गन्ने के साथ उड़द की सहफसली खेती करके पाएं दोहरा लाभ।

गन्ने के साथ उड़द की सहफसली खेती करके पाएं दोहरा लाभ।

 

जलभराव वाली जमीन पर सी ओ पी 9301प्रजाति के गन्ने की बुवाई करें

 

नैमिष टुडे संवाददाता

विकास मिश्रा

सांडा/सीतापुर-जलभराव वाली जमीन पर गन्ने की नवीनतम प्रजाति सीओपी 9301 जिससे भरपूर उपज मिलती है। अधिक उपज पाने के लिए किसान भाई इसकी बुवाई करें। इसके साथ उड़द की सह फसली खेती करके दोहरा लाभ पाए। यह बात सेकसरिया चीनी मिल बिसवां के गन्ना सलाहकार डॉ राम कुशल सिंह ने सांडा जोन में किवानी नदी के जल भराव वाले क्षेत्र में गन्ने की बुवाई कराते हुए गन्ना किसानों से कहीं।

गन्ने की यह नवीनतम प्रजाति लाल सड़न बीमारी और कीटों के प्रकोप से बचाव करने में सक्षम होने के कारण जलभराव वाले क्षेत्र में भरपूर उपज देती है। ट्रेंच विधि से गन्ने की बुवाई करके इसके साथ उड़द की सहफसली खेती जरूर करें। जिससे उन्हें अतिरिक्त आमदनी मिलने के साथ मिट्टी की ताकत भी बढ़ती है। समय-समय पर सही मात्रा में उर्वरकों का उपयोग,सिंचाई और गुड़ाई से उपज में वृद्धि होती है।

 

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गोमूत्र सबसे अच्छा कीटनाशक-

गन्ना और उड़द की खेती में कीटों व रोगों से बचाव के लिए कीटनाशकों की जगह गोमूत्र एक भाग और दस भाग पानी का घोल सिंचाई के साथ अथवा दस-दस दिनों के अंतराल पर फसल पर छिड़काव करें। इससे फसल कीटों व रोगों के प्रकोप से बचती है और जानवरों से भी फसल की सुरक्षा होती है।

 

फसल चक्र अपना कर करें भूमि का सुधार-उप गन्ना प्रबंधक विमल मिश्रा ने कहा कि किसान भाई गन्ने के साथ दलहनी फसलों की खेती करके खेत की मिट्टी का सुधार करें। विविध प्रकार की फसलें उगाने से फसल चक्र का पालन होता है। फसल में आलू की खेती की तरह हल्की सिंचाई समय-समय पर करें जिससे फसल की जड़ों को समुचित रूप से ऑक्सीजन मिलती रहती है।

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