वृंदावन: मथुरा से तकरीबन 10किलोमीटर की दूरी पर वृंदावन है और इसी स्थान पर भगवान श्रीकृष्ण की क्रीड़ास्थली है। इसी वृंदावन केरमण रेती में राधा और कृष्णा का बांके बिहारी मंदिर बना है। खास बात इस मन्दिर की मान्यता केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी काफी मान्यता है। तभी तो दूर-दूर से यहां भक्त यहां आकर बांके बिहारी के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लेते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं मंदिर से जुड़ी ऐसी तमाम रोचक बातें हैं, जिनके बारे में शायद आप न जानते हों। आइए बताते हैं आपको बांके बिहारी मंदिर की दस बड़ी बातें।
बांके बिहारी मंदिर की स्थापना स्वामी हरिदास ने की थी। स्वामी हरिदास जी प्राचीन काल के मशहूर गायक तानसेन के गुरु थे। स्वामी हरिदास भगवान कृष्ण के भक्त थे। वे निधिवन में तमाम भजन आदि गाकर श्रीकृष्ण की भक्ति किया करते थे। उन्हें राधा कृष्ण दर्शन दिया करते थे। एक दिन वृंदावन के लोगों ने हरिदास जी से कहा कि वे भी राधा कृष्ण के दर्शन करना चाहते हैं तब हरिदास जी ने राधा कृष्ण की आराधना कर लोगों की बात उनसे कही। ध्यान व पूजन के बाद जब उन्होंने आंखें खोलीं तो इस मूर्ति को अपने समक्ष पाया था।श्री बांके बिहारी जी की मूर्ति के आगे हर दो मिनट के अंतराल पर पर्दा लगाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है कि उनकी छवि को लगातार प्रेमपूर्वक एक टक निहारते रहने से वे भक्त की भक्ति के वशीभूत होकर उसके साथ चले जाते हैं।बांके बिहारी सिर्फ प्रेम के भूखे हैं। वहीं मान्यता है कि वे भक्त की भक्ति के वशीभूत हो जाते हैं। इसलिए इस मंदिर में आकर आंखें बंद करके पूजा नहीं की जाती, बल्कि बांके बिहारी की आंखों में आंखें डालकर उन्हें निहारा जाता है। कहा जाता है कि बांके बिहारी की मूर्ति में ऐसा आकर्षण है जो भक्त को अपनी ओर खींचता है। उसकी आंखों से स्वयं आंसू गिरने लगते हैं।