
राजस्थान (Rajasthan) में अब पहली बार मेडिकल शिक्षा नीति (Rajasthan Medical Education Policy) लाने पर विचार किया जा रहा है. इसका उद्देश्य ये है कि प्रदेश के छात्रों को चीन और यूक्रेन जैसे देशों में मेडिकल की पढ़ाई करने नही जाना पड़े. इसके साथ ही प्रदेश में मेडिकल की सीटें बढ़ाने पर भी विचार चल रहा है. बता दें कि यहां 4350 मेडिकल की सीटें हैं, जिनमें 2830 सरकारी मेडिकल कॉलेज और 1520 निजी मेडिकल कॉलेज की सीटें शामिल हैं. साल 2023 में इसे बढ़ाकर 6 हजार की संख्या पार करने की तैयारी है.
सरकार ने मांगी नई गाइडलाइंस –
इन्हीं कारणों से प्रदेश में मेडिकल शिक्षा नीति लाने पर विचार किया जा रहा है. राज्य सरकार ने यूक्रेन से लौटे 1029 मेडिकल के छात्रों की मदद के लिए केंद्र सरकार से गुहार भी लगाई है. दरअसल राज्य सरकार के पास इन छात्रों के लिए कुछ करने की छूट नहीं है. इसलिए केंद्र से नेशनल मेडिकल काउंसिल से लीगल राय लेकर नई गाइडलाइंस भी मांगी गई हैं.
इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ाने के लिए किया जाएगा ये काम –
इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलप करने के लिए शिक्षा के क्षेत्र में नेशनल ब्रांड्स को शामिल किया जाएगा. इसके लिए राजस्थान हॉस्पिटल ग्रुप, प्रताप यूनिवर्सिटी और फॉर्च्यून फाउंडेशन जैसे नेशनल ब्रांड्स निवेश करने को तैयार हैं. राजस्थान में पांच नए मेडिकल कॉलेज खोले जाने का प्रस्ताव भी सरकार के पास आ चुका है. दो मेडिकल कॉलेजों को जमीन भी आवंटित की गई है.
बनाया गया है एक्सपर्ट ग्रुप –
नई मेडिकल शिक्षा नीति बनाने के लिए पांच विशेषज्ञों का एक स्टेट एक्सपर्ट ग्रुप बनाया गया है. इसमे अजमेर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य भी शामिल हैं. चिकित्सा शिक्षा प्रमुख सचिव वैभव गालरिया के अनुसार मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन आवंटन, प्रबंधकीय सीट व आधारभूत ढांचे सहित जो रिकमंडेशन आएंगी विशेषज्ञों का ग्रुप उसी आधार पर नीति निर्धारित करेगा.