*पूर्व सांसद धनंजय सिंह और उनके साथी को सात साल की सजा 50 हजार जुर्माना नहीं लड़ पाएंगे चुनाव*

 

जौनपुर/ब्यूरो चीफ अरुण कुमार दुबे नैमिष टुडे

नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर का अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह को बुधवार को सजा सुनाई गई है। मैनेजर ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

नमामि गंगे के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल का चार साल पहले अपहरण कराने, पिस्टल सटाकर रंगदारी मांगने, गालियां व धमकी देने के आरोपी पूर्व सांसद धनंजय सिंह और सहयोगी संतोष विक्रम को सात साल की सजा सुनाई गई है। इसके साथ ही 50 हजार रुपये अर्थदंड भी लगाया गया है। ऐसे में वे अब लोकसभा के साथ ही विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ पाएंगे।

हाईकोर्ट में करेंगे अपील धनंजय सिंह
पूर्व सांसद धनंजय सिंह पर अपहरण के मामले में धारा 364 के तहत 50 हजार व रंगदारी के मामले में धारा 386 के तहत 25 हजार का अर्थदंड लगा है। धनंजय ने कहा कि नमामी गंगे परियोजना के तहत हो रहे भ्रष्टाचार के खिलाफ मैंने आवाज उठाई, इसलिए ये कार्रवाई हुई है। हाईकोर्ट में अपील करेंगे। इस दौरान कोर्ट के अंदर से लेकर बाहर तक समर्थकों की भारी भीड़ रही। धनंजय भैया जिंदाबाद के नारे भी लगाए गए।
इससे पहले मंगलवार को अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ/एमपी एमएलए शरद कुमार त्रिपाठी की अदालत ने दोनों आरोपियों को अपहरण व रंगदारी में दोषी करार दिया था। साथ ही सजा के बिंदु पर सुनवाई के लिए छह मार्च की तिथि नियत की गई थी।

पूर्व सांसद धनंजय व संतोष विक्रम सिंह को इन धाराओं में हुई सजा
1-364 भारतीय दंड संहिता अपहरण के मामले में आजीवन कारावास या 10 वर्ष के लिए कठोर कारावास और जुर्माना।
2-386 भारतीय दंड संहिता रंगदारी मांगने के आरोप में 10 वर्ष व जुर्माना
3-120-बी भारतीय दंड संहिता षड़यंत्र में जिस प्रकार के अपराध के लिए लगा है षड्यंत्र ही दंड होगा।
4-504 भारतीय दंड संहिता में दो वर्ष कारावास या जुर्माना या दोनों हो सकता है।
5-506 भारतीय दंड संहिता में अधिकतम सात वर्ष व न्यूनतम दो वर्ष की सजा व जुर्माना दोनों हो सकता है।

यह था मामला
मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी व अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व उनके साथी विक्रम के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। तहरीर में कहा था कि रविवार की शाम को पूर्व सांसद धनंजय सिंह ने अपने साथी विक्रम सिंह के साथ दो व्यक्ति पचहटिया स्थित साइड पर पहुंचे। वहां फॉर्च्यूनर गाड़ी में वादी का अपहरण कर पूर्व सांसद के आवास मोहल्ला कालीकुत्ती में ले गए। वहां धनंजय सिंह पिस्टल लेकर आए और गालियां देते हुए वादी की फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति करने के लिए दबाव डालने लगे। वादी के इनकार करने पर धमकी देते हुए रंगदारी मांगा। किसी प्रकार उनके चंगुल से निकलकर वादी लाइन बाजार थाने पहुंचा और आरोपियों के खिलाफ कार्यवाही की मांग की। पुलिस ने पूर्व सांसद धनंजय सिंह को उनके आवास से गिरफ्तार करके कोर्ट में दूसरे दिन पेश किया। कोर्ट ने उन्हें न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया। यहां की अदालत से जमानत निरस्त हुई। बाद में उच्च न्यायालय से जमानत मिली। धनंजय ने उस समय जेल जाते समय आरोप लगाया था कि राज्यमंत्री और पुलिस अधीक्षक ने षड्यंत्र कर उन्हें फंसाया है। पत्रावली सुनवाई के लिए एमपी एमएलए कोर्ट भेजी गई। वहां सुनवाई चल रही थी। इसी बीच हाईकोर्ट एमपी एमएलए से जुड़ी सभी पत्रावली संबंधित जिला अदालत में भेजने का आदेश दिया।
इतना ही नहीं सात साल की सजा का समय बीतने के बाद छह साल तक चुनाव नहीं लड़ सकने से इनके राजनैतिक जीवन के सफर पर विराम लगना तय माना जा रहा है। पूर्व सांसद के खिलाफ पारित इस आदेश को लेकर तमाम कयास भी लग रहे है आखिर जब गवाह और वादी होस्टाइल हो गये है तो सजा कैसे हुई है। कुछ लोग इसके पीछे सियासी गणित मान रहे है हलांकि सच की पड़ताल जारी है।

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