मिश्रित सीतापुर / अपने पति की लंबी उम्र और दाम्पत्य जीवन में सुख की कामना को लेकर सभी सुहागिनो ने करवा चौथ का व्रत रखा । इस दिन महिलाऐं सुबह से ही निर्जला व्रत रखकर रात को चंद्रोदय होने पर करवा चौथ व्रत की विधि विधान से पूजा करके अपना व्रत तोड़ती है । ऐसी मान्यता हैं । कि सुहागिन महिलाऐं अगर इस दिन करवा चौथ का व्रत रखती हैं । तो उनका दांपत्य जीवन सदा सुख मय बना रहता है । आचार्यों की माने तो यह करवा चौथ व्रत महिलाओं के लिए बेहद खास होता है । रोहिणी नक्षत्र के साथ ही मंगल का योग चंद्रमा के लिए काफी शुभ माना जाता है । शास्त्रों के अनुसार करवा चौथ का व्रत प्राचीन काल से चला रहा है । प्राचीन ग्रंथ महाभारत की माने तो द्वापर में देवी द्रोपदी द्वारा अपने पतियों की दीर्घायु को लेकर करवा चौथ का व्रत रखा गया था । जिससे बिषम परिस्थितियों में भी उनका कोई बाल बांका नहीं कर सका । एक किवदंती के अनुसार सत्यवान सावित्री की कथा प्रचलित है ।सत्यवान के प्राण हरण करने आए यमराज से सावित्री ने अपने पति के प्राणो की भीख मांगी और यमराज के न मानने पर सावित्री ने यमराज को विचलित कर दिया तथा मां बनने का आशीर्वाद मांगा । यमराज ने हां कर दिया । फिर सत्यवान के जीवन के अलावा और कोई विकल्प नहीं रह गया था । अंत में सावित्री ने अपने सुहाग की रक्षा की । तभी से सभी सुहागिने निर्जला ब्रत रखकर अपने पति के दीर्घायु की कामना करती है । एक और किवदंती के अनुसार करवा नामक एक पवित्र स्त्री थी । जो अपने पति से अटूट प्रेम करती थी । और पति से अटूट प्रेम करने के कारण उसके अंदर एक दिब्य शक्ति का वास हो गया था । नदी में नहाते समय एक मगरमच्छ ने उसके पति को पकड़ लिया । उसने यम देवता का आवाहन कर अपने सुहाग को वापस मांगा और कहा अगर उसके सुहाग को कुछ हुआ तो हुआ अपनी शक्ति से यमलोक का सर्वनाश कर देगी । यमराज ने घबराकर उसके पति को जीवन दान दे दिया । जिससे उसने गणेश चतुर्थी के दिन करवा चौथ का व्रत रखा । और पति के दीर्घायु होने की कामना की । तभी से सभी सुहागिने यह करवा चौथ का निर्जला ब्रत रखकर सायं को विधि विधान से चंद्र देव पूजा करके अपने पति के दीर्घायु की कामना करते इस ब्रत को तोड़ती हैं ।