
सूचना का अधिकार अधिनियम की धज्जियां उड़ा रहे पंचायत सचिव: उच्च अधिकारियों के आदेशों का भी नहीं हो रहा पालन
नैमिष टुडे/संवाददाता
सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था, लेकिन ज़मीनी स्तर पर इसे दरकिनार किया जा रहा है। ग्राम पंचायत अगर खुर्द का एक मामला इसका स्पष्ट उदाहरण है, जहां पंचायत सचिवों और खंड विकास अधिकारी (BDO) द्वारा सूचना देने में आनाकानी की जा रही है।
संजीव त्रिपाठी को नहीं मिल रही जानकारी
जागरूक नागरिक संजीव त्रिपाठी ने ग्राम पंचायत अगर खुर्द से संबंधित सूचनाएं प्राप्त करने के लिए खंड विकास अधिकारी, विकासखंड फूलबेहड़ के पास आरटीआई आवेदन दिया था। लेकिन निर्धारित समय सीमा के अंदर कोई जानकारी उपलब्ध नहीं कराई गई।
प्रथम अपील के बावजूद आदेशों की अवहेलना
सूचना न मिलने पर संजीव त्रिपाठी ने प्रथम अपील करते हुए मुख्य विकास अधिकारी (CDO) और जिला विकास अधिकारी (DDO) से शिकायत की।
अधिकारियों ने तत्काल सूचना उपलब्ध कराने का आदेश जारी किया।
पत्र के माध्यम से खंड विकास अधिकारी, फूलबेहड़ को निर्देश दिए गए कि तुरंत सूचना प्रदान की जाए।
लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी कोई सूचना नहीं दी गई।
क्या भ्रष्टाचार छिपाने की हो रही है कोशिश?
सूत्रों के अनुसार, सूचना न देने के पीछे पंचायत से जुड़े वित्तीय घोटालों को छिपाने की कोशिश हो सकती है।
मनरेगा मजदूरी भुगतान में गड़बड़ी।
विकास कार्यों के फर्जी बिल लगाकर सरकारी धन का गबन।
योजनाओं के लाभार्थियों की सूची में हेरफेर।
प्रशासनिक चुप्पी पर सवाल
अब सवाल यह उठता है कि जब मुख्य विकास अधिकारी और जिला विकास अधिकारी ने स्पष्ट आदेश जारी किए, तो फिर उनका पालन क्यों नहीं किया गया?
क्या पंचायत सचिव और BDO को किसी राजनीतिक या प्रशासनिक संरक्षण प्राप्त है?
क्यों महीनों बीत जाने के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई?
क्या सरकार और उच्च अधिकारी इस लापरवाही पर कोई सख्त कदम उठाएंगे?
जागरूक नागरिकों की मांग
संजीव त्रिपाठी और अन्य नागरिकों ने मांग की है कि सूचना का अधिकार अधिनियम का सख्ती से पालन कराया जाए और जो अधिकारी जानबूझकर सूचना रोक रहे हैं, उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाए