
उत्तर प्रदेश कन्नौज , छिबरामऊ रुचि गुप्ता के मामले में, डॉक्टर को क्लीन चिट,
हिमांशु द्विवेदी नैमिष टुडे
छिबरामऊ कन्नौज। ग्राम बेहटा निवासी 18 मई को रुचि गुप्ता उर्फ लाडो उम्र 15 बर्ष पुत्री राजेश गुप्ता को बुखार आने पर छिबरामऊ की कृष्णा हॉस्पिटल में भर्ती कराया था। इलाज के दौरान छात्र की मौत हो गई थी। इसके बाद परिजनों ने अस्पताल संचालक डॉक्टर वा स्टाफ पर इलाज में लापरवाही से मौत का आरोप लगाकर हंगामा किया था अगले दिन व्यापारियों ने श्रद्धांजलि सभा आयोजित की और फिर कोतवाली का घेराव कर दिया। मामले में पुलिस को लाठी चार्ज करना पड़ा। इसके बाद व्यापारियों ने पुलिस प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया घटना वाली रात को हॉस्पिटल को सील कर दिया गया था जबकि डॉक्टर समेत अन्य दो लोगों को अगले दिन गिरफ्तार किया गया था। मामले में प्रदेश सरकार के मंत्री नंद गोपाल नंदी
ने सीधा हस्तक्षेप किया तो ताबड़तोड़ कार्रवाई हो गई। इसमें कोतवाली प्रभारी अजय अवस्थी, वा आंतरिक निरीक्षक चंद्र प्रकाश तिवारी, एवं सीओ सिटी कमलेश कुमार, सीओ छिबरामऊ मनोज कुमार सिंह, के तबादले किए गए।
करीब 12 दिन पहले कृष्णा हॉस्पिटल में इलाज के दौरान हुई छात्रा की मौत के मामले में अब तक कार्रवाई की मांग कर रहे थे परिजन बैकफुट पर आ गए हैं।
पुलिस अधीक्षक कार्यालय पहुंचकर मृतक के पिता, व भाई एवं एक अन्य ने हलफनामा देकर लापरवाही के आरोपी डॉक्टर को क्लीन चिट दी तो उधर मामले के तौर पकड़ने के बाद प्रदेश शासन तक पहुंच जाने से इसी बीच में रोक देना इतना आसान नहीं होने वाला है। पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार से मिलने पहुंचे शुक्रवार की सुबह छात्र के पिता राजेश गुप्ता भाई राज गुप्ता व सुशांत वर्मा 8-10 लोगों के साथ पहुंचे। यहां उन्होंने तीन हलफनामा सौंप। पिता राजेश गुप्ता की तरफ से दिए गए हलफनामे में कहा गया की 18 मई 2025 को हुई घटना के समय वह मौके पर मौजूद नहीं थे, लोगों के कहने में आकर आरोप लगा दिया , चार-पांच दिन बाद असलियत का पता चला।
कृष्णा हॉस्पिटल के संचालक डॉक्टर वैभव दुबे को क्लीन चिट देते हुए कहा कि उन्होंने बेटी का अच्छे से अच्छा इलाज किया जिससे उसे आराम भी मिला लेकिन भगवान के यहां से उसकी इतनी ही सांस थी जिसे उसकी मृत्यु हो गई इसी तरह से भाई राज व सुशांत की तरफ से भी हलफनामा देकर डॉक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं चाहते है। खास बात तो यह है कि 2 दिन पहले तक पीड़ित पक्ष की तरफ से सभी आरोपियों पर कठोर से कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही थी घटना की जांच के स्वास्थ्य विभाग की टीम की तरफ से बताया गया की जांच में पाया गया कि डॉक्टर वैभव दुबे के पास कोई चिकित्सकीय डिग्री नहीं है। वह बस बीएससी पास है। और अस्पताल का संचालक है । डॉक्टर नहीं। वही इस संबंध में पुलिस अधीक्षक का कहना है। कि सब कुछ मुख्य चिकित्साधिकारी के यहां से प्राप्त होने वाली रिपोर्ट पर निर्भर करता है। यदि बिना डिग्री के इलाज करने के बाद सामने सही पाई जाती है। तो संबंधित पर कानूनी कार्रवाई चलेगी। अस्पताल कि अभी तक सील खोली नहीं गई है। जांच टीम की तरफ से पिता भाई ने पुलिस अधीक्षक से मिलकर दिया हलफनामा नहीं चाहते कोई कार्रवाई 12 दिन पहले निजी अस्पताल में हुई थी इलाज के दौरान 18 वर्षीय रूचि की मौत।
सील खोले जाने के बाद मौके पर सीसीटीवी के साथ अन्य तथ्यो को पड़ताल पर ही आगे की कार्रवाई निर्भर है।