
यज्ञ, दान और तप आत्मा को करती है पवित्र – स्वामी अभयानंद सरस्वती
श्रवण कुमार मिश्र
सीतापुर / महामंडलेश्वर स्वामी अभयानंद सरस्वती जी महाराज ने सत्संग के द्वितीय दिवस में बताया भगवान का भक्त जब भगवान को देखना बंद कर देता है । तभी उसके जीवन में दुख आता है। भगवान कहते हैं मुझको ही देखो मुझ से प्रेम करो मन और बुद्धि को हमेशा मुझ में लगा दो महाभारत के युद्ध के समय अर्जुन के रथ पर भगवान विराजमान हैं । लेकिन उसने देखा सेना की तरफ इस लिए उनके जीवन में मोह रूपी दुख आया और जब भगवान के शरणागत हो गए तो उनका मोह नष्ट हो गया। भगवान का दर्शन और नाम वह पूंजी है । जो यहां भी काम आती है और वहां भी काम आती है । भगवान ने अर्जुन से कहा ऐसा काम मत करो जो तुम्हारे पूर्वजों ने नहीं किया। जब कभी जीवन में धर्म संकट आए तो विचार करो आगे भविष्य क्या होगा। यदि ऐसा काम करूंगा तो हमारी कीर्ति होगी या अकीर्ति होगी आप चाहे कुख्यात हो जाओ चाहे विख्यात हो जाओ रावण और कंस कुख्यात है ।हरिश्चंद्र और मोरध्वज जैसे विख्यात हैं। महाराज जी ने कहा बहुत उम्र तो व्यतीत हो गई अब भगवान का भजन सुमिरन कर लो और मुक्त हो जाओ। इस अवसर पर श्रीकांत बाजपेई, विश्वनाथ शुक्ला, सिद्धनाथ पाठक, सुधीर मिश्रा सहित सैकड़ों भक्त मौजूद रहे ।