कुर्सी की गरिमां

कुर्सी की गरिमां

 

भारत में तोहफ़ों, उपहारों की नीलामी की नई परंपरा से देश की छवि में निखार ! – पड़ोसी मुल्क के पूर्व पीएम की फ़जीहत

 

भारत में तोहफ़ों, उपहारों से मिली आय को सरकारी योजनाओं में खर्च करने की सराहनीय परंपरा से गौरवविंत छवि को रेखांकित करना ज़रूरी – एड किशन भावनानी

 

गोंदिया – भारतीय संस्कृति और सभ्यता में देश को गौरवविंत करने वाली ऐसी अनेक गाथाएं हैं जिनका बखान शब्दों में करना कठिन है! जिस तरह हम अपने पूर्वजों, बड़े बुजुर्गों और इतिहास में सुनते पढ़ते आए हैं और निरंतर नई-नई गाथाएं इस माला में पिरोई जा रही है, प्रशंसा वैश्विक स्तरपर होकर देश की प्रतिष्ठा में चार चांद लग गए हैं!

साथियों बात अगर हम वर्तमान परिपेक्ष में एक-दो दिन पहले की करें तो इलेक्ट्रॉनिक और सोशल मीडिया में पड़ोसी मुल्क के पूर्व पीएम द्वारा उसके पीएम रहते अवधि में मिले तोहफों, उपहारों का दुरुपयोग याने खुद, निजी, रिश्तेदारों, करीबियों द्वारा नियमों को अनदेखा कर प्राप्त करने की खबरें तेजी से निरंतर वायरल हो रही है और कहा जा रहा है कि पूर्व पीएम पर इस मसले में गंभीर कार्यवाही करने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता !

हालांकि इन खबरों की अधिकृत पुष्टि नहीं हो पाई है लेकिन टीवी चैनलों पर दो दिनों से इस मुद्दे पर गर्माहट है और एक प्रसिद्ध टीवी चैनल और मीडिया ने इनकी नीतियों के सामने भारतीय नीतियों, नियमों, परंपराओं, प्रतिष्ठा का हवाला देकर डाटा के साथ कुर्सी की गरिमां का बखान किया है।

भारत ने पीएम को मिले तोहफ़ों उपहारों की की नीलामी की प्रक्रिया को बता कर हम कह सकते हैं कि इस नई परंपरा से देश की छवि में निखार हुआ है क्योंकि भारत में तोहफ़ों, उपहारों से मिली आय को सरकारी योजनाओं में खर्च करने की सराहनीय परंपरा देश की गौरवविंत छवि को रेखांकित करता है और पड़ोसी मुल्क और उनके पूर्व पीएम की फज़ीहत वैश्विक मीडिया पर हो रही है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से नीचे रेखांकित किया जा रहा है।

साथियों बात अगर हम पीएम को मिल रहे तोहफ़ों, उपहारों की करें तो, लगभग हर देश में नियम है कि पीएम को कोई तोहफ़ा मिलता है तो वो किसी व्यक्ति को नहीं पीएम के पद को मिला तोहफा होता है, इस लिहाज से उसपर व्यक्ति का नहीं, उस देश का हक़ होता है। उस उपहार को सरकारी खजाने में जमा कराना होता है लेकिन पड़ोसी मुल्क के पूर्व पीएम पर आरोप है कि उन्हें पीएम के तौर पर जो तोहफे मिले, उन्होंने उसे अपनी सम्पत्ति समझ लिया !

पूर्व पीएम को पीएम के पद पर रहते हुए साढ़े तीन साल के कार्यकाल में 58 उपहार मिले, इनकी कीमत लगभग 14 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। विपक्ष का आरोप है कि उन्होंने ये उपहार सिर्फ 2 करोड़ रुपये में तोशाखाना से खरीद लिये और इसके बाद इन्हें दुबई में लगभग 18 करोड़ रुपये में बेच दिया!! यानें आरोपों के मुताबिक पूर्व पीएम ने इससे 16 करोड़ रुपये की कमाई की!!

