विष्णु सिकरवार
आगरा। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान आश्रम एमके पुरम पश्चिमपुरी पर महाशिवरात्रि के उपलक्ष्य में नाटक मंचन, भव्य आध्यात्मिक व सांस्कृतिक भजन कार्यक्रम आयोजित किए गए। जिनके माध्यम से मानव अपने भीतर की आंतरिक यात्रा का आरंभ कर सके।
पूजा दीदी करुणा भारती ने महाशिवरात्रि के महत्व को बताते हुए कहा फागुन माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाने वाला महाशिवरात्रि पर्व साधारण नहीं है यह विशेष संदेश को समाए हुए हैं, वेद ग्रंथ इस बात की पुष्टि करते हैं कि महाशिवरात्रि वास्तव में एक मनुष्य के शवत्व से शिवत्व, विष से अमृत और अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने की यात्रा है, वास्तव में महाशिवरात्रि का पर्व हमें आंतरिक भक्ति की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है।
आजकल भगवान शिव के पर्व व उत्सवों पर लोग जुलूस,शिव यात्राएं निकालते हैं और धतूरा,भांग गांजा आदि नशीली चीजों का खुलकर सेवन करते हैं। इस संबंध में दिव्य गुरु आशुतोष महाराज जी समझाते हैं कि भगवान शिव किसी बाहरी भांग या धतूरे का नशा नहीं करते थे। वे तो परमात्मा के अलौकिक नाम की नशे में सदा आनंदित रहते थे। सुरा त्वमसि सुक्मिणी अर्थात वह परमात्मा सर्वश्रेष्ठ सुरा है।
शिवरात्रि का महापर्व हमें केवल बाहरी ज्योतियाँ दिखाने, बाहरी घंटियाँ सुनाने या केवल बाहरी जलाभिषेक अर्पित करने के लिए नहीं आता; बल्कि हमें देवाधिदेव शंकर की शाश्वत ज्योति, अनहद नाद और भीतरी अमृत के अनुभव से जोड़ने आता है। बाहरी मंदिर की पूजा ही नहीं, अंतर्जगत के अलौकिक मंदिर का साधक बनाने भी आता है। शिव की महिमा ‘मनाने’ ही नहीं; बल्कि शिवत्व को ‘जानने’ और उसमें स्थित तत्त्वज्ञान का बोध कराने भी आता है।