प्रतापगढ़ , आपातकाल की भूली बिसरी यादें:–धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

प्रतापगढ़ , आपातकाल की भूली बिसरी यादें:–धर्माचार्य ओमप्रकाश पांडे अनिरुद्ध रामानुज दास

प्रतापगढ़ रामानुज आश्रम दास उस समय पंडित मिश्रा डेट स्नातकोत्तर विद्यालय में बी ए का छात्र था। देश में लोकनायक जयप्रकाश जी के आवाहन पर आंदोलन चल रहा था। जयप्रकाश जी प्रयागराज आए थे पत्रकारों ने पूछा कि संपूर्ण क्रांति का नारा जो आपने दिया है वह क्या है, जयप्रकाश जी ने कहा कि लोहिया की सप्त क्रांति ही संपूर्ण क्रांति है ।देश में आमूल चूल परिवर्तन की आवश्यकता है। पूरे देश का नौजवान उबाल पर था समस्त राजनीतिक दल अपना भेदभाव बुलाकर के जन संघर्ष समिति का निर्माण किए थे। उत्तर प्रदेश में महावीर भाई उसके संयोजक थे और जिले में समस्त पार्टियों के नेताओं ने बैठकर पिताजी पंडित सूर्यबली पांडे एडवोकेट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी को जन संघर्ष समिति का संयोजक बनाया था।

छात्र संघर्ष समिति के लिए गनेशी लाल धर्मशाला में चुनाव हुआ जिसमें जवाहरलाल श्रीवास्तव और हरकेश त्रिपाठी संयोजक पद के लिए चुनाव लड़े दोनों को बराबर वोट मिला। इसलिए अशोक पांडे और भूपेंद्र शुक्ला एडवोकेट के प्रस्ताव पर सर्व सम्मति से मुझे छात्र संघर्ष समिति का संयोजक बना दिया गया ।आंदोलन चल रहा था इसी समय एक दिन सरला भदोरिया कमांडर अर्जुन सिंह भदोरिया की पत्नी का बनारस से प्रतापगढ़ आने का कार्यक्रम बना। प्रतापगढ़ में मैं और अरुण पांडे रिक्शे पर बैठकर के उनके आने का प्रचार कर रहे थे। पंडित मदन मोहन उपाध्याय के घर के सामने रिक्शा रोक करके कोतवाली के दरोगा के एन सिंह ने कहा 144 लगी है परमिशन नहीं लिए हो तुमको हम गिरफ्तार करते हैं। मुझे गिरफ्तार करके कोतवाली लाया गया। जयप्रकाश आंदोलन में मेरी पहली गिरफ्तारी हुई। अरुण पांडे ने जाकर लोगों को बताया। उस समय राजपति मिश्रा बाबा आए और दो-तीन लोग साथ में थे शिवनंदन सिंह से कहा कि बच्चे को छोड़ो नहीं तो कोतवाली की एक से एक ईंट बजा देंगे । शिवनंदन सिंह ने कहा कि बैठिए चाय पीजिए तब उन्होंने कहा चाय नहीं पियेंगे बर्फी खाऐंगे लेकिन तुम पहले ओमप्रकाश को छोड़ो तो मुझे छोड़ दिया गया। सांयकाल श्रीमती सरला भदोरिया के आने पर गोपाल मंदिर में जितने लोग एकत्रित किए थे शिवनंदन सिंह ने सबको कहा 144 लगी है ।आप सभी लोग गिरफ्तार किया जा रहे हैं, बाद में कोतवाली से सबको छोड़ दिया गया ।

इसी समय काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस चली थी कमलापति जी ट्रेन से आए और हम लोगों ने जिस दिन ट्रेन आ रही थी उसको काला झंडा दिखाया। माधव राणा बलबीर वर्मा जवाहर श्रीवास्तव अशोक पांडे अंबिका सिंह तथा अन्य कई नेताओं व हम सबको गिरफ्तार किया गया। पुनः कोतवाली लाकर छोड़ दिया गया।

