ़ गई हैं। आप इंडिया की सक्सेस स्टोरी भी हैं और भारत की सफलताओं के ब्रांड एंबेसडर भी हैं। और इसलिए मैं आप सब साथियों को, विश्‍वभर में फैले हुए मेरे भारतीय भाइयों-बहनों को हमेशा कहता हूं कि आप राष्‍ट्रदूत हैं। सरकारी व्‍यवस्‍था में एक-दो राजदूत होते हैं, मेरे तो करोड़ों राष्‍ट्रदूत हैं जो मेरे देश को आगे बढ़ा रहे हैं।

साथियों बात अगर हम जी-7 शिखर सम्मेलन की स्थापना की करें तो, इस मंच की स्थापना फ्रांस द्वारा 1975 में समूह-6 के नाम से विश्व के 6 सबसे धनी राष्ट्रों की सरकारों के साथ मिलकर की थी, यह राष्ट्र थे फ़्रांस, जर्मनी,इटली, जापान, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका। 1976 में इसमे कनाडा को शामिल कर लिया गया और मंच का नाम बदलकर समूह-7 कर दिया गया।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 48 वें जी-7 शिखर सम्मेलन 26-28 जून 2022 में भारत का दम दिखा!! जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत को रुतबे, दम, प्रतिष्ठा के बढ़ते वैश्विक कद, दूरगामी आगाज़ का प्रतीक हैं। दुनिया के सबसे ताकतवर देश का राष्ट्रपति भारतीय पीएम से हाथ मिलाने खुद ढूंढता हुआ आए यह भारत का रुतबा, गौरव दम और प्रतिष्ठा दिखाता है।

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