57 देशों के आईओसी के इस्लामिक अरब शिखर सम्मेलन में इजराइल पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव गिरा

 

भारत अमेरिका आतंकवादी गतिविधियों, संगठनों पर लगाम लगानें साथ-साथ

57 देशों के ताकतवर इस्लामिक सहयोग संगठन के प्रस्ताव को 7 देशों ने रोका – युद्ध छोड़कर मानवीय भाईचारा अपनाना ज़रूरी – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर पिछले कुछ वर्षों से दुनियां के देशों में आपसी प्रेम भाईचारा वात्सल्य सद्भाव के स्थान पर तल्खी देखने को मिल रही है तो, दूसरी ओर एक गोलबंदी टाइप का स्तर बनते जा रहा है, क्योंकि कुछ पावरफुल देश अपने पक्ष में ताकत का माहौल बनाने में लगे हुए हैं जिनको एक गति का रूप रूस यूक्रेन युद्ध से मिल गया है, तो आग में घी डालने का काम हमास इजरायल युद्ध से हुआ है।उधर ताइवान चीन मामले में अमेरिका का भी दखल दिख रहा है तो भारत के पड़ोसी देशों को चीन का शेल्टर जग जाहिर है यानें एशिया, साउथ एशिया, इस्लामिक सहयोग संगठन यूरोपियन स्टेट, अफ्रीकी संघ सहित अनेक गुटों में दुनिया बटी हुई दिखाई दे रही है तो इसी बीच हमास इजरायल युद्ध की तरफ दुनियां का ध्यान खींच गया है, क्योंकि मामला तीसरे विश्व युद्ध की ओर बढ़ रहा है संयुक्तराष्ट्र ने युद्ध विराम का प्रस्ताव 120/14 मतों से पारित हुआ तो वहीं भारत सहित 45 देश ने वोटिंग से बाहर रहे अमेरिका मानवीय विराम चाहता है तो कई इस्लामी देश पूर्ण युद्ध विराम चाहते हैं। जबकि इजाराइल संयुक्त राष्ट्र के युद्ध विराम की अपील को मना कर दिया है।इसी बीच 11 नवंबर 2023 को 57 देशाें के इस्लामी सहयोग संगठन(आईओसी) के इस्लामी अरब शिखर सम्मेलन में इजराइल से अपने सभी राजदूत बुलाने तेल और अन्य आपूर्ति बंद करने सहित अनेको प्रस्ताव थे, लेकिन आईओसी के ही सदस्य 7 देशों के कारण यह प्रस्ताव गिर गया, ऐसी जानकारी मीडिया में आई है हालांकि 11 नवंबर2023 को इस्लामिक अरब शिखर सम्मेलन के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में ऐसे किसी प्रस्ताव की कोई जानकारी नहीं दी गई है।यह आर्टिकल भी इसकी पुष्टि नहीं करता। चूंकि संभवत अमेरिका के दबदबे के चलते ही 57 देश की आईओसी बैठक में तथाकथित प्रस्ताव गिर गया है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, 57 देश के ताकतवर इस्लामिक सहयोग संगठन के प्रस्ताव को 7 देशों ने रोका परंतु मेरा मानना है कि युद्ध छोड़ मानवीय भाईचारा रखनाअत्यंत जरूरी है।
साथियों बात अगर हम 11 नवंबर 2023 को संपन्न हुई आईओसी समर्थित इस्लामी अरब शिखर सम्मेलन के नतीजो की करें तो, सऊदी अरब के जेद्दाह में 57 मुस्लिम देशों के इस्‍लामिक अरब शिखर सम्‍मेलन की मीटिंग में इजरायल के खिलाफ ठोस एक्‍शन पर सहमति नहीं बन सकी और यह रस्‍मी बयानबाजी के साथ खत्‍म हो गई। यह मीटिंग गाजा में जारी इजरायली हमलों के मद्देनजर बुलाई गई थी जिसमें पाकिस्‍तान, तुर्किए समेत कुछ देशों ने सीजफायर की मांग की थी। अल्‍जीरिया, लेबनान जैसे कुछ देशों ने इजरायल के लिए तेल की सप्‍लाई रोकने का प्रस्‍ताव दिया था लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन सकी इस्लामिक दुनिया के नेता माने जाने वाले सऊदी अरब उसने इजरायल के साथ सभी तरह के संबंधों को खत्म करने को लेकर इस्लामिक अरब शिखर सम्मेलन में पेश किए गए एक प्रस्ताव को पास होने से रोक दिया है। सऊदी अरब के साथ-साथ संयुक्त अरब अमीरात समेत 7 मुस्लिम देश इस प्रस्ताव के विरोध में खड़े हो गए जिसके बाद इजरायल के खिलाफ संपूर्ण बहिष्कार का प्रस्ताव पास नहीं हो पाया है।