एक दिन जिला अस्पताल के सामने हम लोग शर्मा की दुकान पर बैठकर चाय पी रहे थे गणेशी जी लाल धर्मशाला में मीटिंग हुई थी विद्या शंकर पांडे जी अध्यक्षता कर रहे थे। इतने में रविंद्र सनातन मयन बहादुर सिंह अवध नारायण बाबू राजेंद्र सिंह आदि कई पत्रकार आए और रविंद्र सनातन के कहने पर हम लोगों ने हादी हाल में डीएम शहीदुल्ला की बीवी जो बैडमिंटन खेलने सरकारी गाड़ी से आई थी उनका घेराव किया। गाड़ी में उनकी बीवी और बेटी बैठी थी गर्मी का सीजन था। कप्तान आए कप्तान ने समझाया बुझाया कि अब से सरकारी गाड़ी पर नहीं आएंगी तब उनको छोड़ गया। यहां कृपा शंकर ओझा विद्या शंकर पाण्डेय रमाशंकर सिंह अमृत नाथ सिंह बलवीर वर्मा अंबिका सिंह लल्ला अशोक पांडे और मैं तथा माधव राणा सहित और अन्य साथी थे। आंदोलन चल रहा था तभी सरकार द्वारा गेहूं तथा अन्य फसलों की लेबी की वसूली होने लगी। पिताजी पंडित सूर्य वली पांडे एडवोकेट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जो जन संघर्ष समिति के संयोजक थे उनके नेतृत्व में सैकड़ो लोगों ने लेवी के विरोध में पूरे जिले से आकर गिरफ्तारी दिया। उस आंदोलन में बाबा रामचंद्र की पत्नी भी पट्टी से आई थी। मास्टर रमाशंकर सिंह के नेतृत्व में हम लोग भी गिरफ्तार हुए लेकिन पी ए सी की ट्रक पर बैठालकर विश्वनाथगंज के पास छोड़ दिया गया

दूसरे दिन गिरफ्तारी देने गए तो कोहंडौर भेज दिया गया वहां से पैदल आए। पुनः एसडीएम हसनैन रजा की कुर्सी पर अशोक पांडे को मैंने बैठाया और कहा यह एसडीएम है। हसनैन रजा आए फिर वारंट बनाकर हम लोगों को जेल भेजा।

आंदोलन चरम सीमा पर था लखनऊ में बड़े नेताओं के नेतृत्व में गिरफ्तारियां होने लगी प्रदर्शन हो रहे थे। 15 अप्रैल को लोक बंधु राजनारायण जी गिरफ्तार होकर के नैनी जेल गए 16 तारीख को अटल जी के नेतृत्व में यहां से मैं अशोक पांडे जवाहरलाल श्रीवास्तव बलबीर वर्मा अंबिका सिंह माधव राणा डॉक्टर तिवारी आदि नैनी जेल भेजे गए जिस बस से हम लोग आ रहे थे रायबरेली से उस बस को प्रतापगढ़ ले आए यहां लखन लाल लोहिया ने चौक में हम लोगों को भोजन बनवा करके भोजन कराया। रात्रि में नैनी जेल पहुंचे। नैनी जेल में अटल जी के साथ मैं अंबिका सिंह लल्ला और अशोक पांडे सांयकाल कबड्डी खेला करते थे।

