चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से

नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
ककुवा ने प्रपंच की शुरुआत करते हुए कहा- यहि तिना जौ गरमी बढ़त रही, तौ याकव चिरई-चिंगुन न बचिहैँ। सब पट-पटाय जइहैं। मनई तौ पंखा, कूलर अउ एसी म जान बचाय हय। मुला, पशु-पक्षिन केरी दशा बहुतै खराब हय। सारा दिन आसमान ते आगि बरसत हय। तालाबन केरी संख्या अंगुरी प गिनय भरिकी बची हय। जउन ताल बचेव हयँ, उन मा पानी नाइ हय। बाग-बिरवन केरी जगहन पय कंक्रीट केरे जंगल उग आएं हयँ। अइसे म पशु-पक्षिन केरी बड़ी दुर्गति होय रही हय। इ जानलेवा गरमी म बिचारे चिरई-चिंगुन प्यासन मरि रहे। पशु-पक्षी कड़ी धूप म भुट्टा तिना भुने जाय रहे हयँ। हम पँचन का पशु-पक्षिन की ताईं कुछु सोचय क चही। सभेका अपने सहन अउ खेतन म पेड़-पौधा लगावै क चही। सब जने का अपने घर-आंगन म रोज दाना-पानी रक्खय क चही। यहिते चिरई-चिंगुन बेमौत मरय ते बचिहैँ। जौ हम पंच जागे न, तौ भइया गिद्द अउ गौरैया क तिना अउर तमाम पशु-पक्षी विलुप्त होय जइहैं।
चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर केवल लुंगी और बन्डी (बनियान) पहने बैठे थे। पुरई उनके बेना (पंखा) झल रहे थे। आज सुबह ही भीषण गर्मी शुरू हो गयी थी। चटख धूप पेड़ों की छाया पर भारी पड़ रही थी। ककुवा, बड़के दद्दा, कासिम चचा व मुंशीजी भी गर्मी से बेहाल थे। वहीं, गांव के बच्चे मैदान में कबड्डी खेल रहे थे। उन्हें गर्मी की जरा भी परवाह नहीं थी। मेरे पहुंचते ही ककुवा ने गर्मी पर ही प्रपंच शुरू कर दिया। उनका कहना था कि हम लोग तो पँखे, कूलर और एसी के सहारे गर्मी काट रहे हैं। परन्तु, पशुओं और पक्षियों की दशा बड़ी खराब है। भीषण गर्मी और कड़ी धूप से ताल-तलैया सूख चुके हैं। ऐसे में पशु-पक्षियों को पीने के लिए जल नसीब नहीं हो रहा है। पेड़ों के अंधाधुंध काटन के कारण उन्हें गर्मी से बचने के लिए छांव भी नहीं मिल रही है। कंक्रीट के जंगलों में पशु-पक्षी गर्मी और प्यास से मर रहे हैं। उनके बारे में हम लोगों को सोचना चाहिए। पशु-पक्षियों के लिए पौधारोपण करना चाहिए। उनके लिए दाना-पानी रखना चाहिए। अगर हम लोग यूँ ही लापरवाह रहे तो तमाम पशु-पक्षी विलुप्त हो जाएंगे। इसका आम जनजीवन पर कुप्रभाव पड़ेगा।
चतुरी चाचा ने ककुवा की चिंता को जायज बताते हुए कहा- सरकार अउ समाज दुनव क पशु-पक्षिन का लयके गम्भीर होय क परी। उनकी ख़ातिन बहुत कुछ करय की जरूरत हय। प्रकृति ते खेलब बन्द करय क परी। हरियाली प आरा चलब बन्द होय का चाही। यहिके साथे भारी मात्रा म पौधारोपण होय क चाही। जल संरक्षण पय ध्यान देय क परी। बरसात क्यार पानी रोकय की कोशिश कीन जाय। तालाबन म नहर अउ नलकूपन ते पानी भरय क व्यवस्था कीन जाय। जिहते पशु-पक्षिन का सालोमाल पानी पीयय क मिलय। उनके बसेरा ख़ातिन खूब पेड़-पौधा होयं। बात खाली पशु-पक्षिन केरी नाय। जलवायु परिवर्तन ते मानव जाति का बड़ा नुकसान होय रहा हय। न समय ते बरसात होय रही अउ न जाड़ा-गरमी। बरसात कहूं कम तौ कहूं जादा होत हय। कहूं बाढ़ आवत हय, तौ कहूं सूखा परत हय। धूप अउ गरमी बढ़तय जाय रही। इ साल तौ हद्दय होय गयी। फागुनय ते प्रचंड गरमी शुरू होइगै रहय। भीषण गरमी अउ लू ते पशु-पक्षी तौ मरिन रहे। मनइव मरि रहे हयं भइय्या। गरमी क इलाज एसी नाय हय। यहिका इलाज हरियाली अउ जल संरक्षण हय।
इसी बीच चंदू बिटिया जलपान लेकर आ गयी। आज जलपान में दुद्ध-बरिया और शिकंजी थी। हम सबने स्वादिष्ट दुद्ध-बरिया खाई। तभी बड़को और नदियारा भौजी पच्छेहार से आ गईं। दोनों अपने खेत से खीरे तोड़कर लाई थीं। बड़को ने नदियारा भौजी से कहा- दुल्हिन, परपंचिन क खीरा दयि देव। नदियारा भौजी ने हम सबको बोरी से गिनकर 15-15 ताजे खीरे दिए। चतुरी चाचा ने बड़को को धन्यवाद देते हुए कहा- बड़को भउजी इतवार-इतवार अइसी तनते निकरा करव। बड़को हामी भरकर अपने घर के लिए निकल गईं। फिर ठंडी शिकंजी के साथ प्रपंच आगे बढ़ा।
