चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे से
नागेन्द्र बहादुर सिंह चौहान
चतुरी चाचा ने प्रपंच का आगाज करते हुए कहा- आज काल्हि जहां द्याखव हुवां गरमी क चर्चा होय रही। मौसम क्यार मिजाज बिगरतय जाय रहा। फागुनय त गरमी क पारा चढ़ाय लाग रहय। चैत म तौ घाम खपार फारे हय। बढ़ती गरमी त सभे परेशान हयँ। मुला, कोऊ अदमिन म बढ़िय रही गरमी प विचार नाइ कय रहा। लोगन म गरमी-गुस्सा दिनोंदिन बढ़तय जाय रहा। नैयकी पीढ़ी केरे तौ हर साइत भंगरा चढ़ा रहत हय। पुरिखनव क पारा बड़ी जल्दी चढ़ि जात हय। छोटी-छोटी बातन प झंझट होय जात हय। मौसम की तिना लोगन क मिजाज द्यखत-द्यखत बिगरि जात हय। बातय-बात म लाठी-डंडा चलय लागत हय। हत्या तलक होय जाती हयँ। भइय्या, यहू प विचार होय क चही।
चतुरी चाचा अपने प्रपंच चबूतरे पर बड़े इत्मीनान से विराजमान थे। पुरई चबूतरे की फुलवारी सींच रहे थे। गांव के बच्चे मैदान में कबड्डी खेल रहे थे। आज कबड्डी में लड़कियां भी हाथ आजमा रही थीं। कुकुवा व बड़के दद्दा चबूतरे का एक-एक कोना पकड़े थे। तभी मैं चबूतरे पहुंच गया। मेरे पीछे से कासिम चचा व मुंशीजी भी चबूतरे पर पधार गए। आज सुबह ही भीषण गर्मी होने लगी थी। धूप बेहद चटख निकली थी। लेकिन, चबूतरे पर पेड़ों की घनी छाया थी। परपंचियों को पछुवा चलने से उतनी गर्मी नहीं लग रही थी। चतुरी चाचा ने ककुवा से बतकही शुरू करने की गुजारिश की। ककुवा बोले- चतुरी भाई, आज प्रपंच क शुरुआत तुमहिन करव। वहिके पहिले युहु बताव कि तुमार हुक्का बहुत दिनन ते नाय द्यखाय परत। का हुक्का छोड़ि दिहौ? चतुरी चाचा ने कहा- हमका हुक्का-तम्बाकू छोड़े दुई महीना त जादा होइगे। हमार पान-पुकार, बीड़ी-सिगरेट अउ दारू त कबहुँ नाता नाय रहा। बसि, हम बप्पा क्यार हुक्का पकरि लेहन रहय। पोती उई दिन टोकय दिहिस कि बाबा, आप हुक्का न पीया करो। वही समय हुक्का क आखिरी होय गय। इसके बाद चतुरी चाचा ने प्रपंच शुरू किया। उन्होंने कहा- आजकल हर व्यक्ति मौसम की गर्मी पर चर्चा करते दिख रहा है। परंतु, लोगन के अंदर बढ़ रही गर्मी-गुस्सा पर कोई चर्चा नहीं करता है। इस पर भी विचार-विमर्श होना चाहिए।
कुकुवा बोले- चतुरी भाई, तुम हुक्का छोड़ि दिहौ। आजु ते हम सुरती छोड़ि रहेन। इतना कहकर ककुवा ने अपनी बंडी की जेब से तम्बाकू की चुनौटी फेंक दी। फिर वह बोले- चतुरी भाई, गुस्सा-गरमी क तौ हाल न पूंछव। चाहे लरिका-बिटिया होयं, चाहे बूढ़-पुरनिया होयं। सबके पारा बहुतै जल्दी चढ़ि जात हय। सब जाने मानो अंगारा प चलत हयँ। बातय-बात चीखय-चिल्लाय लागत हयँ। हम काल्हि अख़बार म पढ़ा रहय कि महाराष्ट्र म याक 86 साल क बुढ़ऊ नाश्ता म देरी होय त गुस्सायगे। उई अतना पगलाय गय कि अपनी बहुरिया गोली मारि दिहिन। ससुरदास हत्या म जेल चलेगे। युहु तौ हाल हय भइय्या। पता नाय कौनि बाति क गुस्सा भरी रहत हय सबके। तनुक-तनुक बात म लोगन क पारा चढ़ जात हय। घरन म मेहरुवे लड़िय रहीं। बाहर मनई लड़त-भिड़त हयँ। वइसे गुस्सा हमरेव आवत हय। मुदा, हम अपनी गुस्सा क दबाय लेइत हय। हमार दिमाग जब कौनिव बाति ते ठनकत हय, तब दुई गिलास ठंडा पानी गटागट पी लेइत हय। आखिरी कुल्ला मुँह मा भरि कय चुप्पे बैठि रहित हय। नतीजा युहु होत हय कि हमार गुस्सा थोरिन देर म काफूर होय जात हय। तुम पंच हमार तरीका अपनाय सकत हौ।