आपातकाल लगने की मुख्य वजह वहीं पर 18 मार्च 1975 को इलाहाबाद हाईकोर्ट में राज नारायण जी की इंदिरा गांधी के खिलाफ दायर याचिका का मुकदमा चल रहा था जिसमें राज नारायण जी हाईकोर्ट गए थे ।शाम को लौटकर आए तो बोले अटल जी तैयारी करिए चुनाव होगा इंदिरा गांधी चुनाव हारेगी क्योंकि आज जज ने इतनी शक्ती किया था कि उनके आने पर कोई आदमी खड़ा नहीं हुआ इसलिए लगता है न्याय मिलेगा। 12 जून को फैसला आया जिसमें इंदिरा गांधी के सांसद की सदस्यता समाप्त हो गई और उन्हें लोकसभा में मताधिकार देने का अधिकार भी छिन गया। जगमोहन लाल सिन्हा जिन्होंने यह मुकदमे का फैसला दिया था वह 1982 में रिटायर हुए 258 पेज का फैसला था ।उनके सचिव मन्नालाल के ऊपर बड़ा दबाव पड़ा तो उन्होंने अपनी बीवी को मायके में छोड़ दिया और स्वयं जस्टिस सिन्हा के घर रहने लगे थे। यह मुकदमा 7 जून एवं 21 जून 1971 को इंदिरा गांधी का प्रचार उनके सरकारी कर्मचारी यशपाल कपूर ने किया था। इसी पर फैसला हुआ राहत न मिलने पर इंदिरा गांधी ने 25 /26 जून 1975 की रात में इमरजेंसी लगाया ।26 तारीख को सांय काल दास के मकान 97 पलटन बाजार सर्वोदय भवन पर बैठक हुई जिसमें तमाम पार्टियों के नेता एकत्रित हुए पिताजी ने कहा देश में आपातकाल लग चुका है आप सभी लोग आंदोलन में भाग लेकर इसको गति प्रदान कीजिए।दूसरे दिन रात में रामसेवक त्रिपाठी एडवोकेट को गिरफ्तार किया गया। गिरफ्तारियां होने लगी विद्या शंकर पांडे कृष्णकांत ओझा गिरफ्तार किए गए पिताजी कचहरी आए थे उन्हें गिरफ्तार किया गया उसके बाद कृपा शंकर ओझा गाली बक रहे थे कि मेरे गुरु को गिरफ्तार किया गया है उसी समय उनको भी एसडीएम ने गिरफ्तार कर लिया। इस तरह से जनपद में अनेकों लोग मीसा और डीआईआर में गिरफ्तार हुए। उनमें प्रमुख रूप से पंडित सूर्य बली पांडे एडवोकेट स्वतंत्रता संग्राम सेनानी कुंवर तेज भान सिंह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राजा राम शुक्ला किसान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम सेवक त्रिपाठी कृपा शंकर ओझा विद्या शंकर पांडे बाबूलाल श्रीवास्तव पूर्व विधायक संगम लाल शुक्ला राम मूर्ति त्रिपाठी लखन लाल चौरसिया बलवीर वर्मा राम बोध पांडे जवाहरलाल श्रीवास्तव अशोक पांडे अनिल पांडे प्रेम शंकर दुबे डॉ दिनेश सिंह अंबिका सिंह लल्ला विजय पाल सिंह अमृतनाथ सिंह आदि थे। पिताजी के लिए एक दिन अचानक डीएम का आदेश आया कि इनको अलीगढ़ जेल और कृपा शंकर ओझा को बरेली जेल भेजा जाए इनसे जेल में खतरा है और इन लोगों को अलीगढ़ और बरेली जेल भेज दिया गया।

मैं और मास्टर रमाशंकर सिंह भूमिगत हो कर गुप्त रूप से आंदोलन चलाते रहे। एक दिन गणेश मिश्रा से गजरी में मिलने गए पता चला कि वह इलाहाबाद में है वहां से पैदल सोनपुर के उसर के रास्ते बाबू भगवान भगत सिंह और लाला सिंह से मिलने धनसारी गांव गए। बरसात का महीना अंधेरी रात रास्ते में कहीं गांठ गांठ भर पानी और सांप बिच्छू उसे समय वहां छोटे-छोटे ढाक झाड़ के पेड़ थे। उस पर दिखाई पड़ते थे। मास्टर साहब ने कहा की यह पनिहां सांप हैं इनके काटने का कोई असर नहीं होता डर कर भागते हैं। ऐसे कई किस्से है। जिसका वर्णन करना इस लेख में मुश्किल लग रहा है ,लेकिन एक दिन की घटना का जिक्र करूंगा बाबू मयन बहादुर सिंह पत्रकार के यहां हम लोग रुके थे घर के सामने कोहड़ा बोया था वहीं एक टूटी चारपाई थी उसी पर बैठे थे इतने में शिवनंदन सिंह कोतवाल पहुंचे और कहे की रमाशंकर सिंह और ओमप्रकाश पांडे यहां आए हैं, ऐसी सूचना है उन्होंने कहा कि आपका घर है अंदर चल कर देख लीजिए सब आपकी बहन और भांजे ही है। यह कर हंसने लगे शिवनंदन सिंह अंदर गए घूम कर चले आए हम लोग दूर से यह दृश्य देख रहे थे क्योंकि उनके दरवाजे पर बिजली का बल्ब चल रहा था, और यह सब दिखाई पड़ रहा था। रविंद्र सनातन पत्रकार के यहां मैंने कई बार खाना खाया। इस तरह लोग मदद करते रहे। लोगों के जेल जाने पर उमेश तिवारी विवेक नगर और ज्ञान चंद्र श्रीवास्तव जी जो इस समय पूर्व जज है यह लोग हमारे साथ पर्चा बांटा करते थे। उस समय जनपद का साप्ताहिक लोक मित्र समाचार पत्र भी सरकारी आदेश से प्रभावित किया गया था। जिसके संपादक श्री राम निरंजन भगवान जी थे।

