
नैमिष टुडे
अभिषेक शुक्ला
खैराबाद (सीतापुर) कल रात इंडिया टूर्स एंड ट्रेवल्स लखनऊ, गंगोत्री आयुर्वेदा लखनऊ और गहना पैलेस लखनऊ के सहयोग से और प्रसिद्ध सामाजिक और साहित्यिक संस्था खैराबाद फाउंडेशन द्वारा “एक शाम हरमन खैराबादी” नामक एक भव्य मुशायरे का आयोजन किया गया। ये मुशायरा कस्बे के मोहल्ला शेख सराय स्थित हजरत बड़े मखदूम साहब की दरगाह के पूर्वी हाल में आयोजित किया गया। जिसमें सभी प्रसिद्ध देशी-विदेशी कवियों और शायरों ने भाग लिया। और अपने बेहतरीन कलाम से दर्शकों की वाह वाही लूटी. प्रतिनिधि चेयरपर्सन अभिषेक गुप्ता ने मोमबत्ती जलाकर मुशायरे की शुरुआत की और कवियों और दर्शकों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम हमें अपनी परंपराओं से जोड़े रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसके बाद संस्था के अध्यक्ष सैयद जिया अल्वी ने सभी उपस्थित लोगों को संस्था के लक्ष्य और उद्देश्यों से अवगत कराया।इसके बाद खैराबाद कस्बे के जाने-माने लेखक फरीद बिलग्रामी द्वारा लिखित एक बेहतरीन लेख हिरमां खैराबादी के जीवन पर प्रस्तुत किया गया जिस का पाठ कस्बे के शायर महबूब खैराबादी ने किया।शहर की मशहूर शायरा रेहाना आतिफ ने भी हिरमां खैराबादी के व्यक्तित्व और उनकी साहित्यिक उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए लेख प्रस्तुत किया। उस के बाद फर्रुखाबाद से आए सैयद हिलाल मुजीबी रज्जाकी ने अपनी बेहद मनमोहक आवाज में हिरमां खैराबादी का कलाम सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। इसी क्रम को जारी रखते हुए शहर के सुप्रसिद्ध सूफी गायक शबी अहमद ने अपने सूफी अंदाज में हिरमां खैराबादी द्वारा लिखित ठुमरी सुनाकर पूरी महफिल में चार चांद लगा दिए। इस दौरान तारा इकबाल, साजिदा सबा, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव अजल लखनवी, आयशा अयूब, मोनिका अरोड़ा माना देहरादून सुमन मिश्रा ,रेहाना आतिफ़ को उनकी साहित्यिक सेवाओं के लिए खैराबाद फाउंडेशन द्वारा हिरमां खैराबादी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद खैराबाद फाउंडेशन ने एक नई पहल करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वृक्षारोपण की अपील को ध्यान में रखते हुए प्रतिनिधि चेयरपर्सन अभिषेक गुप्ता ने फूलों की जगह एक पौधा दिया और फाउंडेशन ने वृक्षारोपण अभियान की शुरुआत की. इन समारोहों के बाद महफ़िल मुशायरा का आरंभ हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता रायबरेली से आईं विश्वविख्यात शायरा तारा इकबाल ने की और निजामत का फर्ज अदा किया मशहूर नाजिम मुशायरा आयशा अयूब ने। मुशायरा की अध्यक्ष तारा इकबाल ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कहा कि ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम हमारे शहर की साहित्यिक पहचान को जिंदा रखे हुए हैं. साथ ही उनके खैराबाद फाउंडेशन की इस मुहिम में ऐसी गोष्ठियों का आयोजन किया जाता है, जिसमें शहर की साहित्यिक विरासत और उससे जुड़ी शख्सियतों का जिक्र किया जाता है. और जिससे कस्बे के लोगों के साथ-साथ पूरी दुनिया के लोगों को खैराबाद कस्बे के गौरवशाली अतीत के बारे में पता चल रहा है और नई पीढ़ी को भी इससे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है। ऐसे साहित्यिक कार्यक्रम हमारे देश की गंगा-जिमनी संस्कृति का भी प्रतिनिधित्व करते हैं। साथ ही वे पूरे देश को एकता और भाईचारे का संदेश भी देते हैं।उनके बाद अफजल यूसुफ ने अपनी गजल से गजल के दौर की शुरुआत की। फिर देर रात तक सिलसिला चलता रहा जिसमें राम प्रकाश बेखुद, मुहम्मद अली साहिल, संजय मिश्रा हमनवा, तारा इकबाल, इकबाल बासवानी, तनवीर इकबाल बिसवानी, साजिदा सबा, डॉ. श्वेता श्रीवास्तव “अज़ल”, सुमन मिश्रा, फैज खमार बाराबंकी, मोनका अरोरा मन, आयशा अयूब, शाहबाज तालिब, यासीन इब्न उमर, नदीम सीतापुरी, मोईन अल्वी खैराबादी, मेहबूब खैराबादी, कमर खैराबादी, हाफिज मसूद महमूदाबादी, कारी आजम जहांगीराबादी, जियाउद्दीन जिया, गुहर खैराबादी, अजीज खैराबादी, रेहाना आतिफ, मजाज सुल्तानपुरी। राजेंद्र रंचक, विवेक मिश्र, राज खैराबादी, इकरार खैराबादी ने एक से बढ़कर एक शब्द प्रस्तुत कर दर्शकों को झूमने पर मजबूर कर दिया. और खूब तारीफें बटोरीं।