चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
ककुवा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- अखबारन मा छपि रही ख़बरन ते लागत हय कि महाराष्ट्र म उद्धव ठाकरे क गिने-चुने दिन बचे हयँ। भाजपा बड़ी सधी चाल चल रही। बीजेपी गालिव म हय अउ चवाट ते बहिरव हय। भाजपाई उद्धव सरकार का गिरावयम जीव-जान ते जुटियान हयँ।मुला, शिवसेना केरे विद्रोह ते अपन पल्ला झाड़ि रहे। भाजपाई कह रहे, शिवसेना क आंतरिक मसले ते उनका कौनव वास्ता नाइ। शरद पंवार अउ सोनिया गांधी उद्धव क जीवनदान देय म लाग हयँ। मुदा, उद्धव क अब बचब मुश्किल हय। काहे ते एकनाथ शिंदे महाअगाड़ी सरकार क गिरायक मानिहै। मतलब भरके विधायक, सांसद अउ शिव सैनिक शिंदे क पालम हयँ। तमाम विधायक रातोंरात महाराष्ट्र ते गुजरात चलेगे। फिर सब गोहाटी म डेरा डार दिहिन। शिवसेना म इत्ती बड़ी बगावत होइगै। उद्धव बिचरउ देखतय रहिगे। द्याखा जाय तौ उद्धव अउ उद्धव पूत आदित्य केरे लक्षनन शिवसेना खण्ड-खण्ड होइगै। उद्धव बाला साहेब केरी हिंदुत्ववादी सोच ते उलटा चलय लागि रहयँ। यही कारन शिव सैनिक कुंठित होत चलेगे। याक बात अउर, इ बगावत ते राष्ट्रपति चुनावव म विपक्ष कमजोर परिगा।
चतुरी चाचा का प्रपंच चबूतरा आज उज्जैन के महाकाल मंदिर परिसर में सजा था। सभी प्रपंचियों ने भोर में त्रिभुवन वन्दिता क्षिप्रा नदी में स्नान-ध्यान किया। फिर महाकाल मंदिर में देवों के देव महादेव के दिव्य दर्शन किये। उसके बाद मेरी अगुवाई में सबने बगल में स्थित माँ हरिसिद्धि मन्दिर में पूजा-अर्चना की। यहां पूजा-पाठ के बाद चतुरी चाचा ने निर्णय लिया कि होटल के बजाय महाकाल मंदिर परिसर में पंचायत की जाए। मेरे साथ चतुरी चाचा, ककुवा, बड़के दद्दा, मुंशीजी, कासिम चचा, चंदू बिटिया, बड़को व नदियारा भौजी वापस फिर महाकाल मंदिर आ गए। यहां एक कोने में सारे प्रपंची चतुरी चाचा को घेर कर बैठ गए। ककुवा ने लगे हाथ प्रपंच का आगाज कर दिया। उनका कहना था कि महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की सरकार अब ज्यादा दिन नहीं चलेगी। शिवसेना, एनसीपी व कांग्रेस की महाअगाड़ी सरकार बचाने के लिए शरद पंवार, सोनिया गांधी व उद्धव ठाकरे रात-दिन जुटे हैं। लेकिन, शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे की बगावत का कोई तोड़ नहीं मिल रहा है। भाजपा इस राजनीतिक शतरंज की बिसात पर बड़ी सधी चाल चल रही है। शिंदे भाजपा के रणनीतिकारों के मुताबिक राजनीतिक गोटियां खेल रहे हैं। हालांकि, भाजपा यही कह रही है कि यह शिवसेना का आंतरिक मामला है। उसका इस बगावत से कोई लेनादेना नहीं है। शिंदे के पास आवश्यकता के अनुरूप विधायक, सांसद व शिव सैनिक हैं। अखबारों की माने तो अब उद्धव सरकार चंद दिनों की मेहमान है। साथ ही, शिव सेना भी एकनाथ की हो जाएगी। यह सब उद्धव ठाकरे व उनके बेटे आदित्य ठाकरे की गलत नीतियों के कारण हो रहा है। ये पिता-पुत्र बाला साहेब ठाकरे की हिंदुत्ववादी सोच के विपरित चलने लगे थे। इससे शिव सैनिक कुंठित होते चले गए। अंततः शिव सैनिकों ने एकनाथ शिंदे की अगुवाई में विद्रोह कर दिया।
