
प्रयागराज- दुनियाभर का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन महाकुंभ इन दिनों प्रयागराज में जारी है। आकंड़ों पर नजर डाले तो अब तक 50 करोड़ से अधिक श्रद्धालु संगम में डुबकी लगा चुके हैं। महाकुंभ मेला इस बार एक अद्वितीय धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन का केंद्र बन गया है। अब तक यहां देश के विभिन्न राज्यों के साथ 25 देशों और 5 महाद्वीपों से श्रद्धालु पहुंच चुके हैं। इन श्रद्धालुओं ने परमार्थ निकेतन शिविर के स्वामी चिदानन्द सरस्वती के मार्गदर्शन में संगम में डुबकी लगाई, जिससे वैश्विक एकता, सद्भाव और समरसता का संदेश दिया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से भारत में नॉर्वे की राजदूत मे-एलिन स्टेनर और उनके पति, साथ ही मैक्सिको के पर्यावरणविद् अबुएलो एंटोनियो ऑक्सटे सहित अन्य अंतरराष्ट्रीय श्रद्धालुओं ने भी संगम स्नान किया।
इन श्रद्धालुओं ने दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुए हादसे के दौरान मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित की साथ ही उनके मोक्ष की कामना भी की।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श्रद्धालुओं से कहा कि जो लोग हादसे का शिकार हुए, वे दिव्य आत्माएं संगम में स्नान करने आयी थीं, परंतु दुर्भाग्यवश वे स्नान नहीं कर पाए। इसलिये उनके आत्मा की शांति और सद्गति के लिए यह डुबकी समर्पित है। उन्होंने प्रार्थना की कि हें प्रभु उन दिव्य आत्माओं को अपने चरणों में स्थान दें, और उनके परिवार को दुःख सहन करने की शक्ति प्रदान करें। अरैल परमार्थ निकेतन शिविर से लेकर अरैट घाट तक श्रद्धालुओं ने एक मानव श्रृंखला बनाई, जो एकता और समरसता का प्रतीक बनी।
इस मानव श्रृंखला ने संदेश दिया कि जब हम एकजुट होते हैं, तो हमें दुनिया की कोई भी मुश्किल तोड़ नहीं सकती। यह दृश्य सांस्कृतिक विविधता और वैश्विक एकता का प्रतीक बना, जिसमें विभिन्न देशों के श्रद्धालुओं ने साथ मिलकर संगम में डुबकी लगाई। महाकुंभ के इस आयोजन ने न सिर्फ धार्मिक आस्थाओं को समर्पित किया है, बल्कि यह वैश्विक परिवार की भावना का भी प्रतीक बना है। संगम में जुटे श्रद्धालुओं ने एक साथ मिलकर यह संदेश दिया कि हम सभी एक ही पृथ्वी के नागरिक हैं, हमारी आपसी एकता ही दुनिया की शांति और समृद्धि की कुंजी है।
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