केंद्रीय बज़ट 2023 मध्यमवर्गीय करदाताओं के लिए स्वर्णम अवसर साबित हो सकता है 

केंद्रीय आम बज़ट 2023 से हमारी अपेक्षाएं

 

केंद्रीय बज़ट 2023 मध्यमवर्गीय करदाताओं के लिए स्वर्णम अवसर साबित हो सकता है

 

केंद्र सरकार पार्ट – 2 के आख़री पूर्ण बज़ट से टैक्सपेयर्स को बड़ी सौगात मिलने की संभावना – एडवोकेट किशन भावनानी

 

गोंदिया – वैश्विक स्तरपर कोविड -19 के बाद हर देश की अर्थव्यवस्था किसी न किसी स्तरपर गंभीर स्थितियों से गुजर रही है, जिसे प्रबल बनाने के लिए हर देश जी तोड़ कोशिश है कर, अनेक रणनीतिक नीतियांबनाकर उसे नियंत्रण में लाने की कोशिश जोरों से कर रहे हैं। वही भारत की अर्थव्यवस्था ने कुछ माह पूर्व ही छलांग मारकर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है,जिसके अब तीसरे नंबर पर आने की खुशकिस्मती संभावनाएं व्यक्ति की जा रही है, जिसकी अभिलाषा हर नागरिक के मन में भी होगी। चूंकि 1 फ़रवरी 2023 को केंद्र सरकार पार्ट-2 का आखरी पूर्ण बजट है इसलिए, एक तीर से कई निशान लगाने के अनुमान अनेक क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैं,जोर स्वाभाविक ही है कि, उद्देश्य पार्ट-3 प्राप्त करना होगा। हालांकि यह सिर्फ अनुमान है, क्योंकि अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ करना हर सरकार का प्राथमिक कर्तव्य, उद्देश्य उत्तरदायित्व होता है, जिसको ध्यान में रखते हुए ही बजट बनाया जाता है इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से केंद्रीय आम बजट 2023 से हमारी अपेक्षाओं पर चर्चा करेंगे।

साथियों बात अगर हम पिछले कुछ वर्षों से खासकरके पिछले 2 वर्षों से देखें तो करीब-करीब हर क्षेत्र को कुछ ना कुछ कोविड-19 के त्रासदी से उबरने दिया गया है,खासकर के बयानों में आ रहे उन करीब 80 करोड़ लोगों को 5 किलोग्राम अनाज दाल वितरण अभी भी शुरू है। परंतु मेरा मानना है कि कोई रह गया है तो वह है,मध्यमवर्गीय परिवार और मीडिया क्षेत्र से जुड़े कर्मचारी परिवार जो पिछले अनेक वर्षों से उनको कोई राहत पैकेज नहीं दिया गया है यह अफसोसजनक है। इसलिए, वर्तमान में मध्यम वर्ग के करदाताओं को विभिन्न चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। महंगाई उनकी सेविंग्स को खा रही है, मुद्रास्फीति से लड़ने के लिए केंद्रीय बैंक द्वारा बैक-टू-बैक रेपो दर में बढ़ोतरी ने होम लोन और अन्य ऋणों के लिए मासिक ईएमआई में वृद्धि कर दी है। ईंधन की ऊंची कीमतों ने घरेलू बजट को प्रभावित किया है। करदाताओं के सामने आने वाली इन कठिनाइयों को देखते हुए अब समय आ गया है कि कुछ राहत प्रदान करने के लिए इनकम टैक्स स्लैब रेट्स में बदलाव किया जाए।मूल आयकर स्लैब को बढ़ाकर 5 लाख रुपये किया जा सकता है और उच्चतम स्लैब को 20 लाख रुपये किया जाना चाहिए।

साथियों करदाताओंं को जो टैक्स बचत प्राप्त होगी वह अर्थव्यवस्था में खपत और निवेश कोबढ़ाएगी।यह सरकार को करदाताओं को कर राहत देने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम करेगा कि रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं का आधार कम न हो। वहीं, केंद्र सरकार उन वरिष्ठ नागरिकों के लिए कुछ कर प्रोत्साहन भी प्रदान कर सकती है, जो महंगाई की अधिक मार झेल रहे हैं। महंगाई उनकी निश्चित ब्याज इनकम के वास्तविक मूल्य को नष्ट कर देती है। ऐसे में सीनियर्स को भी सेविंग स्कीम्स से होने वाली इनकम पर टैक्स दरों में और राहत दे सकती है। यह सरकार को करदाताओं को कर राहत देने के साथ-साथ यह सुनिश्चित करने के दोहरे उद्देश्य को प्राप्त करने में सक्षम करेगा कि रिटर्न दाखिल करने वाले करदाताओं का आधार कम न हो। बजट 2023 में सरकार 80 सी के तहत छूट की सीमा को बढ़ाकर 2.5 लाख रुपये कर सकती है। अभी यह सीमा 1.5 लाख रुपये है, जिसमें पिछले 2014-15 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है। उस दौरान 80सी के तहत छूट की सीमा को एक लाख रुपये से बढ़ाकर 1.5 लाख रुपये किया गया था। इसके साथ ही धारा 80 सी की छूट की सीमा को भी बढ़ाने की जरूरत है। मेरा मानना है कि कर संग्रह के मोर्चे पर चालू वित्त वर्ष सरकार के लिए अच्छा रहा है। इसके अलावा, वैश्विक चुनौतियों और अनिश्चितताओं के बीच बजट में अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ाने पर जोर रहेगा। यह तभी संभव है, जब खपत को बढ़ावा मिले। 80सी का दायरा बढ़ाने से आम लोगों को बड़े पैमाने पर बचत का अवसर मिलेगा। वहीं, वहीं स्टैंडर्ड डिडक्शन की मौजूदा 50, हज़ार रुपये की सीमा को बढ़कर 75 हज़ार रुपये करने की जरूरत है।

