
मिश्रिख सीतापुर / एक तरफ प्रदेश सरकार पर्यावरण संतुलन बनाए रखने के लिए नवीन वृक्षारोपण तथा पुराने वृक्षों के संरक्षण पर जहां विशेष जोर दे रही है । वहीं मिश्रिख वन रेंज में तैनात रेंजर दिनेश गुप्ता हरे-भरे फलदार देशी बृक्षों को कलमी बताकर लकड़ कटेरों से उनको साफ कराने में लगे हुए है । मिश्रिख कोतवाली से चंद कदम की दूरी पर स्थित ग्राम बिजनापुर में मजार वाली बाग के नाम से चर्चित देसी आम के भारी-भरकम बृक्षों को बीती रात डेढ़ लाख रुपए की विक्री में लकड़ कटारों ने कटाकर साफ करा दिया है । मांमले में पूछने पर रेंजर श्री गुप्ता ने बताया कि 20 कलमी पेड़ों का परमिट था । तभी ठेकेदार ने कटवाया होगा । लेकिन उनसे जब यह कहा गया कि यह बाग तो काफी पुरानी और देसी पेड़ों की थी । जिसमें बौर भी लगा हुआ है । तो उन्होंने कहा मुझे नहीं मालूम 20 कलमी पेड़ों का परमिट था । और फोन काट दिया । इतना ही नहीं इसके पहले ग्राम इस्लामनगर में मदरसा के निकट गांव के उत्तर स्थित विभिन्न प्रजातियों के पेड़ों की बाग बीती 16/ 17 की फरवरी को एक लकड़ कटेरे ने पुलिस और वन कर्मियों की सांठ गांठ से कटाकर साफ करा दिया । इन वृक्षों में प्रतिबंधित प्रजाति की तीन भारी-भरकम शीशम भी शामिल हैं । इसके पहले डाक बंगला मिश्रिख के पीछे स्थित मुनीम की बाग से भी आधा दर्जन से अधिक बौर लगे आम के वृक्षों को भी पुलिस और वन कर्मियों की सांठ गांठ से लकड़ कट्टों द्वारा कटाकर साफ करा दिया गया । इतना ही नहीं इसके पहले ग्राम करियाडीह में रोड के किनारे स्थित विभिन्न प्रजाति के प्रतिबंधित वृक्षों में शीशम जामुन आम गूलर की बाग लकड़ कटेरों ने कटाकर साफ करा दिया । गौरतलब है कि भारी-भरकम आम के वृक्षों को कलमी बताकर उन्हें कटाने की हरी झंडी देने का गोरखधंधा यहां पर वन रेंज में तैनात रेंजर द्वारा धड़ल्ले से चलाया जा रहा है । और अरण्य क्षेत्र के रूप में जानी जाने वाली मिश्रिख नैमिष की पावन वसुंधरा मरुस्थल में तब्दील हो रही है । जिसकी तरफ जिला प्रशासन और प्रदेश शासन को गंभीरता से जांच कराकर वन कर्मियों और लकड़ कटारों पर सख्त कार्यवाही करने की आवस्यक्ता है । ताकि इस हरे भरे अरण्य क्षेत्र के वृक्ष कटान पर रेंक लग सके ।