हरे भरे फलदार पेड़ लिए गए काट, हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक

हरे भरे फलदार पेड़ लिए गए काट, हाईकोर्ट ने लगाई थी रोक

नीलामी 23 पेड़ों की थी और काट लिए गए 40 पेड़

पेडो की कीमत लाखों की, मूल्यांकन कम आखिर क्यों❓

 

महमूदाबाद सीतापुर। एक ओर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने महमूदाबाद तहसील के मुस्तफाबाद गाँव में हो रहे हरे व फलदार पेड़ों के कटान पर अंतरिम रोक लगा दी तो वहीं दूसरी ओर रोक लगाए गए पेड़ों को आनन फानन में काट लिया गया। हलांकि पेड़ काटने के मामले में न्यायालय ने सख्त रुख अपनाते हुए, एसडीएम महमूदाबाद का मामले में व्यक्तिगत हलफ़नामा तलब किया है। मामले की अगली सुनवाई 13 अगस्त को होगी, यह निर्णय ग्रामवासियों की ओर से दाखिल जनहित याचिका पर पारित किया गया। याचियों का कहना है कि गाटा संख्या 23 ग्राम सभा की जमीन है जो 2.44 हेक्टेयर की है। और कहा गया कि उक्त जमीन पर हरे व फलदार वृक्ष लगे हैं जिन्हें नीलामी कर के कटवाया जा रहा है। वहीं तहसीलदार, महमूदाबाद की ओर से मामले पर भेजी गई जानकारी में कहा गया कि ग्राम प्रधान ने उक्त जमीन पर एक अस्थायी गौशाला का निर्माण करवाया है और गौशाला के जानवरों के लिए उसी जमीन पर चारा आदि की बुआई करना चाहता है इसलिए उक्त जमीन पर स्थित पेड़ों की नीलामी कराई गई व पेड़ों की कीमत 82 हजार 530 रुपये रखी गई।
इस पर न्यायालय ने पूछा कि इतने पेड़ों की लागत मात्र 82 हजार 530 रुपये कैसे तय की गई है और एसडीएम ने उक्त नीलामी को मंजूरी देते समय, पेड़ों के कटान के लिए क्या वन विभाग से अनुमति ली है। न्यायालय ने इन सभी बिंदुओं पर जवाब देने के लिए एसडीएम को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा व न्यायमूर्ति श्री प्रकाश सिंह की खंडपीठ ने अवधेश कुमार आदि की याचिका पर दिया है।
उक्त न्यायालय के निर्णय के पश्चात ग्राम वासियों ने बताया कि रोक लगाए जाने के बाद भी उन हरे भरे फलदार पेड़ों को आनन फानन में काट लिया गया है और 23 पेड़ों की नीलामी के बावजूद 40 पेड़ काट लिए गए जिसमे 36 पेड़ों की जड़े मौके पर है, बाकी जडों की उखाड़ दिया गया है। ग्रामीणों ने बताया कि 52 बीघा का भ्रूण गावँ में ही है जिस के कुछ हिस्से पर प्रधान द्वारा गौशाला बनवाई जा चुकी है, इसी 52 बीघे की भूमि का काफी हिस्सा चारागाह के लिए भी मौजूद है, पिछले एक साल से गौशाला बनी हुई है किन्तु इस गौशाला को अभी तक चालू नही किया गया है फिर ऐसा क्या हुआ कि एक गौशाला व चारागाह की जमीन होते हुए भी ग्राम प्रधान ने गाटा संख्या 23 पर लगे विशाल पेड़ो को यह कर कटवा डाला कि वहाँ पर चारा बोने का काम किया जाएगा लेकिन जब एक जगह चारा बोने का काफी स्थान रिक्त पड़ा था तो आखिर वही भूमि प्रधान को खाली करवाने की क्या जरूरत पड़ गयी, कहीं ऐसा तो नही कि चारा बोने के नाम पर काफी लंबा खेल खेला गया हो और फिर शायद इसीलिए ग्रामीणों को हाईकोर्ट का भी दरवाजा खटखटाना पड़ा हो।
इस मामले में एक बात और उभर कर सामने आई है कि जिस वक्त पेड़ काटने की शुरुआत हुई थी तब ग्रामीणों ने तहसील मुख्यालय पर जाकर दो दिन धरना प्रदर्शन भी किया था, उस वक़्त ग्रामीणों को नायब तहसीलदार दीनानाथ यादव द्वारा ग्रमीणों को 14 दिन तक पेड़ नही काटे जाएंगे ऐसा आश्वासन भी दिया गया था। फिर भी ग्रामीणों के साथ छल करके धोखे से नीलामी की निर्धारित संख्या से अधिक पेड़ आखिर किसके इशारे पर काट लिए गये, यह तो जांच का विषय है।

*इनसेट/बॉक्स*

*मामले में एसडीएम महमूदाबाद क्या बोली*
ग्राम प्रधान आदि द्वारा प्रॉपर चारागाह बनाने के लिए प्रस्ताव हुआ था, वहां पर बबूल वगैरह कटीले पेड़ थे, ग्राम सभा पर किसी द्वारा पेड़ लगा देने से पेड़ उसके नही हो जाते है वह सरकार के हो जाते है, मूल्यांकन वन विभाग के डीएफओ द्वारा कराया गया था, इसके बारे में वही बता सकते है।

*ग्रामीणों क्या बोले*

हलांकि ग्रामीणों का कहना है कि वहां पर काटे गए कटीले पेड़ व बबूल के पेड़ नही सिर्फ हरे भरे और फलदार वृक्ष ही काटे गए है।

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