प्रस्ताव में कहा गया कि इजरायल के साथ इस्लामिक देश सभी तरह के राजनयिक और आर्थिक संबंध खत्म कर लें और इजरायली उड़ानों को अरब हवाई क्षेत्र का इस्तेमाल न करने दें। इसराइल के एक पेपर की एक रिपोर्ट के मुताबिक, प्रस्ताव में कहा गया कि तेल उत्पादक मुस्लिम देश गाजा में युद्धविराम के लिए इजरायल को धमकी दें कि अगर वो युद्धविराम नहीं करता तो उसे तेल की आपूर्ति रोक दी जाएगी। रिपोर्ट में अरब मामलों के विश्लेषक के हवाले से कहा गया कि प्रस्ताव को सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात (यूएई), जॉर्डन, मिस्र, बहरीन, सूडान, मोरक्को, मॉरिटानिया और जिबूती ने अस्वीकार कर दिया। सऊदी, अरब देश जहां पहले इजरायल के सख्त खिलाफ होकर फिलिस्तीन का समर्थन करते थे, अब उनके रुख में बदलाव आ रहा है। वो अब भी फिलिस्तीन का समर्थन करते हैं लेकिन इजरायल को लेकर उनके रुख में नरमी आ रही है। इसका ताजा उदाहरण इस्लामिक-अरब शिखर सम्मेलन में देखने को मिला जब सऊदी, यूएई समेत 7 मुस्लिम देशों ने इजरायल के खिलाफ एक प्रस्ताव को पास नहीं होने दिया। हालांकि, 11 नवंबर को इस्लामिक अरब शिखर सम्मेलन के बाद जारी आधिकारिक विज्ञप्ति में ऐसे किसी प्रस्ताव को लेकर कोई जानकारी नहीं दी गई थी।सऊदी अरब के क्राउनप्रिंस अब क्षेत्रीय झगड़ों में पड़कर देश के संसाधनों को बर्बाद होते नहीं देखना चाहते बल्कि उनका ध्यान अपने महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट ‘विजन 2030 की सफलता पर है।इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य सऊदी अरब की तेल आधारित अर्थव्यवस्था में बदलाव लाना है। सऊदी इस प्रोजेक्ट के जरिए विदेशी निवेश को तेजी से आकर्षित कर रहा है और अपनी रूढ़िवादी इस्लामिक छवि में भी सुधार कर रहा है. इस प्रोजेक्ट के जरिए सऊदी अपने पर्यटन को भी बढ़ावा दे रहा है. इसी क्रम में सऊदी ने ईरान और सीरिया के साथ अपने संबंधों को सामान्य किया है।
साथियों बात अगर हम प्रस्ताव के विरोध वाले देशों की करें तो शिखर सम्मेलन में भाग लेने वाले दो प्रतिनिधियों ने समाचार एजेंसी को बताया कि अल्जीरिया ने इजरायल के साथ सभी संबंधों को खत्म करने की मांग करते हुए एक प्रस्ताव पेश किया है, उन्होंने कहा कि अरब के कुछ देशों ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है क्योंकि उन्होंने मौजूदा संकट के बीच इजरायल के साथ बातचीत जारी रखने की आवश्यकता पर जोर दिया। सऊदी अरब पहले 11 नवंबर को इस्लामिक सहयोग संगठन (ओआईसी) की बैठक और 12 नवंबर को अरब लीग शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने वाला था, हालांकि, गाजा में मानवीय संकट को देखते हुए सऊदी ने 11 नवंबर को राजधानी रियाद में एक संयुक्त शिखर सम्मेलन की मेजबानी करने का फैसला किया। शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र के दौरान सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने कहा कि फिलिस्तीनी लोगों के खिलाफ जो भी अपराध हो रहे हैं, उसके लिए इजरायल जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि संकट को समाप्त करने के लिए तत्काल युद्धविराम होना चाहिए।बहरीन और यूएई ने मीटिंग में रखे गए प्रस्‍तावों पर आपत्ति दर्ज कराई और अपना पक्ष भी रखा; जिससे प्रस्‍ताव खारिज हो गया। इजरायल के साथ बहरीन और यूएई ने 2020 में अपने संबंध सुधारे थे और अब्राहम अकॉर्ड पर समझौता हुआथा। सीरिया के राष्‍ट्रपति ने कहा कि मीटिंग में कोई भी ठोस प्रस्‍ताव नहीं रखा जा सकामिडिल ईस्‍ट के देशों को इजरायल के साथ कोई संबंध नहीं रखना चाहिए।

