भारतीय मूल के लोग पूरी दुनियां में अपना जलवा बिखेर रहे हैं

 

भारत में अमेरिकी राजदूत ने भारतीय प्रतिभाओं का लोहा माना-अमेरिकी कंपनियों में भारतीयों की भरमार

अमेरिका में किसी कंपनी का सीईओ होने के लिए भारतीय होना जरूरी,अमेरिकी राजदूत का सराहनीय विचार-एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर भारत को आदि अनादि काल से सोने की खान कहा जाता है ,इसका कारण यह है कि यहां न केवल प्राकृतिक संसाधनों,सांस्कृतिक विरासत, संस्कारों का खजाना सहित अनेक संसाधन भरपूर मात्रा में है, बल्कि सबसे बड़ी प्लस पॉइंट भारतीय बौद्धिक क्षमता का अपार खजाना है। जहां राजा राम,श्री कृष्णा,पवन पुत्र हनुमान, श्रवण सहित ऐसे अनेक व्यक्तित्वोका जन्म हुआ है जिन्होंने अपनी बौद्धिक क्षमता का परिचय देने के साथ-साथ संस्कारों का भी सटीक उदाहरण दिया है, यही कारण है कि सैकड़ो वर्ष पूर्व अंग्रेजों की नजरभारत पर पड़ी और उन्होंने भारत पर कब्जा कर सैकड़ो वर्षों तक राज किया।खैर यह बातें तो हमने बहुत बार चर्चा में लाई है परंतु दिनांक 26 अप्रैल 2024 को अमेरिका के भारत में राजदूत ने इसी भारतीय बौद्धिक क्षमता का संज्ञान लेकर एक इंटरव्यू में कहा कि,एक जमाना था जब कहा जाता था कि बाहर से आए भारतीय हैं तो, अमेरिका में किसी कंपनी का सीईओ नहीं बन सकते परंतु यह चुटकुला आज ठीक उल्टा हो गया है कि यदि आपके पास भारतीय पासपोर्ट है या आप भारतीय हैं तो वही सीईओ बनने को प्रायोरिटी शर्तों में से एक है यानी एक भारतीय ही अमेरिकी कंपनी का सीईओ बन सकता है। जैसे ही यह खबर मीडिया में आई तो आज की सुर्खियां बन गई और मैं भी आज इसी विषय पर आर्टिकल लिखने के लिए यह विषय चुना। वैसे देखा जाए तो अमेरिका के राजदूत द्वारा कही बातें सटीक सिद्ध होती है क्योंकि यदि हम आज विश्व की दिग्गज कंपनियों पर नजर डालें तो इनके सीईओ मूल भारतीय ही हैं जैसे, विश्व की कई दिग्गज कंपनियां जैसे गूगल, यूट्यूब, माइक्रोसॉफ्ट, स्टारबक्स, नोवार्टिस, आईबीएम और एडोब आदि के सीईओ भारतीय मूल के हैं। अमेरिका की कई टॉप कंपनियों के मुख्य कार्यकारी अधिकारी भारतीय मूल के हैं। ऐसे में लोग अमेरिका में मजाक में कहते हैं कि अमेरिकी कंपनी का सीईओ बनने के लिए भारतीय होना आवश्यक है। इस चुटकुले को अमेरिकी राजदूत ने 26 अप्रैल को अमेरिका में रह रहे भारतीय मूल के लोगों की प्रशंसा करते हुए कहा कि अमेरिकी कंपनी का सीईओ बनने के लिए भारतीय मूल का होना आवश्यक है। भारतीय मूल के लोग पूरी दुनियां में अपना जलवा बिखेर रहे हैं इसीलिए ही अमेरिकी राजदूत ने बताया कि, राष्ट्रपति जो बाइडेन ने उन्हें भारत में अमेरिकी वीजा के लिए इंतजार के वक्त को कम करने का निर्देश दिया है। यह पहली बार है जब किसी अमेरिकी राष्ट्रपति ने किसी देश के राजदूत को ऐसा निर्देश दिया है। अमेरिकी वीजा के लिए भारत में वेटिंग टाइम 250 दिन है।उन्होंने भारतीय छात्रों के लिए अमेरिका को बेहद सुरक्षित देश बताया है। उन्होंने कहा अमेरिका भारतीय छात्रों के लिए बेहद सुरक्षित देश है और अमेरिका भारतीय छात्रों की परवाह करता है। उन्होंने माता-पिता को आश्वासन देते हुए कहा कि आप हमेशा यह समझें कि भारतीय बच्चे हमारे हैं।उन्होंने कहा कि अमेरिका में रिसोर्सेस की कमी नहीं है और हम छात्रों की हर तरह से मदद करने के लिए तैयार रहते हैं। चूंकि राजदूत ने भारतीय प्रतिभाओं का लोहा माना है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे,अमेरिका में किसी कंपनी का सीईओ होने के लिए भारतीय होना जरूरी है, यह अमेरिकी राजदूत के विचार सराहनीय हैं।
