अयोध्या तीर्थ पर सात भव्य जैनेश्वरी आर्यिका दीक्षा सम्पन्न
संयम के पथ पर चलीं सात ब्रह्मचारिणी बहनें
अयोध्या
भगवान ऋषभदेव दिगम्बर जैन मंदिर, बड़ी मूर्ति, रायगंज-अयोध्या में प्रातःकाल श्रीजी के
अभिषेक से प्रारंभ हुआ दिवस। सात ब्रह्मचारिणी बहनों ने संयम के पथ को अंगीकार किया,
जिसमें सर्वप्रथम विशाल पाण्डाल में ब्रह्मचारिणी बहनों ने पूज्य गुरुमाँ गणिनीप्रमुख श्री
ज्ञानमती माताजी को आर्यिका दीक्षा के लिए श्रीफल समर्पित किया। पूज्य माताजी ने सभी के
मस्तक पर केशलोंच प्रारंभ करने की विधि सम्पन्न की, जिसके अन्तर्गत अपने हाथों से अपने लम्बे-लम्बे केशों को उखाड़ना होता है। पाँच बहनों ने आर्यिका दीक्षा के व्रत अंगीकार किये एवं २ महिलाओं ने क्षुल्लिका दीक्षा के व्रत ग्रहण किए। केशलोंच सम्पन्न होने के पश्चात् पूज्य गुरुमाँ ने सभी के मस्तक पर हाथ रखकर संस्कार आरोपित किए, व्रत ग्रहण करवाए एवं सभी ब्रह्मचारिणी बहनों को दीक्षा के पश्चात् नवीन नाम प्रदान किए एवं इन दीक्षार्थियों के माता- पिता बनाने का जैन आगम में विधान आया है, उस क्रम में शोभा पहाड़े के माता-पिता बनने का सौभाग्य सौ. पद्मा विकास पहाडे प्राप्त किया। दीक्षार्थियों को दीक्ष के पूर्व मंगल स्नान
कराया गया। दीक्षा से पूर्व सभी ब्रह्मचारिणी बहनों ने मंच पर पंचामृत अभिषेक सम्पन्न किया
एवं पूज्य माताजी से जैनेश्वरी दीक्षा के लिए अनुरोध किया कि मुझे संसार सागर से पार करने
वाली जैनेश्वरी दीक्षा प्रदान करें व सभी परिवारजनों व समाज से क्षमायाचन की।
विजय कुमार जैन मंत्री अयोध्या तीर्थ कमेटी ने बताया कि सर्वप्रथम दीक्षा के पश्चात् नवीन नाम प्रदान किये गये। श्रीमती शोभा पहाड़े को आर्यिका श्री आर्षमती माताजी, ब्र. कु. इन्दु दीदी को आर्यिका श्री हर्षमती माताजी, ब्र. कु. अलका दीदी को आर्यिका श्री विनम्रमती माताजी, ब्र. कु. श्रेया दीदी को आर्यिका श्री अनंतमती माताजी, ब्र. मधुबाला जी को आर्यिका श्री विनीतमती माताजी, ब्र. राजबाला जी को क्षुल्लिका श्री भव्यमती माताजी, ब्र. रेखा जी को क्षुल्लिका श्री वैराग्यमती माताजी नाम प्रदान किये गये। इसी शृंखला में दीक्षार्थियों को संयम का उपकरण पिच्छिका प्रदान की जाती है। दीक्षा के पश्चात् सर्वप्रथम पिच्छिका प्रदान करने का सौभाग्य अनिल गंगवाल-टाकलीभान, सौ. कुमकुम देवी पन्नालाल संजय विजय पापडीवाल-औरंगाबाद, आनंद जैन देवेन्द्र कुमार जैन राजेश जैन अपूर्व जैन अंजू दीपक जैन-टिकैतनगर, कैलाश चन्द्र आदीश अध्यात्म सिद्धार्थ जैन-लखनऊ इन्द्रचंद जैन सर्राफ अनुभ जैन आर्य जैन-सनावद, केलाशचंद जी सिद्धार्थ दीप्ति समर्थ जैन-लखनऊ, अभय जैन-दिल्ली ने प्राप्त किया।
सभी दीक्षार्थियों के मस्तक पर पूज्य गणिनीप्रमुख श्री ज्ञानमती माताजी एवं प्रज्ञाश्रमण्डली आर्यिका श्री चंदनामती माताजी ने संस्कार प्रदान किए एवं आर्यिका दीक्षा के व्रत ग्रहण
करवाए व दीक्षा के नियमों से उनको अवगत कराया। समस्त चर्या का विधान बताया एवं पिच्छी-कमण्डलु, वस्त्र, शास्त्र और माला नवीन दीक्षार्थियों को प्रदान किया गया, जिसे आये हुए भक्तगणों के द्वारा प्रदान किया गया। समस्त कार्यक्रम पीठाधीश स्वस्तिश्री रवीन्द्रकीर्ति स्वामीजी के निर्देशन में सम्पन्न किये गये। समस्त विधि-विधान प्रतिष्ठाचार्य विजय कुमार जैन, पं. सतेन्द्र जैन, पं. अकलंक जैन के द्वारा सम्पन्न कराये गये। मंच संचालन डॉ. जीवन प्रकाश जैन के द्वारा किया गया। सायंकाल में भगवन्तों की मंगल आरती एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्पन्न किया गया।
सभी कार्यक्रम में मुख्यरूप से अवध प्रान्त के साथ -साथ दिल्ली, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, मुम्बई, गुजरात, बिहार आदि जगहों से भक्तगण उपस्थित रहे।