साथियों बातें अगर हम प्रस्ताव के समर्थन वाले देशों की करें तो, ईरानी राष्ट्रपति ने सम्मेलन के दौरान इस्लामिक देशों से कहा कि वो इजरायली सेना को आतंकवादी संगठन घोषित करें।सम्मेलन के दौरान तुर्की के राष्ट्रपति ने कहा कि इजरायल फिलिस्तीन संघर्ष का स्थायी समाधान खोजने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय शांति सम्मेलन बुलाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, गाजा में हमें कुछ घंटों के लिए विराम की जरूरत नहीं है, बल्कि हमें एक स्थायी युद्धविराम की जरूरत है। इस दौरान दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले मुस्लिम देश इंडोनेशिया के राष्ट्रपतिने कहा, इजरायल जिस तरह के मानवीय अत्याचार कर रहा है, उसे जिम्मेदार ठहराने के लिए ओआईसी को अपने सभी मोर्चों का इस्तेमाल करना चाहिए। इस मीटिंग में कहा गया कि गाजा पर इजरायल के हमले गलत हैं और इजरायल का यह कहना कि वह आत्‍मरक्षा में हमले कर रहा है; यह कतई ठीक नहीं है। अरब लीग और ऑर्गनाइजेशन ऑफ इस्‍लामिक कॉपरेशन की मीटिंग में कहा गया कि इजरायल के हमले यदि जारी रहे तो फिर दूसरे देशों पर भी सीधा असर होगा और अब तक 12 हजार लोगों की मौत हो जाने से मिडिल ईस्‍ट के देशों में गुस्‍सा देखा जा रहा है। ईरान के राष्‍ट्रपति ने कहा कि इस्‍लामिक देशों को इजरायल की सेना को आतंकी संगठन घोषित करने की मांग की थी, लेकिन उस पर सहमति नहीं बन सकी। अल्‍जीरिया और लेबनान ने मांग रखी थी कि इजरायल लगातार हमले कर रहा है; ऐसे में तेल की सप्‍लाई बंद कर देनी चाहिए।अरब देशों को उससे आर्थिक और कूटनीतिक संबंध खत्‍म कर देने चाहिए। साथियों बातें कर हम हमास इसराइल शांति समझौते के खटाई में पढ़ने की करें तो, हमास ने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला कर दिया था जिसके बाद से इजरायल हमास नियंत्रित गाजा पर लगातार हमले कर रहा है। इस हमले से पहले ऐसी रिपोर्टें थीं कि सऊदी अरब जल्द ही इजरायल के साथ संबंध सामान्यीकरण समझौता करने वाला है। अमेरिका, इजरायल और सऊदी अरब के राजनयिकों ने अमेरिकी न्यूज वेबसाइट एबीसी को बताया था कि सऊदी क्राउन प्रिंस, इजरायली प्रधानमंत्री और अमेरिकी राष्ट्रपति, सभी ने एक समझौते के लिए समर्थन जताया है जिसके तहत सऊदी अरब कूटनीतिक रूप से इजरायल को मान्यता देगा।राजनयिकों का कहना था कि अगर सऊदी अरब इजरायल को मान्यता देने पर सहमत हो गया तो अरब के बाकी देश भी इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य करने की कोशिश करेंगे। इजरायल के साथ अरब देशों के समझौतों से इजरायल और उसके पड़ोसियों के बीच 1948 से चली आ रही दशकों की शत्रुता खत्म हो जाएगी।हालांकि, हमास और इजरायल के बीच चल रही लड़ाई के बाद से सऊदी अरब ने इजरायल के साथ चल रही शांति वार्ता को रोक दिया है। विश्लेषकों का कहना है कि भले ही सऊदी अरब ने मुस्लिम दुनिया से दबाव के बीच इजरायल के साथ शांति वार्ता को अभी के लिए रोक दिया है लेकिन भविष्य में यह समझौता तय है। सऊदी अरब ने यूएई के साथ मिलकर इजरायल के खिलाफ प्रस्ताव का विरोध किया जो इस बात का संकेत देता है कि इजरायल को लेकर उसके रुख में नरमी आई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि 57 देश के आईओसी के इस्लामिल अरब शिखर सम्मेलन में इजराइल पर प्रतिबंध लगाने का प्रस्ताव गिरा।भारत अमेरिका आतंकवादी गतिविधियों,संगठनों पर लगाम लगानें साथ-साथ।57 देश के ताकतवर इस्लामिक सहयोग संगठन के प्रस्ताव को 7 देशों ने रोका – युद्ध छोड़कर मानवीय भाईचारा अपनाना जरूरी।

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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