
जौनपुर/ब्यूरो /अरुण कुमार दुबे /नैमिष टुंडे
जौनपुर के सभी गांव में महिलाओं ने डीजे-बाजे- गाजे के साथ जीवित्पुत्रिका व्रत 24 घंटे उपवास रखकर संपन्न किया महिलाएं समूह में विधि विधान के अनुसार पूजन पाठ घाटो, तालाबों, पोखरो के किनारे किया, महिलाएं जीवित्पुत्रिका का पाठ करती है किस्से सुनती है जीवित्पुत्रिका व्रत पुत्र- पुत्री की दीर्घायु, स्वास्थ कामना, एवं फालदाई सुख-समृद्ध के लिए महिलाएं व्रत रखकर पूजन -पाठ करती हैं दवरी में विभिन्न प्रकार के व्यंजन सहित फल लाद कर महिलाएं पूजा अर्चना की। प्राचीन पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस व्रत के महत्व का वर्णन भगवान शिव ने माता पार्वती से किया था इस संबंध में बताया जाता है कि अश्विन कृष्ण पक्ष की अष्टमी के दिन उपवास रखकर जो स्त्री स्वयं प्रदोष काल में पूजा करती हैं और कथा सुनने के बाद आचार्य को दक्षिण देती हैं वह पुत्र-पुत्री-पुत्रों का पूर्ण सुख प्राप्त करती हैं व्रत का पारण दूसरे दिन अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद किया जाता है यह व्रत अत्यंत फलदाई है इस व्रत का संबंध महाभारत काल से भी है यह कथा महाभारत काल से जुड़ी हुई है महाभारत युद्ध के बाद अपने पिता की मृत्यु के बाद अश्वत्थामा बहुत ही नाराज था और उसके अंदर बदले की आग तीव्र थी जिस कारण उसने पांडवों के शिविर में घुसकर सोते हुए पांच लोगों को पांडव समझकर मार डाला था लेकिन वह सभी द्रोपदी के पांच संताने थी।
उसके इस अपराध के कारण उसे अर्जुन ने बंदी बना लिया और उसकी दिव्य मणि छीन ली जिसके फल स्वरुप अश्वत्थामा ने उत्तरा की अजन्मी संतान को गर्भ में मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का उपयोग किया जिसे निष्फल करना नामुमकिन था उत्तरा की संतान का जन्म लेना आवश्यक थी जिस प्रकार भगवान श्री कृष्ण ने अपने सभी पुण्य का फल उत्तरा की अजन्मी संतान को देखकर उसके गर्भ में पुनः जीवित किया। गर्भ में मारकर जीवित होने के कारण उसका नाम जीवित्पुत्रिका पड़ा और आगे जाकर यही बालक राजा परीक्षित बने तभी से इस व्रत को किया जाने लगा। बरसठी ब्लॉक के ग्राम सभा घाटमपुर , सराय वैद्य में पूजन पाठ करती महिलाएं