इसी बीच चंदू बिटिया परपंचियों के लिए जलपान लेकर आ गई। आज जलपान में केवल राब का ठंडा शर्बत था। सबने दो-दो गिलास शर्बत पीकर डकार ली। फिर प्रपंच आगे बढ़ा। बड़के दद्दा ने विषय परिवर्तन करते हुए कहा- यूपी के विधान परिषद चुनाव में भाजपा ने इतिहास रच दिया है। कांग्रेस, बसपा व सपा कहीं नजर ही नहीं आईं। विधानसभा चुनाव में सपा को थोड़ी सफलता हाथ लगी थी। परन्तु, एमएलसी चुनाव में सपा जीरो पर आउट हो गई। सपा उम्मीदवारों की तमाम जगह तो जमानत तक जब्त हो गई। सीतापुर में तो कमाल हो गया। भाजपा उम्मीदवार पवन कुमार सिंह ने 99 प्रतिशत वोट हासिल करके सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए। वहां सपा प्रत्याशी को सिर्फ 62 वोट मिले। जबकि निर्दलीय उम्मीदवार को मात्र 8 मत हासिल हुए। वहीं, भाजपा के पवन को 3,754 वोट प्राप्त हुए। इस बात के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सहित भाजपा संगठन एवं सरकार के तमाम पदाधिकारी पवन सिंह चौहान की पीठ ठोंक रहे हैं। क्योंकि, उन्होंने अपने शहर लखनऊ से जाकर सीतापुर जिले में ऐतिहासिक जीत हासिल की है। आजम खान के रामपुर और अखिलेश यादव के इटावा में भी भाजपा उम्मीदवारों से कमल खिलाया है। विधानसभा की तरह विधान परिषद में भी सपा एक कोने में सिमट गई है।
कासिम चचा ने कहा- भाजपा अगर इतनी जनप्रिय हो गयी है तो धर्म के नाम पर क्यों चुनाव लड़ती है? भाजपा अगर इतनी शक्तिशाली है तो अपर्णा यादव को लेने के बाद शिवपाल सिंह यादव पर डोरे क्यों डाल रही है? आखिर उसे मुलायम सिंह यादव के परिजनों की क्यों जरूरत पड़ रही है? मैं व्यक्तिगत तौर पर मोदी जी और योगी जी का मुरीद हूँ। दोनों की सरकारों ने भ्र्ष्टाचार पर नकेल कसी है। केंद्र व राज्य सरकार माफियाराज को खत्म कर रही है। लेकिन, भाजपा की कुछ नीतियों से नाइत्तफाकी रखता हूँ। भाजपा को चुनाव जीतने के लिए धर्म का सहारा नहीं लेना चाहिए। उसे अगले लोकसभा चुनाव में अपने विकास एवं लोक कल्याणकारी कार्यों को बताकर जन समर्थन जुटाने की हिम्मत दिखानी चाहिए। भाजपा को मुसलमानों से परहेज बन्द करना चाहिए। तभी ‘सबका साथ-सबका विश्वास-सबका विकास-सबका प्रयास’ वाला मोदी नारा सच साबित हो सकेगा।
अभी तक सबकी बातें सुन रहे मुंशीजी बोले- ‘ऑल इज फेयर, लव एंड वॉर’ वाली अंग्रेजी कहावत में अब पॉलटिक्स भी जोड़ देना चाहिए। अब कहना चाहिए कि ‘ऑल इज फेयर-लव, वॉर एंड पॉलिटिक्स’। क्योंकि, भारतीय राजनीति में सब जायज है। कोई कुछ भी बोल सकता है। कोई कुछ भी कर सकता है। सत्ता सुख के आगे नेताओं की न कोई सोच बची है न कोई सिद्धांत। विधायक, सांसद व मंत्री बनने के लिए नेता रोज पार्टी बदलते हैं। कुछ नेता अपवाद हैं, जो अपनी सोच और सिद्धांत के मुताबिक राजनीतिक दल ज्वाइन करते हैं। फिर वह जीवन भर उसी पार्टी में बने रहते हैं। पद-प्रतिष्ठा उनके सिद्धांतों के आड़े नहीं आती है। वे सत्ता सुख के लिए अपना जमीर नहीं मारते हैं। बाकी नेता तो अपना जमीर घर में रखकर राजनीति में उतरते हैं। उन्हें हर हाल में पद और पैसा चाहिए। जिस विपक्षी नेता को सालोंसाल गरियायते हैं, पद पाने के लिए उसी के तलवे चाटने लगते हैं। ऐसे नेताओं से क्या उम्मीद पाली जाए?
अंत में मैंने परपंचियों को कोरोना अपडेट देते हुए बताया कि विश्व में अबतक 50 करोड़ 38 लाख लोग कोरोना संक्रमित हो चुके है। इनमें 62 लाख 20 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसी तरह भारत में चार करोड़ 30 लाख 40 हजार से अधिक लोग कोरोना से पीड़ित हो चुके हैं। देश में अबतक 5,21,780 लोगों की मौत हो चुकी है। अगर दिल्ली और महाराष्ट्र को छोड़ दें, तो पूरे भारत में कोरोना नियंत्रित है। उधर, चीन में कोरोना के एक्सई नामक नए वैरिएंट ने आफत मचा रखी है। भारत में भी कुछ एक्सई वैरियंट से पीड़ित मिले हैं। देश के शत-प्रतिशत लोगों का टीकाकरण अंतिम चरण में है। अब निजी अस्पतालों में भी बूस्टर डोज लगने लगी है। इसकी 600 रुपये कीमत निर्धारित की गई है। भारत के टीकाकरण अभियान से पूरी दुनिया हतप्रभ है। बहरहाल, हमें मास्क और दो गज की दूरी का पालन करते रहना चाहिए। तभी हम सब कोरोना महामारी से सुरक्षित रहेंगे।
अंत में चतुरी चाचा ने सबको हनुमान जन्मोत्सव की बधाई एवं शुभकामनाएं दीं। इसी के साथ आज का प्रपंच समाप्त हो गया। मैं अगले रविवार को चतुरी चाचा के प्रपंच चबूतरे पर होने वाली बेबाक बतकही के साथ फिर हाजिर रहूँगा।