*स्वामी को खोकर भी मनोज पांडेय को नहीं संभाल पाई समाजवादी पार्टी*

 

*वफादारी पर स्व मुलायम सिंह का अनुभव फेल हो गया*

रायबरेली समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और तीन बार के विधायक डॉ मनोज कुमार पांडेय ने मंगलवार को मुख्य सचेतक पद से इस्तीफा दे दिया है। अब उनके भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन करने की उम्मीद लगाई जा रही है। कयास यह भी लगाया जा रहा है कि बीजेपी उन्हें रायबरेली सीट से सांसद पद का उम्मीदवार भी बना सकती है। हालांकि इस संबंध में अभी ना तो भारतीय जनता पार्टी और ना ही मनोज कुमार पांडेय ने कोई स्पष्टीकरण जारी किया है।
बताते चलें कि डॉ मनोज कुमार पांडेय वर्ष 2012 से ऊंचाहार की सीट पर समाजवादी पार्टी से लगातार विधायक हैं। पिछली सपा सरकार में वो कैबिनेट मंत्री भी रहे हैं। उन्हें स्वर्गीय मुलायम सिंह यादव का बेहद करीबी माना जाता रहा है। यही कारण है कि सरकार जाने के बाद भी अखिलेश यादव ने डॉ पांडेय के सम्मान में कोई कसर नहीं छोड़ी। माना जाता है कि स्वामी प्रसाद मौर्य मनोज पांडेय के सामने कोई अहमियत ना मिलने के कारण ही सपा छोड़कर गए हैं। दरअसल विगत विधानसभा चुनाव में स्वामी प्रसाद मौर्य जब भाजपा छोड़कर सपा में आए तो बदले में ऊंचाहार सीट से मनोज के सामने बेटे को टिकट दिलाने में नाकाम रहे। उसके बाद स्वामी जब-जब पार्टी लाइन से हटकर कोई बयान देते तो उसके विरोध में विपक्षी पार्टियों से पहले मनोज पांडेय की प्रतिक्रिया आ जाती थी। इस तरह स्वामी के सामने मनोज का कद सपा में काफी प्रभावी था। मनोज की अहमियत इस तरह भी समझ सकते हैं कि बीते निकाय चुनाव में तमाम कोशिश के बावजूद सपा नेता मोहम्मद इलियास के विपरीत अपने चहीते पारसनाथ को सपा से टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। बाद में मजबूरन इलियास को सपा छोड़कर कांग्रेस ज्वाइन करनी पड़ी। इससे पूर्व सपा सरकार में मनोज ने अपने भाई अनुराग की पत्नी को गौरा ब्लॉक का प्रमुख भी बनवाया था। जो बाद में बीजेपी के साथ चली गईं। उसके बाद से मनोज ने छोटे भाई अमिताभ पांडेय को अपने करीब कर लिया और फलस्वरुप अमिताभ पांडेय सपा युवजन सभा की राष्ट्रीय कमेटी का हिस्सा बन गए। इस तरह सपा में रहते हुए मनोज पांडेय के साथ-साथ उनका परिवार भी राजनीतिक तौर पर फल फूल रहा था। वर्तमान में प्रदेश स्तर पर उनकी पार्टी में एक कद्दावर नेता के तौर पर पहचान थी। इसीलिए मंगलवार को जब मनोज पांडेय ने भाजपा खेमे में जाकर राज्यसभा के लिए वोटिंग की तो इससे सपा को जबरदस्त झटका लगा है। बिना कोई कारण बताए अचानक मनोज के इस्तीफा दिए जाने से आम कार्यकर्ता काफी हतप्रभ हैं। सच पूछो तो मनोज के हट जाने से अब यहां पार्टी कद्दावर नेता से खाली हो चुकी है और अब यहां कोई मनोज जैसा बेबाक नेता नहीं बचा है।

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