चतुरी चाचा ने ककुवा की बात पर मोहर लगाते हुए कहा- उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनय क लालच म सब गोड़ दिहिन। उई अपने बाप बाला साहेब केरी सोच ते बड़ी दूरि हयँ। सत्ता क भूखे उद्धव शिवसेना केरी नाशि पढ़ि दिहिन। उद्धव जब ते मुख्यमंत्री बने, तब ते महाराष्ट्र म बवालय चलि रहा। उद्धव विवाद क पर्यायवाची बनिगे। उद्धव उत्तर भारतीयन का पहिलेन ते खटकत रहयं। अब मराठन केरी आंखन म चुभि रहे। हम तौ कहित हय कि उद्धव अनुभवहीन हय। उह गैरराजनीतिक आदमी हय। वहिका राजनीति केरी एबीसीडी नाय आवत। ऐसे मनई क मुख्यमंत्री रहब कौनव क हित म नाइ हय। खैर, राजनीति क गोली मारव। ककुवा प तौ हर बखत राजनीति सवार रहत हय। हम पंच तीर्थटन करय आये हन। कुछु इहि पय बात करत जाव। जिहते लोगन का कुछु जानकारी मिलय। हमका तौ उज्जैन नगरी बड़ी नीक लागि। महाकाल, हरिसिद्धि मइया क आजु दर्शन होइगे। क्षिप्रा म डुबकी लगाय चुकेव सब जने। संझा तलक काल भैरव, मंगलनाथ, सन्दीयपन आश्रम, गढ़ कालिका, चिंतामन गणेश, गोमती कुंड, बावन कुंड, इस्कान मन्दिर, गोपाल मन्दिर क दर्शन कय लेव। फिरि इंदौर निकर चलव सब जने। काल्हि इंदौर घुमिके ओंकारेश्वर चला जाय। परवं सबेरे नर्मदा मइया म डुबकी मारिके ओंकारेश्वर का जलाभिषेक कीन जाय। जिहिते हम पँचन का दुई ज्योतिर्लिंग केरे दर्शन होय जायँ। वापसी म महेश्वर चलिके महादेव क दर्शन कीन जाइ।
इसी दौरान चंदू बिटिया, बड़को व नदियारा भौजी भी महिला मंडली के साथ प्रपंच स्थल पर आ गयी। सबने प्रसाद ख़ाकर ठंडा पानी पीया। ककुवा ने चंदू से कहा- बिटिया, सब जनी सगरा मन्दिर घुमिके आव। आजु जी भरिके फोटो-सोटो खिंवाय लेव। तब तलक हम पंच हिंया पंचायत कय रहेन। युहु सब निबट जाय, तब बाहर निकर क भोजन-पानी कीन जाइ। इतना सुनकर चंदू बिटिया के साथ महिला मंडली महाकाल मंदिर घूमने चली गयी। इसके बाद बतकही एक बार फिर आगे बढ़ी।
मुंशीजी ने कहा- काशी विश्वनाथ की तरह महाकाल में कॉरिडोर बनाने और अन्य कई विकास कार्य कराने की जरूरत है। मन्दिर परिसर में कुछ निर्माण चल भी रहा है। इसके अलावा क्षिप्रा नदी के घाटों की नियमित सफाई व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि, रामघाट की सीढ़ियों पर मोटी काई जमी है। चिकनी काई के कारण यात्री अक्सर फिसल कर चोट खा जाते हैं। आज हम लोग भी क्षिप्रा की काई से दो-चार हुए हैं। लखनऊ में रविन्द्र सिंह भदौरिया बता रहे थे कि क्षिप्रा नदी के घाटों की तरह ओंकारेश्वर में नर्मदा नदी के घाटों पर भी काई जमी है। दोनों जगह बड़ी सावधानी के साथ स्नान करना। ओंकारेश्वर में ममलेश्वर मन्दिर के पास अच्छे घाट बने हैं। पर, वहां पर बोट और स्टीमर वालों का डेरा रहता है। नहाने के लिए ओंकारेश्वर मन्दिर के गेट से कुछ दूर पर घाट है। परन्तु, इस घाट पर मूलभूत सुविधाओं की कमी है। घाट उबड़-खाबड़ है। बाकी नर्मदा के किनारे पत्थरों पर खतरनाक काई जमी है। वहां भी आये दिन श्रद्धालु फिसलकर चोटिल होते हैं। इस घाट को सुंदर और सुविधाजनक बनाने की सख्त जरूरत है। इसी तरह उज्जैन के प्रसिद्ध काल भैरव मंदिर परिसर में सड़क और सौंदर्यीकरण का कार्य कराए जाने की आवश्यकता है।