साथियों बात अगर हम दिनांक 26 अप्रैल 2024 को भारत में अमेरिका के राजदूत द्वारा एक इंटरव्यू में दिए गए बयान की करें तो, भारतीय मूल के लोग पूरी दुनिया में अपना जलवा बिखेर रहे है। अमेरिका में तो जितनी भी दिग्गज कंपनियां हैं, उसकी कमान भारतीय मूल के सीईओ के पास ही है। यही वजह है कि अब अमेरिका में एक चुटकुला अमेरिका में किसी कंपनी का सीईओ होने के लिए भारतीय होना जरूरी है, खूब चल रहा है। इस बात का खुलासा भारत में अमेरिका के राजदूत ने किया है। उन्‍होंने कहा कि पहले यूएसए में कहा जाता था कि अगर आप भारतीय हैं तो अमेरिका में किसी कंपनी के सीईओ नहीं बन सकते पर अब मामला उल्‍टा हो गया है।न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में राजदूत ने अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की खूब प्रशंसा की और अमेरिका के विकास में उनके योगदान को सराहा। उन्होने कहा कि भारतीयों ने अमेरिका में जाकर बड़ा बदलाव किया है।फॉर्च्यून 500 कंपनियों में हर दस में से एक में भारतीय प्रवासी हैं, जिन्होंने अमेरिका में पढ़ाई की है। वैसे अमेरिका में भारतीयों को लेकर वर्तमान में चल रहा चुटकुला गलत भी नहीं है।क्‍योंकि, गूगल से लेकर माइक्रोसॉफ्ट तक की कमान भारतीय मूल के व्‍यक्तियों के हाथ में ही है। गूगल यानि अल्फाबेट की कमान सुंदर पिचाई के पास है। माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ सत्या नडेला हैं। एडोबी के सीईओ भी भारतीय मूल के शांतनु नारायण हैं।यूट्यूब का जिम्मेदारी भी भारतीय मूल के नील मोहन के हाथों में है। आईबीएम के सीईओ भीभारतीय मूल के अरविंद कृष्णा हैं।दिग्गज अमेरिकी फार्मा कंपनी नोर्वाटिस के सीईओ भी भारतीय मूल के वसंत नरसिम्हन हैं।स्टारबक्स की कमान लक्ष्‍मण नरसिम्हन हैं तो गुजरात में सेमीकंडक्टर प्लांट लगा रही अमेरिकी कंपनी माइक्रॉन टेक्नोलॉजी के सीईओ संजय मेहरोत्रा हैं। हनीवेल भारतीय मूल के विमल कपूर लीड कर रहे हैं।अमेरिकी कंपनी नेटऐप के सीईओ भी भारतीय मूल के जॉर्ज कुरियन हैं। निश्चित रूप से, उन्होने जिस स्थिति के बारे में बात की, वह तमाम क्षेत्रों में बड़ी संख्या मेंउम्मीदवारों और अमेरिकी विश्वविद्यालयों में सभी तरह की हाइयर स्टडीज करने वाले छात्रों के लिए आधार बनती है। सिर्फ 2023 में, कुल मिलाकर भारतीय नागरिकों को रिकॉर्ड 1.4 मिलियन अमेरिकी वीजा दिया गया।एक दिन पहले ही जब राजदूत से पूछा गया कि क्या उन्हें 2024 में वीजा एप्लीकेशन्स की तादाद में और बढ़ोतरी की उम्मीद है, तो उन्होंने इस पर कहा कि यह संख्या हर साल बढ़ रही है। उन्होने ने कहा कि अमेरिकी यूनिवर्सिटीज पढ़ाई करने के लिए शानदार जगहें हैं।मुझे लगता है कि यह युवा आबादी, बढ़ती आबादी और दुनिया की सबसे बड़ी आबादी के लिए अच्छा विकल्प बना रहेगा। मुझे नहीं लगता कि हमारी जिंदगी में छात्रों की संख्या में कमी आएगी।
साथियों बात अगर हम अमेरिकी राजदूत द्वारा भारतीय मूल के लोगों की तारीफ की करें तो, भारतीय मूल के लोग पूरी दुनिया में अपना जलवा बिखेर रहे हैं।अमेरिका में तो जितनी भी दिग्गज कंपनियां हैं, उसकी कमान भारतीय मूल के सीईओ के पास ही है।यही वजह है कि अब अमेरिका में एक चुटकुला अमेरिका में किसी कंपनी का सीईओ होने के लिए भारतीय होना जरूरी है, खूब चल रहा है। इस बात का खुलासा भारत में अमेरिका के राजदूत ने किया है।न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए इंटरव्यू में अमेरिका में रहने वाले भारतीय प्रवासियों की खूब प्रशंसा की और अमेरिका के विकास में उनके योगदान को सराहा हैं।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भारतीय मूल के लोग पूरी दुनियां में अपना जलवा बिखेर रहे हैं।भारत में अमेरिकी राजदूत ने भारतीय प्रतिभाओं का लोहा माना-अमेरिकी कंपनियों में भारतीयों की भरमार।अमेरिका में किसी कंपनी का सीईओ होने के लिए भारतीय होना जरूरी अमेरिकी राजदूत का सराहनीय विचार है।

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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