जमीन विवाद में सीएम योगी से मिलकर अपनी बात रखी सांसद चाहर ने, पुलिस ने एसओ जितेन्द्र को किया गिरफ्तार

 

 

एसओ को गुपचुप तरीके से जेल भेजने पर उठ रहे सवाल

विष्णु सिकरवार
आगरा। जगदीशपुरा क्षेत्र में करोड़ों की जमीन पर कब्जे का मामला खासा गरमाया हुआ है। दो दिन पूर्व इस प्रकरण में प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय मीडिया के सामने आए तो अगले दिन फतेहपुर सीकरी से सांसद राजकुमार चाहर ने भी अपनी बात रखी। बुधवार को सांसद चाहर ने लखनऊ पहुंच कर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की। उनके साथ किसान मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह भी मौजूद रहे। सीएम योगी ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं। इधर पुलिस ने इस मामले में दोषी और फरार एसओ जितेंद्र कुमार को भी आज गिरफ्तार कर लिया।
बोदला में बैनारा फैक्ट्री के पास चार बीघा जमीन के विवाद में उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय का नाम आने पर उन्होंने विगत सोमवार को प्रेसवार्ता कर सांसद राजकुमार चाहर का नाम जमीन कब्जाने के विवाद से जोड़ दिया। उन्होंने कहा कि उनका बेटा देहात में राजनैतिक जमीन तैयार कर रहा है इसलिए यह सब किया गया। उन्होंने इस सबके पीछे सैफई के सपा नेता मनोज यादव का हाथ बताया।
अगले दिन मंगलवार को भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष फतेहपुरसीकरी से भाजपा सांसद राजकुमार चाहर ने प्रेसवार्ता करके कहा कि वह चौकीदार रवि कुशवाहा को पहले से नहीं जानते हैं। जब निर्दोष चौकीदार को जेल भेजने की जानकारी हुई तो उसे न्याय दिलाने के लिए वह आगे आये। जमीन प्रकरण से उनका कोई लेना-देना नहीं है।
जमीन प्रकरण के एक आरोपी तत्कालीन एसओ जगदीशपुरा जितेंद्र कुमार को पुलिस ने आज गिरफ्तार कर लिया। इस प्रकरण में जितेंद्र कुमार, बिल्डर कमल चौधरी, बेटे धीरू चौधरी सहित 18 के खिलाफ मुकदमा दर्ज है।
आरोप है कि जगदीशपुरा-बोदला रोड पर करोड़ों की जमीन पर कब्जा दिलाने को तत्कालीन एसओ जितेंद्र कुमार ने अगस्त और सितंबर 2023 में फर्जी मुकदमा दर्ज कर पांच निर्दोषों को जेल भेज दिया था। रवि कुशवाह उसके भाई शंकरिया और ओम प्रकाश को गांजा बेचने के आरोप में गिरफ्तार किया था। रवि कुशवाह की पत्नी पूनम और बहन पुष्पा को नकली शराब बेचने का मुकदमा दर्ज किया था। पीड़ितों द्वारा रिहा होने पर डीजीपी से मामले की शिकायत की। जांच में पुलिस द्वारा फर्जी मुकदमे दर्ज करने का खेल खुला। दबंगों ने पीड़ित परिवार की गृहस्थी का सारा सामान खुर्दबुर्द कर दिया था।
बुधवार को जगदीशपुरा पुलिस, एसओजी और सर्विलांस टीम ने आरोपी एसओ जितेंद्र कुमार को गिरफ्तार किया। आरोपी ने गिरफ्तारी से बचने के लिए कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दिया था। इस पर 18 जनवरी को सुनवाई होनी थी। पुलिस ने आरोपी एसओ के पकड़े जाने की भनक तक नहीं लगने दी। आरोपी को चुपचाप कोर्ट में पेश किया। वहां से उसे जेल भेज दिया गया।
