जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीज झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में जाने को विवश

जनसंख्या के अनुपात में डॉक्टरों की कमी के चलते मरीज झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में जाने को विवश

नैमिष टुडे/मनीष यादव

 

*कछौना, हरदोई।* प्रशासन की अनदेखी के चलते कस्बे सहित ग्रामीण क्षेत्र में पंजीकृत नर्सिंग होम, क्लीनिक, झोलाछाप डॉक्टर स्वास्थ्य मानकों को ताक पर रखकर स्वास्थ्य सेवाएं देकर लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। यह लोग बिना डिग्री के दवाओं से लेकर गंभीर बीमारी का इलाज करते हैं, यहां तक ऑपरेशन तक करते हैं। गरीब मरीज के साथ स्वास्थ्य सेवा देकर उसे जीवन भर अपंग कर देते हैं, कभी-कभार गलत इलाज से जान चली जाती है। कोई प्रभावित व्यक्ति की शिकायत करने पर विभागीय अधिकारी कार्यवाई कर खाना पूर्तिकर कर्तव्य की इति-श्री कर लेते हैं।

 

बताते चले विकासखंड कछौना की आबादी लगभग दो लाख है। योग्य डॉक्टरों की संख्या काफी कम है, जनसंख्या के अनुपात में योग्य डॉक्टरों की काफी कमी है। जिसके कारण लोग इलाज के लिए आसपास गांव, मेडिकल स्टोर, झोलाछाप डॉक्टरों की शरण में जाने को विवश है। इनकी चपेट में आने से मरीज गलत इलाज के कारण और गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाते है। योग्यता के अभाव में यह कथित डॉक्टर मरीज के स्वास्थ्य के साथ के खिड़वाड कर रहे हैं। बिना उचित जांच व जानकारी न होने के कारण अंधाधुन दवाओं का प्रयोग करते हैं। जिनका मनुष्य के शरीर पर साइड इफेक्ट होता है । वह अनजाने में कई बीमारियों की चपेट में आ जाते है। डॉक्टरों की कमी के कारण झोलाछाप धड़ल्ले से व्यवसाय को अंजाम देते हैं। सबकुछ राम भरोसे से चलता है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र व प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में डॉक्टर नियमित रूप से नहीं आते हैं। अधिकांश डॉक्टर मरीज को बाहर की दवाई लिखते हैं। स्वास्थ्य केंद्रों पर सीमित जांचे होती हैं। मरीज बाहर से जांच करने को विवश है। जिससे मरीज का आर्थिक शोषण होता है। बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का ढिंढोरा पीटने वाली सरकार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर एक्सरे मशीन तक नहीं उपलब्ध करा सकती है।जिसके कारण मरीज बाहर अथवा जिला अस्पताल को जाने को विवश है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कछौना में एचसीएल फाउंडेशन की तरफ से लाखों रुपए की अल्ट्रासाउंड मशीन उपलब्ध कराई गई थी। रेडियोलॉजिस्ट के अभाव में कई वर्षों से धूल फांक रही है। प्राइवेट अस्पतालों में प्रदूषण बोर्ड, अग्नि शमन, कचरा प्रबंधन आदि बुनियादी सुविधाएं प्रकाश व्यवस्था, पेयजल, शौचालय कार्य कागजों पर दुरुस्त होते हैं। जिनकी हकीकत में सुविधा नदारत होती है। जिन चिकित्सकों के नाम की डिग्री पर नर्सिंग होम, क्लीनिक, पैथोलॉजी का पंजीकृत होता है, लेकिन अधिकांश डॉक्टर नदारत होते हैं। संचालन कोई और करता है। संचालन करता मुन्ना भाई चिकित्सकों की डिग्री पर अस्पताल चला रहे हैं। इन क्लीनिक नर्सिंग होम में पंजीकृत डिग्री धारक डॉक्टर नारद रहते हैं। झोलाछाप डॉक्टरों की ला-इलाज बीमारी की तरह व्यवस्था सुचारू रूप से अनवरत चली आ रही है। जिसका प्रतिदिन कोई न कोई व्यक्ति शिकार हो रहा है। जब तक जानकारी होती है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। प्रभारी अधीक्षक ने बताया एक अप्रैल से अस्पतालों के पंजीकरण और नवीनीकरण के मानकों में बदलाव हो चुका है। अस्पतालों को अपने यहां के चिकित्सकों का संपूर्ण रिकॉर्ड एचपीआर पोर्टल व संसाधन एचएफआर पोर्टल पर विवरण दर्ज करना होगा। पंजीकृत व झोलाछाप डॉक्टर पैथोलॉजी के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। इन्हें चिन्हित कर नोटिस दी जा रही है। उसके बाद विधिक कार्यवाई की जाएगी।

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