सुरेन्द्रनगर/लखनऊ
श्री मद् भगवद् फाउंडेशन तत्वावधान में मनकामेश्वर मंदिर में चल रही कथा का विश्राम दिवस है ।कथा के विश्राम दिवस पर डां कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी महराज ने सुदामा चरित्र एवं भगवान श्रीकृष्ण कथा विश्राम प्रसंग सुनाकर श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। कथा के दौरान महराज जी ने धर्म का पाठ पढ़ाया। कथा सुनने काफी श्रद्धालु जुटे थे।
कथा का शुभारंभ एक ही गुरु के शिष्य रहे भगवान कृष्ण और सुदामा की मित्रता के प्रसंग से हुआ। महराज जी ने बताया कि भगवान की कृपा हर भक्त को समान रूप से मिलती है। भगवान राजा और रंक में कोई भेद नहीं करते। भगवान के बाल सखा सुदामा गरीब थे। लेकिन उनका एक-दूसरे के प्रति गहरा प्रेम और समर्पण था।कथावाचक कौशलेंद्र कृष्ण शास्त्री जी ने भगवान के प्रति भक्ति में ऐसा ही समर्पण लाने की बात कही। उन्होंने गृहस्थ धर्म का पालन करने की सीख देते हुए कहा कि गृहस्थी में रह कर अपने कर्तव्यों को पालन करने के साथ ही भगवत भक्ति करनी चाहिए। भगवान की भक्ति के लिए वानप्रस्थ या संन्यास जरूरी नहीं है। गृहस्थ में रहते हुए भी भौतिक मोह माया से निर्लिप्त रह कर भक्ति करने की कला अपने आप में बड़ा योग है। कहा कि मनुष्य अगर काम, क्रोध, लोभ, मोह, ईष्र्या, द्वेष आदि से स्वयं को बचा लेता है तो उसका उद्धार हो जाता है। लेकिन इन बुराइयों से बचने के लिए गुरु का आश्रय लेना जरूरी है। सद्गुरु ही भगवत प्राप्ति का सहज मार्ग बताने में सक्षम हैं। इसमें भगवान श्रीकृष्ण ने पिछले जन्मों की उन संतों की इच्छा को पूर्ण किया, जो इस जन्म में गोपियां बन कर आई हैं, क्योंकि राम अवतार में भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम बनकर आए थे। इससे वे संतों की प्रेम करने की इच्छा को पूर्ण नहीं कर पाए थे। परंतु इस जन्म में समस्त सृष्टि को प्रेम का रसास्वादन कराने आए हैं। महाराज ने गोपी गीत पर बड़ा सुंदर उपदेश दिया। इस मौके पर पं. अतुल शास्त्री,सुमन मिश्रा मंजू मिश्रा,अन्नपूर्णा सिंह,कंचन,प्रेमशीला,सुशीला शुक्ला,सविता यादव,प्रभा सिंह , विजयलक्ष्मी सीता त्रिपाठी काजल कश्यप कमलादेवी शिवा सिंह विष्णु मिश्रा, राघव आदि श्रोताओं का समुदाय रहा।