
हस्तांतरण के बाद भी अंगद का पांव जमाए थाने पर दलाली का कवायद मे कारखास
थाना प्रभारी को नही रहती जानकारी पिड़तों से हो जाती सौदेबाजी।
थाना प्रभारी के आदेश के बावजूद लापता युवक की दो दिन से नही लिखा तहरीर नाबालिग से बालिग में तहरीर बदलवाकर बड़ी जद्दोजहद पर लिखा सिपाही प्रदीप ने तहरीर
बदलापुर/जौनपुर /ब्यूरो चीफ /अरुण कुमार दुबे
पुलिस अधीक्षक जौनपुर डा. अजय पाल शर्मा के जौनपुर आने पर जिले में अपराधियों की सामत सी आ गई है अपराधी या तो समर्पण कर दे रहे या जिले के बाहर सरण ले लिए है। अगर बात पुलिस विभाग की करें तो भ्रष्ट पुलिसकर्मी संत का चोला पहन कर समस्या निस्तारण करने में लगे हैं जिससे कप्तान के कार्यवाही की अवहेलना न हो। लेकिन अभी भी कुछ पुलिस बगैर भय के विभाग की विश्वसनीयता पर अंकुश लगाने में बेखौफ़ लगे हैं। उसी क्रम में बदलापुर थाने पर तैनात हेड मोहर्रील एंव कारखास प्रदीप कुमार सिंह है जो कई सालों से बदलापुर थाने पर तैनात हैं। लोगों की मानें तो इनके द्वारा थाने पर आए फरियादियों के साथ कारनामा थाना क्षेत्र में चर्चाएं आम है। क्षेत्रीय लोग बताते हैं कि इनके द्वारा क्षेत्र में टहल कर वसूली करने से दुकानदार के साथ गाड़ी मोटर वालों और ब्यवसाई परेशान हैं।
उच्च अधिकारियों के आदेश की अवहेलना की बात करें तो बिते 30 तारीख को एक 17 वर्षीय युवक घर से निकला पर दो दिन से घर नही लौटा जिस बात की सूचना लेकर प्रार्थी थाने पहुंचा प्रभारी निरीक्षक ने प्रकरण को समझा और तत्काल प्रभाव से गुमसुदगी दर्ज करने का आदेश तहरीर पर कर दिया। तहरीर पर हेड मोहर्रील व कारखास प्रदीप कुमार सिंह द्वारा साम तक तहरीर की कापी देने का आश्वासन देकर भेजा गया। पर लगातार दो दिन तक प्रभारी के आदेश के बाद भी दर्ज नही किया गया और तिसरे दिन पहुचने पर कारखास प्रदीप द्वारा तहरीर बदलने पर मामला दर्ज करने का कारनामा चालू हुआ। फिर तहरीर बदलवाकर मामला दर्ज किया गया। बड़ा सवालिया निशान यह खड़ा हो रहा कि प्रभारी निरीक्षक के आदेश के बाद भी कारखास मनबढ़ई में यह कृत्य कर रहा। न तो प्रभारी निरीक्षक का डार न ही तेजतर्रार कप्तान डा. अजय पाल शर्मा का भय है कि जब इस तरह वर्दी को दागदार बनाने की जानकारी उच्च स्तरीय अधिकारियों को हो जाएगी तो क्या हस्र होगा।
पर अंगद की तरह पाव जमाए कारखास प्रदीप कुमार सिंह अपनी स्कार्पियो से वसूली में मस्त हैं। आलम यह कि पुलिस अधीक्षक जौनपुर द्वारा तीन साल से एक थाने पर तैनात पुलिसकर्मियों के हस्तांतरण में कारखास प्रदीप का भी हस्तांतरण भी किया जा चूका है पर कप्तान के आदेश का जरा भी ध्यान नही यहां पर बनाए गए डेरे को छोडऩे में मोह माया बनी है। पिड़तों की सूने तो थाने पर आए फरीयादीयों से थाना प्रभारी का हिमायती बनकर अपने हाथों में लेकर प्रभारी को भनक भी नही लगती और तत्काल सौदे बाजी कर मामले में लीपापोती और पिड़तों के साथ धनऊगाही कर देने मे माहिर खिलाड़ी के रूप में वर्दी के विश्वास पर प्रश्नचिन्ह खड़े होने के मुख्य सूत्रधार हैं कारखास प्रदीप कुमार सिंह। थाने पर आए लोगों से बत्तमीजी के साथ पेश होने से पुलिस के साथ जिले के उच्च अधिकारियों के सम्मान को गिराने के बेहतर उदाहरण है थाने के कारखास। कप्तान द्वारा पिछले महीने की 23 तारीख को हस्तानांतरण हुए पुलिसकर्मियों को अभी हाल में 30/09/23 तक नवीन तैनाती पर स्थान ग्रहण करने का आदे दिया गया है पर यह सिपाही यही लूट खसोट मचाए हुए हैं आदेश को ताक पर रखा हुआ है, जो जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है।