इसी बीच मेरे घर गांव में डकैती पड़ गई डकैतों ने सारा सामान लूट लिया मेरी बड़ी बहन का आभूषण मेरी पत्नी का और छोटी बहन का यह सब बक्से में आभूषण कमरें में रखे थे। इन्हें डाकू लूट कर लेकर चले गए। प्रोफेसर वासुदेव सिंह उस समय विधानसभा अध्यक्ष थे। पिताजी के पुराने साथी थे। वह आए श्री गंगाराम डी एम के चार्ज पर थे उन्होंने आश्वासन दिया कि डकैती का पर्दाफाश होगा। मेरी मां से दरोगा ने पूछा कि आपका दुश्मन कौन है बताइए हम उसे गिरफ्तार करेंगे। मेरी माता जी श्री मती शारदा देवी पांडे रामानुज दासी ने कहा जो मेरी दुश्मन है उसे आप छू भी नहीं सकते हैं। उन्होंने कहा नहीं आप बताइए हम गिरफ्तार करेंगे। मेरी मां ने कहा कि मेरी दुश्मन इंदिरा गांधी है जिसने मेरे पति को जेल भेज दिया है, क्या आप उसको गिरफ्तार कर सकते हैं। उस समय जिले के आर आई और दुर्वासा मिश्रा दरोगा ,अंसार अहमद दरोगा और कई पुलिस वाले थे माताजी ने कहा कि मेरा जो सामान ले गया है वह हमें दिखाइए गलत लोगों को बंद मत कीजिएगा आज तक डकैती का पर्दाफाश नहीं हो पाया। छोटी बहन सुधा उर्फ रानी का गवना होना था प्रोफेसर वासुदेव सिंह ने दबाव डालकर माताजी को कहलवाया कि आप अलीगढ़ जेल जाइए और उनसे पेरोल के आवेदन पत्र पर दस्तखत कराइए। माताजी गांव के ठाकुर चंद्रबहादुर सिंह बच्चा सिंह और बड़े भाई जगदीश नारायण पांडे के साथ अलीगढ़ जेल गई। पिताजी ने कहा कि हम दस्तक नहीं करेंगे माताजी रोने लगी कहने लगी अभी तक मैं नहीं कहा लेकिन बेटी का गौना देना है। तब पिताजी ने पेरोल के कागज पर दस्तक किया और बाद में फिर बाहर आए। आपातकाल के अंतिम चरण में नारायण दत्त तिवारी जी मुख्यमंत्री बने और तमाम राजनीतिक बंदियों को जेल से छोड़ने का कार्य किया ।

इमरजेंसी के पश्चात पिताजी को 1977 में लोकसभा का जनता पार्टी से टिकट मिला लेकिन उन्होंने कहा विनोबा जी कहते हैं चुनाव झगड़े की जड़ है इसलिए हम चुनाव नहीं लड़ेंगे, पंडित राम सेवक तिवारी जो जेल से आए थे ने अनुरोध किया और कहा कि हम ₹1000 चंदा देंगे। उस समय का 1000 आज के लगभग 5 लाख के बराबर है।आप जरूर चुनाव लड़िये पिताजी चुनाव नहीं लड़े तब रूपनाथ सिंह यादव को यहां से टिकट दिया गया और वह लोकसभा का चुनाव जीते। आपातकाल लोकतंत्र के माथे पर कलंक है जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता।

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