
महमूदाबाद सीतापुर , परंपरागत जुलूस-ए-ग़म 8वीं मोहर्रम को क़िला महमूदाबाद से निकला, हजारों अकीदतमंद हुए शामिल
प्रो. अली खान राजा महमूदाबाद ने की कयादत, प्रशासन रहा मौजूद
अनुज कुमार जैन
8वीं मोहर्रम 1447 हिजरी, दिन शुक्रवार को क़िला महमूदाबाद से हज़रत अब्बास अलैहिस्सलाम की याद में सुबह 11 बजे परंपरागत और ऐतिहासिक जुलूस निकाला गया। यह मशहूर जुलूस तयशुदा मार्गों—पुरानी बाज़ार, महमूदाबाद खास, खुदागंज, कायस्थी टोला, अमीरगंज, मोतीपुर, कुरैशी मार्ग, कतरा, बेलदारी टोला, रामुवापुर, रामकुंड, बरदही बाज़ार, नई बाज़ार, बस स्टॉप, बजाजा चिकमंडी, बीबीपुर, स्टेट बैंक, संगत किला, पैगंबरपुर व भट्टा से होते हुए लगभग मध्यरात्रि को पुनः क़िला महमूदाबाद पहुंचकर समाप्त हुआ।
जुलूस की कयादत वक्फ क़िला महमूदाबाद के मुतवल्ली प्रो. अली खान राजा महमूदाबाद कर रहे थे। जुलूस में ऊंट, अलम, दुलदुल, शाही माहि मरातिब, ताबूत, और ताज़ियादारों की शिरकत ने ऐतिहासिक परंपरा को जीवंत कर दिया।
जुलूस में स्थानीय अंजुमनों—हैदरी, सज्जदिया, अब्बासिया के अलावा हज़ारों की तादाद में अकीदतमंद शरीक हुए। बाल्मीकि समाज ने भी लगभग 30 फीट ऊंचे अलम उठाकर आपसी एकता और गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल पेश की।
जुलूस मार्ग पर विभिन्न मोहल्लों में सबीलें लगाई गई थीं, जहाँ अकीदतमंदों द्वारा दूध, मलीदा व अन्य तबर्रुक अकीदत से पेश किया गया।
प्रशासनिक स्तर पर जुलूस को शांतिपूर्ण व सुरक्षित रूप से संपन्न कराने हेतु तहसील प्रशासन एवं पुलिस बल पूरी तरह मुस्तैद रहा।
जुलूस के समापन पर क़िला परिसर में मजलिस का आयोजन हुआ, जिसके पश्चात प्रो. अली खान राजा महमूदाबाद ने शांतिपूर्ण आयोजन के लिए स्थानीय प्रशासन का आभार व्यक्त किया।
यह जुलूस महमूदाबाद की धार्मिक, सामाजिक व सांस्कृतिक विरासत का जीवंत प्रतीक बनकर हर वर्ष की भांति इस बार भी जनमानस को एकजुट करता रहा।