लखनऊ। उत्तर प्रदेश की विशाल जनसंख्या के लिए श्रेष्ठ चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराना एक बड़ी चुनौती है जिसे पिछले कई दशकों में पूरा करने की कोशिशें अधूरी रही हैं। प्रदेश के 75 जिलों की लगभग 23 करोड़ की जनसंख्या के लिए वर्ष 2017 से पहले मात्र 12 सरकारी मेडिकल कॉलेज थे और दूर दराज के क्षेत्रों से लोगों को इलाज के लिए निकटतम बड़े शहर तक आना पड़ता था।समाज के गरीब और कमजोर वर्ग के लिए अच्छी चिकित्सा सेवा प्राप्त करना एक सपने जैसा था, प्रदेश के कई हिस्सों में हर वर्ष संक्रामक रोगों और दूषित पेयजल की वजह से हजारों लोग ग्रस्त होते थे। विशेषज्ञ चिकित्सकों से सलाह लेना सबके लिए संभव नहीं हुआ करता था और महंगी दवाओं को खरीद पाना भी आम जन की पहुँच से बाहर था।
उत्तर प्रदेश में गत पाँच वर्ष स्वास्थ्य क्षेत्र की अवस्थापना के लिए सर्वश्रेष्ठ रहे हैं। इस दौरान पूरे प्रदेश में चिकित्सा सेवाओं को सुदृढ़ करने व उनका विस्तार करने का जो अभियान मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में शुरू हुआ, आज उसके फलस्वरूप उत्तर प्रदेश गरीबों को मुफ्त इलाज की गारंटी दिलाने वाली केंद्र सरकार की महात्वकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को लागू करने में देश में नंबर एक पर है। यही नहीं, प्रदेश में मेडिकल कॉलेज स्थापित करने हेतु राज्य सरकार ने सभी 75 जिलों में न्यूनतम एक-एक मेडिकल कॉलेज स्थापित करने का संकल्प लिया है। केंद्र की अत्यधिक लोकप्रिय व सफल जन औषधि योजना के माध्यम से लाखों लोग सस्ते दाम पर दवाईयां प्राप्त कर रहे हैं, और डिजिटल हेल्थ अभियान द्वारा सरकारी अस्पतालों में अपॉइन्ट्मेन्ट लेना व विशेषज्ञों से सलाह लेना सुलभ हो गया है।