साथियों सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में योगदान की सालाना सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये करने का भी सुझाव दिया गया है। इसमें कई वर्षों से कोई इजाफा नहीं हुआ है। विशेषज्ञों का कहना है कि जीवन बीमा योजना, बच्चों की ट्यूशन फी, म्यूचुअल फंड की कर योजनाएं पहले से ही 80सी के दायरे में आती हैं। इसलिए, पीपीएफ में पर्याप्त योगदान की गुंजाइश नहीं बचती है। इसके लिए अलग से छूट का प्रावधान होना चाहिए। सरकार को 2022-23 में अब तक प्रत्यक्ष कर संग्रह के रूप में करीब 26 फीसदी ज्यादा कमाई हुई है।शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह भी 20 फीसदी बढ़ा है। टीडीएस कटौती और कॉरपोरेट कर संग्रह का प्रदर्शन भी अच्छा रहा है।

साथियों 2024 में देश में आम चुनाव होने हैं। स्वभाविक ही सोच होगी कि करदाताओं को राहत देकर सरकार इस मौके को भुनाना चाहेगी।2023 के बजट में बस कुछ ही दिनों का वक्त बचा हुआ है।सरकार पार्ट-2 का यह आखरी पूर्ण बजट होगा। ऐसे में इस बजट से आम लोगों को बहुत ज्यादा उम्मीदें हैं।आर्थिकविशेषज्ञ भी यह मानते हैं कि इस बार के बजट में, सरकार सैलरीड क्लास से लेकर किसानों तक को बड़ी राहत प्रदान कर सकती है।2024 में लोकसभा का चुनाव होना है। पिछले कुछ सालों को देखें तो सरकार की ओर से बजट में कई तरह के बदलाव भी किए गए हैं। टैक्सपेयर्स को लेकर भी कई बड़े बदलाव हुए हैं। अभी मूल रूप से छूट को बढ़ाने की ज़रूरत है। दरअसल, न्यू टैक्स रिजीम आजादी के बाद से चली आ रही परंपरा से अलग है। पारंपरिक टैक्स व्यवस्था को ओल्ड टैक्स रिजीम कहा जाता है। ओल्ड टैक्स रिजीम में 80सी, 80डी, एचआरए समेत कई तरह के डिडक्शन पर क्लेम किया जा सकता है। लेकिन नए टैक्स व्यवस्था में यह मुमकिन नहीं है। इन सब के बीच वित्त मंत्री ने भी बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि सरकार सात कर स्लैब वाली वैकल्पिक आयकर व्यवस्था इसलिए लाई ताकि निम्म आय वर्ग के लोगों को कम कर देना पड़े। उन्होंने कहा कि पुरानी कर व्यवस्था में प्रत्येक करदाता लगभग 7-10 छूट का दावा कर सकता है और आय सीमा के आधार पर आयकर की दरें 10, 20 और 30 प्रतिशत के बीच होती हैं। उन्होंने कहा कि पुरानी कर व्यवस्था के साथ ही सरकार एक वैकल्पिक प्रणाली लेकर आई है, जिसमें कोई छूट नहीं है, लेकिन यह सरल है और इसकी कर दरें कम हैं। सरकार ने आम बजट 2020-21 में वैकल्पिक आयकर व्यवस्था शुरू की थी, जिसके तहत व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (एचयूएफ) पर कम दरों के साथ कर लगाया गया। हालांकि, इस व्यवस्था में किराया भत्ता, आवास ऋण के ब्याज और 80सी के तहत निवेश जैसी अन्य कर छूट नहीं दी जाती है। इसके तहत 2.5 लाख रुपये तक की कुल आय कर मुक्त है।

साथियों बात अगर मैं मेरे सटीक अनुमान की करें तो बजट 2023 में मेरे अनुमान के हिसाब से निम्नलिखित बातें बजट में समाहित हो सकती है। (1) मूल आयकर स्लैब बढ़ाकर 4 से 5 लाख़ तक की जा सकती है। (2) धारा 80सी 80डी 80 ई की सीमा बढ़ाई जा सकती है। (3) स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा 50 से बढ़ाकर 75 हज़ार की जा सकती है। (4) पत्रकारों और मीडिया क्षेत्र के लिए कुछ स्कीम आ सकती है। (5)टैक्स विवाद, टैक्स बढ़ोतरी, रिटर्न स्कीम में टैक्स का दायरा बढ़ाने की योजना सहित कुछ स्कीमों को 5 साल के दायरे तक लाया जा सकता है। अब देखना है मेरा अनुमान सटीक बैठता है या नहीं यह 1 फ़रवरी 2023 को ही पता चल सकता है।

अतः अगर हम उपरोक्त विवरण का अध्ययन कर उसकाविश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि केंद्रीय आम बजट 2023 से हमारी अपेक्षाएं। केंद्रीय बजट 2023 मध्यम वर्गीय करदाताओं के लिए स्वर्णिम अवसर साबित हो सकता है। केंद्र सरकार पार्ट-2 के आखरी पूर्ण बजट से टैक्सपेयर्स को को बड़ी सौगात मिलने की संभावना है।

 

*-संकलनकर्ता लेखक – कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुख़दास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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