
विष्णु सिकरवार
आगरा। शिव पैलेश में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के षष्ठम दिवस में वृंदावन से पधारी हुई परम पूजनीय देवी महेश्वरी श्रीजी ने गिरिराज पूजन के पश्चात श्री कृष्ण की लीलाओं के पश्चात उनके मथुरा गमन,अक्रूर प्रसंग गोपी विरह कंस वध आदि प्रसंगों का सविस्तार वर्णन करते हुए बताया कि इधर बृज में शरद पूर्णिमा की रात में महारास हो रहा है। समस्त गोपियां एवं श्री राधा रानी ललितादिक सखियों के साथ पधारी , पार्वती जी को तैयार होकर जाते देख महारास देखने की इच्छा भोलेनाथ ने व्यक्त की और गोपी बनकर बाबा भोलेनाथ महारास में पधारे। महारास हो रहा था मध्य में कृष जी राधा जी को कम समय देकर भोलेनाथ को अधिक देने लगे जिससे राधा रानी रूठ गई और मान कर चली गईं फिर उन्हे ढूंढ कर श्री कृष्ण ने मनाया। आगे की कथा को सुनाते हुए देवी जी ने बतलाया कि एक दिन एक पत्र आता है जिसमें रुक्मणी जी के द्वारा लिखा गया था कि मैं आपको मन ही मन पति के रूप में वरण कर लिया है आप आकर के मेरा वरण करिए अन्यथा मैं अपने प्राण त्याग दूंगी यह सुनकर श्री कृष्ण चल देते है और जब रुक्मणि जी मंदिर में पूजन कर रही होती है। उसी समय उन्हें वहा से भगा ले जाते है जिसकी सजीव झांकियां कथा पंडाल में दिखाई गई। जिसे सुन भक्त मंत्रमुग्ध हो गए और सुंदर-सुंदर भजनों पर झूमने पर विवश हो गए।
इस अवसर अशोक कुलश्रेष्ठ ,विशेष संपर्क प्रमुख राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ , महानगर प्रचारक सचिन जी, गिर्राज जी प्रधानाचार्य, नरेश पाठक जी, पत्रकार डॉक्टर भानु प्रताप,सिंह, अजेंद्रा चौहान, सीमा सिंह ,प्रतिभा जिंदल, पार्षद प्रवीणा राजावत आगरा कथा समिति अध्यक्ष गोविंद शर्मा, मुकेश नेचुरल, वीरेंद्र अग्रवाल, अजय गोयल, कालीचरण गोयल!
आज की झांकी में रूक्मणी विवाह हुआ।
आज की प्रसादी श्यामसुंदर अग्रवाल,अग्रसेन स्वीट ने भोग लगाया।
दैनिक यजमान बच्चू सिंह सोलंकी, पुष्प देवी सोलंकी,राहुल मिश्रा, रश्मि मिश्रा रही।