
ग्राम पंचायत श्रीनगर में भ्रष्टाचार का पर्दाफाश: क्या होगी ईमानदार जांच?
नैमिष टुडे/संवाददाता
ग्राम पंचायत श्रीनगर में भ्रष्टाचार का मामला गहराता जा रहा है। हाल ही में एक संवाददाता द्वारा पंचायत में चल रहे घोटालों को उजागर करने वाली खबर प्रकाशित की गई थी, जिसके बाद जिला पंचायती राज अधिकारी विशाल सिंह के आदेश पर सहायक विकास अधिकारी (पंचायत) द्वारा जांच की गई। लेकिन जांच में चौंकाने वाली बात यह रही कि कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया।
क्या सिर्फ कार्यालय में बैठकर हो सकती है निष्पक्ष जांच?
ग्रामीणों और जागरूक नागरिकों का मानना है कि इतनी बड़ी पंचायत और इतने बड़े विकास कार्यों की जांच केवल दो दिनों में पूरी कर दी गई, वह भी बिना गहराई से निरीक्षण किए। सवाल यह उठता है कि क्या जांच महज औपचारिकता बनकर रह गई है? क्या मीडिया द्वारा उजागर किए गए गंभीर भ्रष्टाचार के मामलों को सच में जांचा गया या फिर उन्हें दबाने की कोशिश की गई?
नकली मजदूरों का पर्दाफाश
इस मामले में एक और बड़ा खुलासा हुआ है। पंचायत में दर्ज श्रमिकों की सूची में दो नाम सामने आए हैं, जो असल में मजदूरी नहीं कर सकते।
1. फिरदौस नाम की एक कर्मी— जो एक नियमित स्नातक छात्रा है। सवाल यह उठता है कि क्या वह कॉलेज में अपनी पढ़ाई कर रही है या फिर पंचायत के विकास कार्यों में मजदूरी कर रही है? यह दोनों एक साथ संभव कैसे हो सकता है?
2. प्रधान पुत्र की पत्नी— नवविवाहित होने के बावजूद, उनके नाम पर मजदूरी का भुगतान किया गया है। क्या प्रधान पुत्र की पत्नी वाकई राजमिस्त्री का काम कर रही थी? क्या वह सच में ग्राम पंचायत की सड़कों पर ईंट-गारा उठा रही थी? या फिर यह सिर्फ कागजों में हेराफेरी का खेल है?
क्या प्रशासन करेगा ठोस कार्रवाई?
यह पहली बार नहीं है जब ग्राम पंचायत श्रीनगर में मजदूरी भुगतान घोटाले की बात सामने आई हो। सवाल यह उठता है कि क्या इस बार भी मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया जाएगा, या फिर जिला प्रशासन इस पर कोई कड़ी कार्रवाई करेगा?
अगले अंक में करेंगे और खुलासे!
यह घोटाला सिर्फ दो नामों तक सीमित नहीं है। हमारे पास और भी कई ऐसे नामों की सूची है, जिनके नाम पर फर्जी मजदूरी भुगतान किया गया है। अगले अंक में हम और भी चौंकाने वाले खुलासे करेंगे कि कैसे सरकारी योजनाओं का पैसा गलत हाथों में जा रहा है।