
लखनऊ, 31 मार्च: उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव समाप्त होने के बाद अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने अब यूपी के नए प्रदेश अध्यक्ष के नामों को लेकर मंथन करना शुरू कर दिया है।बताया जा रहा है कि चुनाव में निराशाजनक परिणाम मिलने के बाद अब सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल अपने पद पर रह पाएंगे या नहीं यह तय नहीं है। इसलिए अगले कुछ दिनों में प्रदेश में नया नेतृत्व दिखायी देगा जो दलित या ओबीसी समुदाय से हो सकता है। सपा के एक नेता ने बताया कि आने वाले समय में आपको पार्टी में बदलाव दिख सकता है। यह बदलाव 2024 को ध्यान में रखकर बनाया जाएगा।
स्वामी प्रसाद मौर्य पर विचार कर सकते हैं अखिलेश
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद अब समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव बीजेपी छोड़कर आए स्वामी प्रसाद को फाजिलनगर से टिकट दिया था। वह चुनाव हार गए थे लेकिन अब ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि अखिलेश यादव स्वामी प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंप सकते हैं। माना जा रहा है कि स्वामी प्रसाद मौर्य को एक बड़े पिछड़े नेता के तौर पर जाना जाता है और मौर्य समाज में पैठ बनाने के लिए अखिलेश यादव इस तरह के कदम उठा सकते हैं। स्वामी प्रसाद को एक मुखर नेता माना जाता है और वह नरेश उत्तम पटेल की जगह ले सकते हैं।
दलित चेहरे को सौंप सकते हैं कमान
स्वामी प्रसाद के अलावा दलित चेहरे इंद्रजीत सरोज के नाम पर भी मंथन चल रहा है। सपा के एक नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अगले आम चुनाव को ध्यान में रखते हुए किसी दलित चेहरे को प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है। आने वाले समय में 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है और इस चुनाव में दलितों को साधने के लिए अखिलेश ये कदम उठा सकते हैं। दरअसल बसपा के कमजोर होने की वजह से दलितों का बिखराव हो रहा है। माना जा रहा है कि इस बार के चुनाव में दलित वोटों का कुछ हिस्सा बीजेपी की तरफ गया है। इसको रोकने और दलित समाज के भीतर एक विकल्प के तौर पर उभरने के लिए दलित चेहरे को प्रदेश की कमान सौंपी जा सकती है।
यादव समाज से नहीं बनाएंगे प्रदेश अध्यक्ष, इसकी कई वजहें
सपा के नेता ने बताया कि एक बात तो तय है कि पार्टी के चीफ अखिलेश यादव किसी यादव को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं सौंपेंगे। इससे समाज में एक गलत संदेश जाएगा। इस समाज को जोड़न के लिए अखिलेश यादव का नाम ही काफी है। इसलिए इस समाज का कोई सदस्य प्रदेश अध्यक्ष बनेगा ऐसा नहीं लगता है। दरअसल इससे पहले जब अखिलेश के चाचा शिवपाल यादव सपा में थे तब उनको प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश और शिवपाल में हुए झगड़े की वजह से उन्हें हटा दिया गया था। उसके बाद कोई इस बिरादरी का प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना।