
वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) के बयान पर अयोध्या (Ayodhya) के साधु संतों ने नाराजगी जताई है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास (Acharya Satyendra Das) ने कहा कि ये मामला धार्मिक है इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए. जब इसका सर्वे हो चुका है और मामला अदालत में है तो जो फैसला आए सभी पक्षों का मानना चाहिए. वहीं दूसरी तरफ तपस्वी छावनी के महंत परमहंस (Mahant Paramhans) ने कहा कि अखिलेश यादव ने बीजेपी के लिए नहीं अपितु बहुसंख्यक समाज का अपमान किया है भगवान भोलेनाथ का अपमान किया है. ये बयान आने वाले समय में सपा के लिए समूल विनाश का कारण होगा.
अखिलेश के इस बयान पर भड़के साधु-संत
दरअसल, अखिलेश यादव ने ज्ञानवापी मस्जिद (Akhilesh Yadav ON Gyanvapi) को लेकर पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए कहा था कि बीजेपी (BJP) के पास महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों का जवाब नहीं है यही वजह है कि इस तरह के मुद्दे उठा रही हैं ज्ञानवापी जैसी घटनाओं को जानबूझकर बीजेपी पर्दे के पीछे से अपने सहयोगियों के द्वारा भड़का रही है अखिलेश यादव ने कहा कि जो काम मुगलों ने किया था वही काम यह सरकार भी कर रही हैं. उन्होंने कहा कि बीजेपी के पास चुनाव तक ऐसा नफरत भरा कैलेंडर तैयार है.
‘ये मामला राजनीतिक नहीं धार्मिक है’
अखिलेश के इस बयान पर अब अयोध्या के साधु-संतों में काफी नाराजगी देखने को मिल रही है. रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने अखिलेश के बयान पर हमला करते हुए कहा कि ज्ञानवापी प्रकरण धार्मिक है और धार्मिक नीति के साथ में जुड़ा हुआ है. इसमें राजनीति नहीं लानी चाहिए. जो लोग राजनीति लाते हैं वो इसके वास्तविक स्वरूप का विषयांतर कर देते हैं उसे भटका देते हैं. उन्होंने कहा कि जो मामला चल रहा है और उसका सर्वे हो चुका है यह किसी पार्टी के ऊपर आरोप लगाना है तो ये बिलकुल गलत है क्योंकि दावा करने वाली महिलाएं किसी पार्टी की नहीं है वो वहां गौरी की पूजा करने जाती थी और उनको रोका गया और इसलिए उन्होंने इसकी मांग की. ऐसी स्थिति में ये कहना कि महंगाई और बेरोजगारी से भटकाने के लिए ये किया गया है तो ये गलत है.