डीसीपी सिटी सूरज कुमार राय ने बताया कि जगदीशपुरा पुलिस ने एसओ जितेंद्र कुमार को बुधवार की सुबह 11 बजे आवास विकास कालोनी से पकड़ा था। उससे पूछताछ की गई। उसने बताया कि उसे लगातार भूखंड पर अवैध गतिविधि की सूचना मिल रही थी। पुरुषोत्तम पहलवान पुलिस को सूचना दे रहा था। उन्हें उस समय साजिश की जानकारी नहीं थी। एक वीडियो भी गांजा बेचने का वायरल हुआ था। पुलिस ने दबिश दी तो मौके पर गांजा मिला। वहां गांजा किसने रखा यह जांच का विषय है। बाद में महिलाओं को इसी तरह शराब की सूचना पर आबकारी विभाग की टीम ने पकड़ा था। उसे इस बात की जानकारी नहीं थी कि पूरा खेल जमीन पर कब्जे के लिए खेला जा रहा है। पुलिस ने अपना गुडवर्क किया था। पुलिस ने उससे पूछा कि जब पांच लोग जेल चले गए तो जमीन पर बाउंड्री कैसे हो गई। जब बाउंड्री हो रही थी उस समय पुलिस कहां थी। इस सवाल के जवाब में थानाध्यक्ष ने कहा कि किसी ने कोई शिकायत नहीं की थी। इसलिए उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं हुई।
जितेंद्र कुमार पिनाहट थाने से लाइन हाजिर हुआ था। रुनकता पर तैनाती के दौरान सांप्रदायिक बवाल हुआ था। जितेंद्र कुमार को निलंबित किया गया। उसकी विभागीय जांच हुई। उसमें उसे क्या सजा मिली। जांच अधिकारी कौन था। आज तक किसी को नहीं पता। इसके बाद उसे खंदौली में टोल प्लाजा चौकी पर तैनाती मिली। यहां से वह बरहन थाने में एसएसआई बनकर गया। कुछ समय ही वहां रहा और सीधे पहले थाने के रूप में जगदीशपुरा थाने का थाना प्रभारी बनाया गया। उसकी तैनाती में जिस गुरु का योगदान रहता था वह उसने बता दिया है। गुरू का नाम सुर्खियों में छाया हुआ है। चर्चाएं हैं कि गुरु ने जितेंद्र जैसे कई लोगों को थाना प्रभारी बनवाया है। हालांकि अधिकारी कुछ बताने को तैयार नहीं हैं। मगर चर्चा है कि उसने एक नाम लिया है।
पुलिस की जांच में यह भी निकल कर आया है कि जमीन पर कब्जे से पहले थानाध्यक्ष जितेंद्र कुमार और पुरुषोत्तम पहलवान आपस में संपर्क में थे। जितेंद्र कुमार ने खुद यह कबूल किया है। पुरुषोत्तम पहलवान के कहने पर एक बार नहीं दो बार दबिश दी गई। एसओ जितेंद्र कुमार ने पुलिस को बताया कि बिल्डर से उसकी पहले से कोई मुलाकात नहीं थी। दिसंबर में लखनऊ से जांच टीम आई थी। पीएसी गेस्ट हाउस में बुलाया था। वहां उसकी बिल्डर से पहली बार मुलाकात हुई थी। जब यह मामला तूल पकड़ने लगा तो उसे लगा कि कहीं फंस नहीं जाए। रवि कुशवाह परिवार की ओर से धर्मेंद्र वर्मा नाम का युवक पैरवी कर रहा था। धर्मेंद्र वर्मा ने उससे कहा था कि बिल्डर से एक मीटिंग करा दो। यह मामला खत्म हो सकता है। उसके कहने पर वह होटल पीएल पैलेस में गया था। वहां भी किसी को नहीं धमकाया था।
– पुलिस एक मोटरसाइकिल चोर पकड़ने पर भी प्रेस कॉन्फ्रेंस करती है। जितेंद्र को पकड़ने पर प्रेस कॉन्फ्रेंस क्यों नहीं की?

– थानाध्यक्ष की तैनाती चर्चित ने जगदीशपुरा थाने में ही क्यों कराई? इस थाने में करोड़ों की जमीन पर कब्जा होना था।
-जमीन पर रहने वाले रवि कुशवाह का परिवार आपराधिक प्रवृत्ति का था तो वहां पहलवान की सूचना से पहले कभी दबिश क्यों नहीं दी गई थी?
-वहां शराब और गांजे का काम होता था तो थाना प्रभारी, चौकी प्रभारी और बीट के सिपाही को पहले पता क्यों नहीं चला?
– थानाध्यक्ष जितेंद्र कुमार खेल में शामिल नहीं था तो मुकदमा लिखने से पहले ही शहर से क्यों भाग गया था?
-जगदीशपुरा थाने में तैनाती के दौरान थानाध्यक्ष ने जो भी गुडवर्क किए उन सब पर सवाल क्यों नहीं उठे। सिर्फ जमीन वाले मामले में ही पुलिस की छीछालेदर क्यों हुई।
-पुरुषोत्तम पहलवान एसओ के संपर्क में कब आया। दोनों को किसने मिलवाया। पहले से नहीं जानता था कि एकाएक मुखबिर क्यों बना लिया।

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