
प्रतापगढ़ , महान शिक्षाविद, प्रखर राष्ट्रवादी विचारक, भारतीय जनसंघ के संस्थापक डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर जिला अध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में संगोष्ठी का आयोजन किया गया।
संगोष्ठी के मुख्य अतिथि पूर्व सांसद मछलीशहर बी पी सरोज, सदर विधायक राजेंद्र कुमार मौर्य एवं जिला अध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव ने उनके चित्र पर पुष्पार्चन एवं दीप प्रज्वलित करके कार्यक्रम की शुरुआत की।
जिला अध्यक्ष आशीष कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि भारतीय जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष और अपने युग के अप्रतिम तेजस्वी सांसद डा.श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी जम्मू कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। उस समय जम्मू कश्मीर का अलग झण्डा और अलग संविधान था। वहाँ का मुख्यमन्त्री (वजीरे-आज़म) अर्थात् प्रधानमन्त्री कहलाता था। संसद में अपने भाषण में डॉ॰ मुखर्जी ने धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊँगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूँगा। उन्होंने तात्कालिन नेहरू सरकार को चुनौती दी तथा अपने दृढ़ निश्चय पर अटल रहे। अपने संकल्प को पूरा करने के लिये वे 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहाँ पहुँचते ही उन्हें गिरफ्तार कर नज़रबन्द कर लिया गया। 23 जून 1953 को रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। “तेरा वैभव अमर रहे मां,हम दिन चार रहें न रहें”–डा.मुखर्जी ने मातृभूमि के लिए अपने अमर बलिदान से इन पंक्तियों के मर्म को चरितार्थ कर दिया।
सदर विधायक राजेंद्र कुमार मौर्य ने डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस के अवसर पर एक पेड़ मां के नाम लगाने का सभी से आग्रह किया।
मुख्य अतिथि पूर्व सांसद बी पी सरोज ने बताया कि डॉ॰ श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वेच्छा से अलख जगाने के उद्देश्य से राजनीति में प्रवेश किया। डॉ॰ मुखर्जी सच्चे अर्थों में मानवता के उपासक और सिद्धान्तवादी थे। उन्होने बहुत से गैर कांग्रेसी हिन्दुओं की मदद से कृषक प्रजा पार्टी से मिलकर प्रगतिशील गठबन्धन का निर्माण किया। इस सरकार में वे वित्तमन्त्री बने। इसी समय वे सावरकर के राष्ट्रवाद के प्रति आकर्षित हुए और हिन्दू महासभा में सम्मिलित हुए।
मुस्लिम लीग की राजनीति से बंगाल का वातावरण दूषित हो रहा था। वहाँ साम्प्रदायिक विभाजन की नौबत आ रही थी। ऐसी विषम परिस्थितियों में उन्होंने यह सुनिश्चित करने का बीड़ा उठाया कि बंगाल के हिन्दुओं की उपेक्षा न हो। अपनी विशिष्ट रणनीति से उन्होंने बंगाल के विभाजन के मुस्लिम लीग के प्रयासों को पूरी तरह से नाकाम कर दिया। राष्ट्रीय हितों की प्रतिबद्धता को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता मानने के कारण उन्होंने मन्त्रिमण्डल से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने एक नई पार्टी बनायी जो उस समय विरोधी पक्ष के रूप में सबसे बड़ा दल था। अक्टूबर, 1951 में भारतीय जनसंघ का उद्भव हुआ।
कार्यक्रम का संचालन जिला उपाध्यक्ष राजेश मिश्र राजन ने किया।
इस अवसर पर जिला महामंत्री द्वय राजेश सिंह, पवन गौतम,पूर्व जिला अध्यक्ष ओम प्रकाश त्रिपाठी, जिला उपाध्यक्ष अशोक सरोज, अशोक श्रीवास्तव, जिला मंत्री राम आसरे पाल, अजय वर्मा, यशोदा शुक्ला, जिला पंचायत सदस्य पूनम इंसान, साधु दुबे, जिला प्रवक्ता राघवेंद्र शुक्ल, जिला सह मीडिया प्रभारी देवेश त्रिपाठी,विजय मिश्र, विजय तिवारी, आत्म प्रकाश मिश्र, हरीश चंद्र सोनकर, बृजेन्द्र पांडेय, संजय सिंह सहित अन्य कार्यकर्ता उपस्थित रहे।