
परिक्रमार्थियों के आने तक परिक्रमा मार्ग पूर्ण हो पाना सम्भव नही ।
मिश्रित सीतापुर / महर्षि दधीचि की पावन तपो भूमि कस्बा मिश्रित सतयुग काल से त्याग तपस्या का केन्द्र बिन्दु रहा है । यहां पर तपस्या करने वाले महर्षि दधीचि ने लोक कल्याण के लिए अपनी अस्थियों तक का दान देवताओं को दे दिया था । अस्थियां दान करने से पहले उन्होने त्रैलोक्य के तीर्थों की प्रदक्षिणा करने की इच्छा जाहिर की थी । जिससे इंद्र आदि देवताओं ने त्रैलोक्य के तीर्थों का आवाहन करके यहां बुलाया था । यहां आकर सभी तीर्थ चौरासी कोस की परिधि में ठहरे थे । जिससे महर्षि दधीचि जी ने चौरासी कोस में ठहरे सभी तीर्थों की परिक्रमा और प्रदक्षिणा कर पूर्णिमा तिथि को अपने शरीर को गायों से चटाकर अस्थियों का दान देवताओ को दे दिया था । देवताओ ने उनकी अस्थियों से दिब्य अस्त्रो का निर्माण किया । बृत्तासुर सहित कई दैत्यों का बध किया गया । उसी दिन से यहां की चौरासीय परिक्रमा होती चली आ रही है । ऐसी पवित्र भूमि प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा का सिकार होकर रह गई है । 11 मार्च से यहां का विश्वविख्यात चौरासी कोसीय धार्मिक होली परिक्रमा शुरू होने जा रहा है । लेकिन अभी तक मेला प्रशासन की ब्यवस्थाऐं दुरुस्त नही है । सभी परिक्रमार्थी चौरासी कोसी धार्मिक परिक्रमा के दस बाहरी पड़ाव पार करते हुए एकादशी तिथि को कस्बा मिश्रित को जाएगे । कस्बे के बिभिन्न पड़ाव स्थलों पर अपना टिकासन लगाकर पांच दिनों तक बिश्राम करते हुए यहां की पंच कोसी परिक्ररमा करेगे । परन्तु यहां का पंचकोसी परिक्रमा मार्ग काफी जर्जर पड़ा है । ठेकेदार व्दारा कछुवा गति से निर्माण कार्य कराया जा रहा है । जिससे यहां पर मेला आने तक पंच कोसी परिक्रमा मार्ग पूर्ण रूप से दुरुस्त हो पाना सम्भव दिखाई नही दे रहा है ।