कासिम चचा ने कहा- बढ़ती गर्मी और भूजल के अंधाधुंध दोहन से जलस्तर भी दिनोंदिन घटता जा रहा है। ज्यादातर तालाब और कुएं सूख चुके हैं। हैंडपंप, सबमर्सिबल और नलकूप के लिए अब बहुत गहरी बोरिंग करवानी पड़ती है। वर्षा जल संचयन सिर्फ कागजों में ही होता है। पौधारोपण जमीन पर कम कागज पर ज्यादा होता है। सरकार और सामाजिक संगठन पौधारोपण करके भूल जाते हैं। इस वजह से अधिकांश पौधे लगने के बाद सूख जाते हैं। अगर हम लोग इस मामले में गम्भीर न हुए तो आगे परिणाम बड़े भयानक होंगे। भीषण गर्मी से लोग बेमौत मारे जाएंगे। पेयजल को लेकर महासंकट खड़ा हो जाएगा। आज की तारीख में ही दूध से महंगा पानी बिक रहा है। बड़े आदमी 200-250 रुपये लीटर पानी खरीद कर पी रहे हैं। गरीब आदमी भी 20-25 रुपये लीटर पानी खरीदने पर मजबूर है।
मुंशीजी ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने लाउडस्पीकर पर ऐतिहासिक फैसला लिया है। ध्वनि प्रदूषण के खिलाफ यूपी पुलिस का अभियान लगातार जारी है। प्रदेश भर में धार्मिक स्थलों से अवैध लाउडस्पीकर उतारे जा रहे हैं। धार्मिक स्थलों पर लगे 45773 लाउडस्पीकर 30 अप्रैल तक उतारे जा चुके थे। इसी कड़ी में 58861 लाउडस्पीकरों की ध्वनि कम करवा कर मानक के अनुसार करायी गई है। मन्दिर, मस्ज़िद, चर्च एवं गुरुद्वारा सबके साथ एक समान कार्रवाई की जा रही है। इससे ध्वनि प्रदूषण में भारी कमी आएगी। साथ ही, धार्मिक सद्भावना भी बनी रहेगी। किसी को किसी से कोई दिक्कत नहीं होगी। योगीजी ने धार्मिक जुलूस, शोभायात्रा इत्यादि निकालने के लिए शपथपत्र के साथ अनुमति लेने का भी कड़ा आदेश दिया है। इससे धर्मिक उन्माद की घटनाओं पर भी रोक लगेगी।
बड़के दद्दा इस बात पर चहक कर बोले- बुलडोजर बाबा के राज में न दंगे हो रहे और न कर्फ्यू लग रहा है। अपराधियों और माफियाओं पर कड़ी कार्रवाई हो रही है। उनकी अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चल रहा है। पूरे प्रदेश में अमन-चैन कायम है। बाबा के सुशासन की देश में ही नहीं, बल्कि विदेश में भी चर्चा हो रही है। योगी जी ने अपराध और भ्र्ष्टाचार पर लगाम कस दी है। उन्होंने विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं को तीव्र गति से आगे बढ़ाया है। बाबा ने अपने विधायकों, मंत्रियों को जनसेवा में उतार दिया है। अब तो दूसरे राज्यों की जनता बाबा जैसा मुख्यमंत्री चाहने लगी है। देश में बाबा को मोदी जी के बाद का प्रधानमंत्री माना जाने लगा है। बाबा की आंधी में विपक्षी चारों खाना चित होते जा रहे हैं।
मैंने परपंचियों को कोरोना महामारी का अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 51 करोड़ 29 लाख से अधिक लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 62 लाख 59 हजार से ज्यादा लोग बेमौत मारे जा चुके हैं। इसी तरह भारत में चार करोड़ 30 लाख 73 हजार से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। देश में अबतक पांच लाख 23 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। विश्व में कई महीने बाद एक बार फिर कोरोना ने जोर पकड़ा है। भारत में भी कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है। परन्तु, सफल टीकाकरण अभियान के कारण कोरोना नियंत्रित है। देश में अबतक कोरोना वैक्सीन की 188 करोड़ से अधिक डोज लगाई जा चुकी हैं। केन्द्र सरकार ने छह से 12 वर्ष की आयु वाले बच्चों को भी वैक्सीन देने की मंजूरी दे दी है। उधर, बूस्टर डोज निजी अस्पतालों में लगने लगी है। भारत के टीकाकरण अभियान की सफलता से पूरी दुनिया चकित है। बहरहाल, हमें मास्क और दो गज की दूरी का पालन करते रहना चाहिए। तभी हम सब कोरोना महामारी से बचे रहेंगे।
अंत में चतुरी चाचा ने पिछले दो महीने से चल रहे रूस-यूक्रेन महायुद्ध पर कहा- यूक्रेन के लगभग सारे शहर खंडहर हो चुके हैं। रूस यूक्रेन के 75 प्रतिशत इलाके पर कब्जा करने के बाद राजधानी कीव पर हमलावर है। लेकिन, यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेन्स्की झुकने को तैयार नहीं हैं। इस महायुद्ध में जहां यूक्रेन पूरी तरह बर्बाद हो चुका है। वहीं, रूस को भी भारी क्षति उठानी पड़ी है। इस युद्ध से पूरी दुनिया चिंतित है। कासिम चचा ने सबको ईद की अग्रिम मुबारकबाद दी। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा। तबतक के लिए पँचव राम-राम!

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