बड़के दद्दा ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- उड़ीसा की द्रौपदी मुर्मू का देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति बनना तय है। अगले महीने रायसीना हिल यानी राष्ट्रपति भवन में नया इतिहास रचा जाएगा। भाजपा ने झारखंड की पूर्व राज्यपाल मुर्मू को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाकर विपक्ष को लाचार कर दिया है। विपक्ष की अनेकानेक पार्टियों में राष्ट्रपति पद के लिए कोई प्रत्याशी तक नहीं मिला। अंततः विपक्षी पार्टियों ने भाजपा के बागी पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को “डमी कंडिडेन्ट” के रूप में उतरा है। कुछ विपक्षी दलों को मजबूरन भाजपा प्रत्याशी मुर्मू का साथ देना होगा। राष्ट्रपति चुनाव अब सिर्फ खानापूर्ति है। आगामी 18 जुलाई को पूरे देश में मतदान होगा। आगामी 24 जुलाई को मौजूदा राष्ट्रपति रामनाथ कोविद का कार्यकाल पूरा हो जाएगा।
कासिम चचा ने तीर्थटन पर ही बात करते हुए कहा- मुझे अपने दीन से जुड़े इबादत गाहों में जाना जितना अच्छा लगता है। उतना ही हिन्दू धार्मिक स्थानों पर जाना भाता है। मैं अयोध्या, मथुरा, बालाजी, पुष्कर, काशी, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनोत्री, नैमिष, पूर्णागिरि, वैष्णो देवी इत्यादि धार्मिक स्थलों की यात्रा कर चुका हूं। उज्जैन पहली बार घूम रहा हूँ। इस यात्रा में ओंकारेश्वर व महेश्वर के भी दर्शन हो जाएंगे। मेरे गांव-जवार के कई हिन्दू भाई देवा, अजमेर, हुसैन टेकरी, रुड़की शरीफ व हजरत निजामुद्दीन औलिया सहित अन्य मुस्लिम इबादतगाहों पर जा चुके हैं। मेरा मानना है कि तीर्थटन से मन को सुकून मिलता है। सबकी अपनी-अपनी पूजा पद्धति और मान्यता है। कोई धर्म अन्याय, अत्याचार, अमंगल करने की सीख नहीं देता है। हम सबको एक दूसरे की धार्मिक भावनाओं की कद्र करनी चाहिए। आपस में प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
मैंने कोरोना अपडेट देते हुए प्रपंचियों को बताया कि विश्व में अबतक 54 करोड़ 82 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। इनमें 63 लाख 39 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में अब तक करीब चार करोड़ 34 लाख लोग कोरोना संक्रमित हो चुके हैं। देश में अब तक सवा पांच लाख लोगों को बचाया नहीं जा सका। देश में अब तक कोरोना वैक्सीन की 197 करोड़ डोज लगाई जा चुकी हैं। देश की 90.9 करोड़ आबादी को कोरोना के दोनों टीके लगाए जा चुके हैं। देश में बड़ों को कोरोना की बूस्टर डोज और बच्चों को कोरोना वैक्सीन निरंतर दी जा रही है। भारत में बड़े पैमाने पर मुफ्त टीकाकरण होने से सारी दुनिया आश्चर्य चकित है। इससे भारत ने कोरोना महामारी पर नियंत्रण कर लिया है।
अंत में चतुरी चाचा ने अफगानिस्तान में आए भूकंप में हुई जन हानि पर दुःख प्रकट किया। चाचा ने देश के युवाओं को सेना की अग्निपथ योजना का भरपूर लाभ उठाने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि अब युवाओं को अग्निवीर बनकर देश की सेवा करनी चाहिए। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा।

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