मीडिया में 58 तोहफों की एक लिस्ट है. जो पूर्व पीएम और उनकी बेगम को मिले थे। पड़ोसी मुल्कों के तोशाखाने की इस लिस्ट में 1 अगस्त 2018 से लेकर दिसंबर 2021 तक मिले तोहफों के साथ उनकी कीमत का भी पूरा ब्योरा है। पड़ोसी मुल्क में सरकारी तोहफों को लेकर ये भी नियम है कि अगर पीएम इन तोहफों को अपने पास रखना चाहे तो वो आधी कीमत में इन्हें खरीद सकता है! लेकिन विपक्ष का आरोप है कि पूर्व पीएम ने कई तोहफों की कीमत ही नहीं चुकाई और कई तोहफों की कीमत बहुत कम लगवाकर उसे सस्ते में हासिल किया आरोप सीधे-सीधे अमानत में खयानत का है!!

इस मामले में हो रही आलोचना पर पूर्व पीएम ने अपनी सफाई में कहा कि तोशाखाना से तोहफे बेचने के सारे आरोप बेबुनियाद हैं मैंने तोशाखाने से जो कुछ भी खरीदा था, वो रिकॉर्ड में है। मैंने तोशाखाना से तोहफे 50 फ़ीसदी कीमत अदा करके खरीदे. मैंने तो तोहफों की कीमत 15 फ़ीसदी से बढ़ाकर 50 फ़ीसदी करवाई। मैंने राष्ट्रपति का भेजा तोहफा भी तोशाखाना में जमा किया। तोहफों से कमाना होता तो घर को कैंप ऑफिस बना लेता. ऐसा करके करोड़ों कमा सकता था, लेकिन मैंने नहीं किया!!

साथियों बात अगर हम भारत की करें तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के अनुसार हमारे पीएम को भी जब दूसरे देशों से इसी तरह के तोहफे मिलते हैं उन्हें सरकारी तोशाखाना में जमा करके उनकी नीलामी करते हैं और फिर वो पैसा सरकारी कामों में इस्तेमाल होता है। पीएम के रूप में उन्होंने नीलामी के लिए प्राप्त सभी उपहारों को डोनेट करना शुरू कर दिया। इस तरह का पहला आयोजन फरवरी 2015 में हुआ था। दिलचस्प बात यह है कि इस तरह की पहली नीलामी में हमारे पीएम द्वारा तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ बैठक के दौरान पहना गया एक पिनस्ट्रिप सूट 4.31 करोड़ रुपये में नीलाम हुआ था, इसे सूरत के एक हीरा व्यापारी 62 वर्षीय लालजीभाई पटेल ने 4.31 करोड़ रुपये में खरीदा था।

वर्ष 2015 में पीएम को 460 तोहफे मिले। वर्ष 2019 में जनवरी से अप्रैल के बीच उन्हें 1800 तोहफे मिले। सितंबर से अक्टूबर 2019 पीएम को 2 हजार 772 गिफ्ट मिले वर्ष 2021 में उन्हें कुल 1 हजार 348 गिफ्ट मिले। वर्ष 2019 तक तीन बार इन तोहफों की नीलामी की गई और इस नीलामी से 15 करोड़ 13 लाख रुपये मिले।

साथियों बात अगर हम 2021 में हुई थी नीलामी की करें तो, व्यक्ति या संगठन, जो भी इस नीलामी में शामिल होना चाहते हैं, वो 17 सितंबर से 7 अक्टूबर, 2021 के बीच वेबसाइट के माध्यम से ई-नीलामी में भाग ले सकते थे ई-नीलामी से प्राप्त धनराशि गंगा के संरक्षण और कायाकल्प के उद्देश्य से नमामि गंगे मिशन को दी गई थी। वही हमारे पीएम ने इस तरह के गिफ्ट की ई-नीलामी कर नई परंपरा बनाई है। वह नीलामी से मिले पैसे का इस्तेमाल सरकार की योजनाओं में करते आए हैं। मसलन सितंबर में हुई नीलामी से मिले पैसे का इस्तेमाल नमामि गंगे प्रोजेक्ट इस्तेमाल करने की बात कही गई थी। जो कि निश्चित तौर पर भारत की एक अलग छवि पेश करता है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि हमारे पीएम को मिले तोहफों की नीलामी से मिले पैसों का लाभ गंगा की सफाई में किया जा रहा है। हमारे पीएम ने पड़ोसी मुल्क के पूर्व पीएम की तरह किसी महंगे तोहफे को न अपने पास रखा और न ही उसे बेचकर पैसा कमाया उन्होंने नीलामी के पैसों का इस्तेमाल देश हित में किया।

 

*-संकलनकर्ता लेखक- कर विशेषज्ञ स्तंभकार एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया महाराष्ट्र*

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